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विश्व का प्रथम स्थिर अर्द्ध सिंथेटिक जीव

  • 27 Jan 2017
  • 6 min read

एक उल्लेखनीय घटनाक्रम के रूप में वैज्ञानिकों ने विश्व का प्रथम अर्द्ध सिंथेटिक जीव (First Sable Semi-Synthetic Organism) एक कोशिकीय जीवाणु (A Single-celled Bacterium) का निर्माण करने में सफलता हासिल की है| इस सिंथेटिक जीव का प्रयोग दवाओं एवं दूसरे अन्य अनुप्रयोगों में किये जाने की संभावना है| ध्यातव्य है कि यह शोध पीएनएएस (Proceedings of The National Academy of Sciences)  पत्रिका में प्रकाशित हुआ है|

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि जीवन के अनुवांशिक कोड में (Life’s Genetic Code) केवल चार प्राकृतिक आधारों को अंतर्विष्ट किया गया है|
  • इन आधारों को डीएनए के सोपानों की छड़  (rungs of the DNA ladder) के रूप में दो आधार युग्मों में गठित किया जाता है| जैसा कि हम सभी जानते है, ये छड़ें ही जीवन के निर्माण हेतु जीवाणुओं को मनुष्य में (Bacteria to Humans) पुनर्व्यवस्थित करने का कार्य करती है| 
  • अमेरिका के “द स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट” (The Scripps Research Institute – TSRI) के वैज्ञानिकों द्वारा अपने पूर्व के एक अनुसंधान में जिसमें उन्होंने डीएनए के एक युग्म को संश्लेषित किया था, के आधार पर (चार प्राकृतिक आधारों A, T, C, एवं G को सम्मिलित करते हुए) एक  नए जीवाणु का निर्माण किया है|  
  • ध्यातव्य है कि ये वे चार प्राकृतिक आधार तत्त्व हैं, जो प्रत्येक जीवित जीव के अंदर उपस्थित होते हैं| इसके अतिरिक्त इस जीवाणु के आनुवांशिक कोड में में दो संश्लेषित आधार X एवं Y भी उपस्थित हैं|
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, अब एक कोशिकीय जीव न केवल संश्लेषित आधार युग्मों पर पकड़ बनाए रख सकते हैं, बल्कि उनका विखंडन करने में भी सक्षम हैं|
  • हाल ही के एक शोध में यह पाया गया कि ई-कोलाई बैक्टीरिया (E-coli Bacteria) अपने आनुवांशिक कोड में एक संश्लेषित आधार युग्म धारण करने में पूर्णतया सक्षम है|
  • गौरतलब है कि एक निश्चित समय के बाद जीवाणु द्वारा अपने डीएनए में अतिरिक्त सूचनाओं को संगृहित करने के लिये X एवं Y आधार युग्मों को स्वयं से पृथक कर दिया जाता है|
  • यदि इस अर्द्ध – संश्लेषित जीव (Semi-Synthetic Organism) को वास्तविक रूप में एक जीव के रूप में निर्मित किया जा रहा है, तो इसके लिये आवश्यक है कि यह जीव सूचनाओं को स्थिरतापूर्वक बनाए रखने में भी सक्षम हो|
  • ध्यातव्य है कि शोधकर्ताओं द्वारा एक कोशिकीय जीव को कृत्रिम आधार युग्मों पर स्थिर बनाए रखने के लिये एक उपकरण का भी निर्माण किया है|
  • इस उपकरण को न्यूक्लियोटाइड ट्रांसपोर्टर (Nucleotide Transporter) कहा जाता है| यह उपकरण कृत्रिम आधार युग्मों के लिये आवश्यक सामग्री की कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) के चारों ओर अनुकृति बनाने का कार्य करता है|
  • शोधकर्ताओं द्वारा उक्त ट्रांसपोर्टर में एक नए संशोधन की खोज की गई है जिसके माध्यम से जीव का विकास एवं X तथा Y के रूप में इसका विभाजन पहले की अपेक्षा बहुत सरल होने की संभावना व्यक्त की गई है | 
  • ध्यातव्य है कि शोधकर्ताओं द्वारा एक भिन्न रासायनिक अणु ( इस रासायनिक अणुओं की डीएनए प्रतिकृति (DNA Replication) के दौरान डीएनए अणुओं के संश्लेषण हेतु प्रयोग किये जाने वाले एंज़ाइमों के रूप में पहचान की जा सकती है) का निर्माण करके Y के अपने पूर्व के संस्करण में कुछ विशेष सुधार भी किये गए | 
  • इसके अतिरिक्त शोधकर्ताओं द्वारा जीन संपादन उपकरण (Gene Editing Tool) CRISPR-Cas9 के प्रयोग के माध्यम से जीव का प्रारूप (बाहरी तत्त्वों X एवं Y के प्रयोग के बिना) तैयार किया गया ताकि उसके आनुवांशिक अनुक्रम का पता लगाया जा सके|
  • साथ ही वैसी कोशिका जो X एवं Y युग्मों को स्वयं से पृथक कर देती है, को संहार (Destruction) के रूप में चिन्हित किया गया|
  • ध्यातव्य है कि ये अर्द्ध-सिंथेटिक जीव 60 बार विभाजित होने के बाद X एवं Y युग्मों को जीवों के जीनोम में स्थिर बनाए रखने में सक्षम साबित हुए, जिसके परिणामस्वरूप शोधकर्ता इस बात पर सहमत हो पाए कि ये अर्द्ध-सिंथेटिक जीव अनिश्चितकाल के लिये आधार युग्मों पर अपनी पकड़ बनाए रखने में सक्षम है|
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