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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

टेल्गो का भारत में प्रवेश

  • 04 Aug 2017
  • 5 min read

संदर्भ
गत वर्ष हुए सफल परीक्षण के पश्चात् भी स्पेन की सरकार ‘टेल्गो ट्रेन’ के प्रसार की योजना को आगे बढ़ाने में असफल रही है| उल्लेखनीय है कि स्पेन की ‘टेल्गो ट्रेन’ में लंबी से लंबी दूरी की यात्रा के समय को अप्रत्याक्षित रूप से कम करने की क्षमता विद्यमान है| वस्तुत: इस संबंध में स्पेन के रेल मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, ‘टेल्गो ट्रेन’ के संबंध में सटीक जानकारी प्रदान करने हेतु गठित एक समिति के द्वारा इस महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से संबंधित कई समस्याओं को उजागर किया गया है|

  • यथा – ‘टेल्गो ट्रेन’ के निर्माण संबंधी इतने बड़े आर्डर के लिये एकल बोलीदाता का पता लगाने में अक्षमता, ट्रेन के डिज़ाइन में किये गए तकनीकी परिवर्तन एवं उच्च लागत इत्यादि ऐसे कारण हैं, जिनके संदर्भ में विचार करने के पश्चात् स्पेन की सरकार ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालना ज़्यादा उचित समझा|

भारत का पक्ष

  • भले ही स्पेन जैसे विकसित देश ने इस प्रस्ताव के संबंध में अपनी मंज़ूरी प्रदान न की हो, तथापि पिछले वर्ष भारतीय रेलवे द्वारा ‘टेल्गो’ कोचों का परीक्षण कर इसकी गत्यात्मक क्षमता एवं नई दिल्ली से मुंबई के मध्य की यात्रा में बचने वाले समय की जाँच पूरी कर ली गई है|
  • ध्यातव्य है कि इस ट्रेन की गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा मापी गई है| इस गति के साथ ‘टेल्गो ट्रेन’ ने उक्त दो महानगरों के बीच की 1,384 किलोमीटर की दूरी को मात्र 11 घंटे एवं 40 में पूरा किया, जबकि इसी यात्रा को पूरा करने में राजधानी एक्सप्रेस द्वारा कुल 15 घंटे एवं 50 मिनट का समय लगता है| 
  • यह पहला अवसर था, जब भारतीय रेलवे द्वारा किसी विदेशी ट्रेन कंपनी को अपने रेलवे ट्रैकों पर फील्ड परीक्षण करने की अनुमति दी गई| 

नई पीढ़ी की यातायात संपर्क व्यवस्था 

  • ध्यातव्य है कि जल्द ही भारत में ‘टाल्गो’ अथवा ‘टेल्गो’ ट्रेन का निर्माण कार्य आरंभ होने की संभावना है| यह ट्रेन भारत में यातायात संपर्क व्यवस्था को एक नए दौर में ले जाएगी|

प्रमुख बिंदु

  • यात्रियों के लिये बेहद आरामदायक|
  • 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार|
  • अति संवेदक सेंसर|
  • इसका ढाँचा हल्के एल्यूमीनियम से बना है |
  • अक्ष-रहित स्वतंत्र चक्के|
  • डिस्क ब्रेक प्रणाली|
  • प्राकृतिक झुकाव, जिससे घुमावदार मोड़ों पर इसकी गति स्वयं तीव्र हो जाएगी|

अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी

  • मार्च 2016 : रेलवे बोर्ड ने फील्ड परीक्षण करने की स्वीकृति दी|
  • अप्रैल 2016 : स्पेन से टेल्गो के पाँच कोच भारत पहुँचे|
  • मई-सितम्बर 2016 : तीन मार्गों (बरेली-मुरादाबाद, मथुरा-पलवल, दिल्ली-मुंबई) पर तीन चरणीय परीक्षण किया गया|
  • परीक्षण के दौरान, टेल्गो की गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा मापी गई|
  • इस परीक्षण हेतु भारतीय रेलवे के इंजनों का उपयोग किया गया|  

निष्कर्ष
इसमें कोई दो राय नहीं कि यह वैश्विक मान्यता प्राप्त उन्नत प्रौद्योगिकी का एक अच्छा उदाहरण है, परंतु ऐसे कई तकनीकी मुद्दे हैं, जिनके कारण इसके प्रसार की गति धीमी हो गई है| आने वाले दिनों में इसका कई चरणों में परीक्षण किये जाने की संभावना है, ताकि उन सभी मुद्दों का समाधान किया जा सकें, जिन्हें लेकर अभी शंका की स्थिति बनी हुई है| हालाँकि, इस ट्रेन के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिये भारत बाध्यकारी नहीं है, वह चाहे तो परीक्षण के उपरांत भी इसे अंतिम रूप प्रदान करने से इनकार कर सकता है|

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