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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सुपर एप

  • 25 Aug 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सुपर एप, कृत्रिम बुद्धिमत्ता

मेन्स के लिये:

सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा सुरक्षा से जुड़े प्रश्न


चर्चा में क्यों?

टाटा समूह द्वारा अगले वर्ष की शुरुआत तक एक ‘सुपर एप’ (Super App) लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। इस सुपर एप को टाटा समूह की नव स्थापित इकाई ‘टाटा डिजिटल’ द्वारा विकसित किये जाने का अनुमान है।

प्रमुख बिंदु:

क्या है सुपर एप?

  • सुपर एप, किसी कंपनी द्वारा विकसित एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से वह ग्राहकों को एक ही स्थान पर कई प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराता है।
  • भौतिक रूप से सुपर एप की तुलना एक शॉपिंग मॉल (Shopping Mall) से की जा सकती है, जहाँ ग्राहकों के लिये कई प्रकार के उत्पाद, सेवाएँ और ब्रांड आदि एक ही स्थान पर उपलब्ध होते हैं।
  • चीन द्वारा विकसित वीचैट (WeChat) एप, सुपर एप का एक उदाहरण है, इसकी शुरुआत एक मैसेजिंग एप (Messaging App) के रूप में हुई थी परंतु धीरे-धीरे इसने भुगतान, टैक्सी, शॉपिंग, फूड ऑर्डर में विस्तार करते हुए एक सुपर एप के रूप में स्वयं को स्थापित किया है।

सुपर एप की अवधारण और इससे जुड़े क्षेत्र:

  • सामान्यतः जिन कंपनियों के पास कई प्रकार के उत्पाद और सेवाएँ होती हैं, वे इन्हें एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिये सुपर एप का प्रयोग करते हैं।
  • सुपर एप की अवधारणा पहले चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया में देखी गई, जहाँ वीचैट और ग्रैब (Grab) जैसी कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर सोशल मीडिया और मैसेजिंग के उपभोक्ता ट्रैफिक का लाभ उठाते हुए ग्राहकों को अन्य सेवाएँ उपलब्ध करानी शुरू कर दी, जिससे इनके राजस्व में भी वृद्धि हुई।
  • हालाँकि पश्चिम एशिया में सुपर एप के प्रचलन के संदर्भ में अलग दृष्टिकोण देखने को मिला है।
  • यहाँ पारंपरिक व्यावसायिक समूह जो पहले से ही शॉपिंग मॉल, किराना और मनोरंजन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सक्रिय हैं, वे भी अब डिजिटल संपत्ति के निर्माण पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इन व्यवसायों में दैनिक रूप से आने वाले ग्राहकों की संख्या और उनमें दोबारा खरीद की आवृति बहुत अधिक है तथा एक ऑनलाइन सेवाप्रदाता की दृष्टि से यह किसी भी क्षेत्र सुपर एप की प्रगति/सफलता का प्रमुख आधार है।
  • टाटा समूह द्वारा अपनी उपभोक्ता सेवाओं को एकत्र करने की योजना चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया की प्रौद्योगिकी कंपनियों की तुलना में खाड़ी क्षेत्र के फर्मों/व्यवसायों के अधिक निकट है।

भारत में सुपर एप के विकास से जुड़े संस्थान:

  • भारत में टाटा समूह द्वारा सुपर एप के विकास से पहले ही कुछ कंपनियाँ सुपर एप पारितंत्र (Super App Ecosystem) में सक्रिय हैं।
  • वर्तमान में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के ‘जियो प्लेटफॉर्म द्वारा खरीदारी, वीडियो स्ट्रीमिंग (Video Streaming), भुगतान, क्लाउड स्टोरेज (Cloud Storage), टिकट बुकिंग आदि और अलीबाबा समूह के निवेश वाले पेटीएम (PayTM) एप द्वारा भुगतान, टिकट बुकिंग, खेल, ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग, उपभोक्ता वित्त, आदि तथा फ्लिपकार्ट समूह के स्वामित्त्व वाले भुगतान एप ‘फोनपे’ (PhonePe) द्वारा ओला कैब्स, स्विगी, डेकाथलॉन, दिल्ली मेट्रो आदि से अनुबंध कर एक ही एप में इससे जुड़ी सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।

भारत में सुपर एप की प्रासंगिकता:

  • किसी भी ऐसा देश या क्षेत्र को उस स्थिति में सुपर एप के लिये तैयार माना जा सकता है जब वहाँ की एक बड़ी आबादी इंटरनेट के प्रयोग के लिये डेस्कटॉप कंप्यूटर की अपेक्षा स्मार्टफोन को अधिक प्राथमिकता देती है और वहाँ एप इकोसिस्टम (App Ecosystem) का विकास स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप न हुआ हो।
  • भारत पहले ही ऐसा बड़ा बाज़ार बन चुका है जहाँ पहली बार इंटरनेट का उपयोग करने वाले अधिकांश उपभोक्ता इसका इस्तेमाल अपने फोन के माध्यम से करते हैं, जो सुपर ऐप बनाने में भारतीय कंपनियों की रूचि का सबसे बड़ा कारण है।
  • विभिन्न प्रकार की सेवाओं को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने से आर्थिक लाभ के साथ ही ऐसे एप कंपनियों को बड़ी मात्रा में ‘उपभोक्ता डेटा’ (Consumer Data) उपलब्ध कराते हैं, जिसका उपयोग उपभोक्ताओं के व्यवहार को समझने के लिये किया जा सकता है।

सुपर एप से जुड़ी चिंताएँ:

  • एक बड़े समूह द्वारा अधिकांश सेवाओं के लिये ग्राहकों को अपने इकोसिस्टम तक सीमित रखने के प्रयासों से बाज़ार में एक ही समूह के एकाधिकार की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं।
  • इसके साथ ही यह कई मामलों में गोपनीयता से जुड़ी चिंताओं को भी बढ़ाता हैं, जैसे- यदि एक सुपर एप में किसी थर्ड पार्टी सेवा प्रदाता (Third-Party Service Provider) को जोड़ा गया हो।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे एप द्वारा एकत्र डेटा का उपयोग मशीनों को ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence) और उपभोक्ता व्यवहार का अधिक सटीकता से अनुमान लगाने हेतु प्रशिक्षित करने के लिये किया जा सकता है।

डेटा सुरक्षा संबंधी प्रयास :

  • वर्ष 2017 में न्यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में स्थापित 10 सदस्यीय समिति ने डेटा स्थानीयकरण, डेटा सुरक्षा हेतु अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना और डेटा सुरक्षा संबंधी नियमों के उल्लंघन के मामलों में सजा का प्रावधान करने का सुझाव दिया था।
  • केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत ‘व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019’ (Personal Data Protection Bill, 2019) में व्यक्तिगत डेटा के संदर्भ में नागरिकों के अधिकारों, डेटा एकत्र कर रही संस्था के उत्तरदायित्त्वों, डेटा प्रसंस्करण से जुड़ी कानूनी बाध्यताओं और भारतीय सीमा से बाहर डेटा भेजे जाने से संबंधित प्रावधानों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

आगे की राह:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में सुपर एप के प्रचलन में कमी का एक बड़ा कारण डेटा सुरक्षा से जुड़ी चिंताएँ ही रही हैं।
  • वर्तमान में भारत में डेटा सुरक्षा से जुड़े किसी विशेष कानूनी प्रावधान के साथ जन-जागरूकता की भारी कमी है।
  • सरकार द्वारा सुपर एप के क्षेत्र में सक्रिय कंपनियों की गतिविधियों की निगरानी के साथ भविष्य में इससे जुड़े प्रभावी कानूनों के निर्माण के लिये इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से परामर्श तथा जन-जागरूकता को बढ़ावा देने के विशेष प्रयास किये जाने चाहिये।

स्त्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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