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विकृत शैल फर्म द्वारा की जाने वाली कर चोरी के लिये कार्यबल का गठन

  • 11 Feb 2017
  • 5 min read

पृष्ठभूमि

कर चोरी (Tax Evasion) को रोकने के लिये उठाए गए एक नए कदम के तहत भारत सरकार द्वारा विकृत शैल कंपनियों (Deviant Shell Companies) की निगरानी के लिये एक कार्यबल (Task Force) का गठन किया गया है| राजस्व सचिव हसमुख अधिया और कॉर्पोरेट मामलों के सचिव तपन रे की सह-अध्यक्षता में प्रधानमंत्री कार्यालय ने 10 फरवरी, 2017 को शैल कंपनियों के कार्यों की समीक्षा करते हुए इन कंपनियों का दुरुपयोग (काले धन को वैध बनाने संबंधी प्रक्रिया मुख्यतः विमुद्रीकरण के पश्चात्) रोकने के लिये यह निर्णय लिया है| वस्तुतः यही कारण है कि इस कार्यबल का गठन इस क्षेत्र में कर-चोरी को रोकने एवं शैल कंपनियों के कार्यों की निगरानी हेतु किया गया है|

प्रमुख बिंदु

  • वित्त मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि विकृत शैल कंपनियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की जाएगी| इन कार्यवाहियों के अंतर्गत बैंक खातों को फ्रीज़ करने, कंपनियों के नामों को हटाने, बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम (Benami Transactions (Prohibition) Amendment Act, 2016) का आह्वान करने जैसी कार्यवाहियों को शामिल किया गया है|
  • ध्यातव्य है कि गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office - SFIO) के अंतर्गत तकरीबन 49 शैल कंपनियों के विरुद्ध मामले दर्ज़ किये गए हैं| इन मामलों की जाँच के दौरान यह पाया गया कि 559 व्यक्तियों द्वारा 54 पेशेवरों की मदद से तकरीबन 3,900 करोड़ रुपए की धनराशि (काले धन) को वैध धनराशि में परिवर्तित किया गया|
  • ध्यातव्य है कि विमुद्रीकरण के पश्चात् तकरीबन 1,238 करोड़ रुपए की नकद धनराशि को शैल अथवा विकृत कंपनियों के अंतर्गत जमा कराया गया है|
  • भारत में लगभग 15 लाख नामांकित कम्पनियाँ हैं तथा इनमें से केवल 6 लाख कम्पनियाँ ही अपनी वार्षिक अदायगी को दर्ज़ कराती हैं| इसका तात्पर्य यह है कि इन कंपनियों की एक बड़ी संख्या वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त है|
  • गौरतलब है कि नियामक मंत्रालय (Regulatory Ministry) द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कदाचारों और शैल कंपनियों के एंट्री ऑपरेटरों को उकसाने वाले पेशेवरों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में भी विशेष पहल आरंभ की जानी चाहिये| 
  • विकृत शैल कंपनियों से संबंधित सूचनाओं को विशेष अन्वेक्षण टीम (Special Investigation Team), आयकर विभाग (Income Tax Department), प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate), सेबी तथा भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (Institute of Chartered Accountants of India-ICAI) के साथ साझा किया जाएगा|
  • आयकर विभाग द्वारा इन मामलों के सम्बन्ध में पूर्ण मूल्यांकन किया जाएगा तथा प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम, (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के तहत रोकथाम संबंधी कार्य की शुरुआत की जाएगी|
  • ध्यातव्य है कि आईसीएआई के द्वारा अपने सदस्यों के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्यवाही आरम्भ कर दी गई है| हालाँकि, ऊपर वर्णित 49 कम्पनियों के सम्बन्ध में भी ‘समाप्ति की प्रक्रिया’ की शुरुआत की जा चुकी है|
  • इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि शैल कंपनियों की पहचान करने के लिये लाल झंडे वाले उचित संकेतकों (Red Flag Indicators) का उपयोग किया जाएगा तथा ऐसी कंपनियों व उनके निदेशकों  के डेटाबेस को विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से सूचना प्राप्त कर तैयार किया जाएगा|
  • उल्लेखनीय है कि शैल कंपनियों को नाममात्र भुगतान पूंजी, गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश, लाभांश रहित आय, उच्च नकदी, बहुमत शेयरधारकों के रूप में निजी कंपनियों, कम कारोबार और परिचालन आय, नाममात्र के खर्च, व्यापार में नाममात्र वैधानिक भुगतान और भंडार, न्यूनतम अचल संपत्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है|
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