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विश्व आर्थिक मंच ने जारी की ‘द फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2018’ रिपोर्ट

  • 18 Sep 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों

तकनीकी में उन्नयन और नवाचार के साथ ही मानव कौशल से जुड़े कामों में मशीनों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ‘द फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2018’ में यह दावा किया गया है कि 2025 तक आधे से अधिक नौकरियों पर मशीनों का कब्ज़ा होगा। स्वचालित रोबोटों के इस्तेमाल से काम का स्वरुप तथा मानव श्रम का तरीका भी बदल जाएगा। विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने कामों के मशीनीकरण की रफ़्तार तथा उसमें आने वाले बदलाव का विश्लेषण करते हुए यह अनुमान लगाया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ‘द फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2018’ रिपोर्ट में उद्योग क्षेत्रों की विस्तृत श्रृंखला से 300 से अधिक वैश्विक कंपनियों को शामिल किया गया है।
  • इस सर्वे में 1.5 करोड़ से अधिक कर्मचारी और 20 विकसित तथा उभरती अर्थव्यवस्थाएँ शामिल थीं जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 70 प्रतिशत धारण करती हैं।
  • वर्तमान में कुल कार्य का 71 फ़ीसदी हिस्सा मानव श्रम द्वारा होता है।
  • 2022 तक आते-आते यह हिस्सा 58 तक रह जाएगा, वहीं 2025 तक यह हिस्सेदारी 48 पर सिमट जाएगी।
  • विश्व आर्थिक मंच ने अपनी रिपोर्ट ‘द फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2018’ में यह दावा किया है।
  • नौकरियों में व्यापक स्तर पर छटनी किये जाने के बावजूद कंप्यूटर प्रोग्राम वाली मशीनें, रोबोट मानव रोज़गार पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
  • चूँकि इसी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि रोबोट क्रांति यानी ऑटोमेशन की इस प्रक्रिया के दौरान अगले पाँच सालों में 5 करोड़ 80 लाख नई नौकरियों का सृजन होगा।

चुनौतियाँ क्या हैं?

  • एक तरफ रोज़गार के अवसरों में सकारात्मक वृद्धि होने का अनुमान है तो वहीं दूसरी तरफ, इससे मानव श्रम की नई भूमिकाओं की गुणवत्ता, स्थान, स्वरुप और स्थायित्व में महत्त्वपूर्ण बदलाव आएंगे।
  • कंप्यूटर प्रोग्राम वाली मशीनों, रोबोटों की गति के साथ तालमेल बिठाते हुए मानव श्रम के कौशल को निखारना होगा।
  • यह वाकई आलोचनात्मक है कि ज़्यादातर उद्योग अपने मौजूदा मानव संसाधन के कौशल को विकसित करने में सक्रिय भूमिका नहीं निभाते हैं।
  • ऐसे उद्योग जो गतिशील, औरों से अलग तथा प्रतिस्पर्द्धी बने रहना चाहते हैं उन्हें अपने मानव संसाधनों में भी निवेश करना ही होगा।
  • मशीनी औद्योगिक क्रांति के इस चरण में मानव संसाधन में निवेश करना आर्थिक तथा नैतिक आधारों पर अनिवार्य है।

आगे की राह

सबसे पहले हमें रोबोट क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभावों के संबंध में एक समग्र अध्ययन करना होगा। लेकिन एक ही दशक में मध्य देश का एक बड़ा तबका नौकरियों से हाथ धो बैठेगा। अतः ऑटोमेशन को लेकर सरकार को सतर्क रहना होगा।  मशीनीकरण के माध्यम से आए बदलावों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपने कौशल क्षमता में निश्चित समय के भीतर आवश्यक सुधार लाने में असमर्थ होते हैं। अतः सरकार तथा उद्योगों को चाहिये कि ऐसे लोगों को प्रशिक्षण के लिये पर्याप्त समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए।  तकनीकों के इस बदलते दौर में ज़रूरत इस बात की है कि विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिये लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाए और इसके लिये अवसंरचना का भी विकास किया जाए।

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