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शासन व्यवस्था

परिसीमन के लिये सुझाव

  • 12 Dec 2020
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक गैर-सरकारी संस्था प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन (Pranab Mukherjee Foundation- PMF) ने अगले परिसीमन के लिये सुझाव दिये हैं।

  • परिसीमन से तात्पर्य किसी राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिये निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • सुझाव: अगले परिसीमन में निम्नलिखित प्रक्रिया होनी चाहिये:
    • राज्यों की सीमा निर्धारित करने के लिये वर्ष 2031 की जनगणना के अनुसार, एक परिसीमन आयोग का गठन किया जाना चाहिये और जनसंख्या के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश करनी चाहिये।
    • परिसीमन आयोग की सिफारिशों को प्रभावी बनाने के लिये राज्यों को छोटे राज्यों में विभाजित कर एक राज्य पुनर्गठन अधिनियम लाया जाना चाहिये।
  • वर्तमान परिदृश्य:
    • वर्ष 2002 में संविधान के 84वें संशोधन ने वर्ष 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना तक लोकसभा और राज्य विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर रोक लगा दी थी।
    • वर्तमान सीमाएँ वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर निर्धारित की गई हैं, लोकसभा और राज्य विधानसभा सीटों की संख्या वर्ष 1971 की जनगणना के आधार पर ही स्थिर रही।
      • पिछली जनगणना के अनुसार जनसंख्या 50 करोड़ थी, जो 50 वर्षों में 130 करोड़ हो गई है, जिससे देश में राजनीतिक प्रतिनिधित्व में भारी विषमता आई है।

परिसीमन आयोग (Delimitation Commission)

  • परिसीमन आयोग को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और यह भारतीय निर्वाचन आयोग के सहयोग से काम करता है।
  • परिसीमन आयोग को सीमा आयोग (Boundary Commission) के नाम से भी जाना जाता है।
  • प्रत्येक जनगणना के बाद भारत की संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद-82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम लागू किया जाता है

परिसीमन का उद्देश्य:

  • परिसीमन का उद्देश्य समय के साथ जनसंख्या में हुए बदलाव के बाद भी सभी नागरिकों के लिये सामान प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना है।
  • जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का उचित विभाजन करना ताकि प्रत्येक वर्ग के नागरिकों को प्रतिनिधित्व का समान अवसर प्रदान किया जा सके।
  • अनुसूचित वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा के लिये आरक्षित सीटों का निर्धारण भी परिसीमन की प्रक्रिया के तहत ही किया जाता है।

परिसीमन आयोग की संरचना:

  • परिसीमन आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
  • इसके अतिरिक्त इस आयोग में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं -
    • मुख्य निर्वाचन आयुक्त या मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा नामित कोई निर्वाचन आयुक्त।
    • संबंधित राज्यों के निर्वाचन आयुक्त।
  • सहयोगी सदस्य (Associate Members): आयोग परिसीमन प्रक्रिया के क्रियान्वयन के लिये प्रत्येक राज्य से 10 सदस्यों की नियुक्ति कर सकता है, जिनमें से 5 लोकसभा सदस्य तथा 5 संबंधित राज्य की विधानसभा के सदस्य होंगे।
    • सहयोगी सदस्यों को लोकसभा स्पीकर तथा संबंधित राज्यों के विधानसभा स्पीकर द्वारा नामित किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त परिसीमन आयोग आवश्यकता पड़ने पर निम्नलिखित अधिकारियों को बुला सकता है:
    • भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त (Registrar General and Census Commissioner of India)।
    • भारत का महासर्वेक्षक (The Surveyor General of India)।
    • केंद्र अथवा राज्य सरकार से कोई अन्य अधिकारी।
    • भौगोलिक सूचना प्रणाली का कोई विशेषज्ञ।
    • या कोई अन्य व्यक्ति, जिसकी विशेषज्ञता या जानकारी से परिसीमन की प्रक्रिया में सहायता प्राप्त हो सके।

परिसीमन आयोग के कार्य:

  • संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन: परिसीमन आयोग लोकसभा सदस्यों के चुनाव के लिये चुनावी क्षेत्रों की सीमा को निर्धारित करने का कार्य करता है। परिसीमन की प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि (राज्य में) लोकसभा सीटों की संख्या और राज्य की जनसंख्या का अनुपात पूरे देश में सभी राज्यों के लिये समान रहे।
  • विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन: विधानसभा चुनावों के लिये निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा का निर्धारण परिसीमन आयोग द्वारा किया जाता है। विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाता है कि राज्य के सभी चुनावी क्षेत्रों में विधानसभा सीटों की संख्या और क्षेत्र की जनसंख्या का अनुपात समान रहे। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सामान्यतया एक से अधिक ज़िलों में विस्तारित न हो।
  • अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण: परिसीमन आयोग द्वारा परिसीमन आयोग अधिनियम, 2002 की धारा 9 (1) के तहत निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोगों की संख्या के आधार पर आरक्षित सीटों का निर्धारण किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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