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आधारभूत ढाँचे के सुदृढ़ीकरण हेतु लिये गए कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय : पार्ट – 1

  • 21 Feb 2018
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा देश के आधारभूत ढाँचे को बल प्रदान करने के उद्देश्य से कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए है। मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा मुजफ्फरपुर-सगौली एवं सगौली-वाल्मिकी नगर लाइनों के विद्युतीकरण सहित दोहरीकरण, उत्तराखंड के सिल्कयारा बेंद बारकोट टनल के निर्माण सहित झांसी-माणिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइनों के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरणको मंज़ूरी देने जैसे निर्णय लिये गए हैं। इन परियोजनाओं से होने वाले लाभ एवं अन्य प्रमुख बिंदुओं के विषय में हमने संक्षिप्त मनें वर्णन किया है।

मुजफ्फरपुर - सगौली एवं सगौली – वाल्‍मिकी नगर लाइनों का विद्युतीकरण सहित दोहरीकरण
मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा 100.6 किलोमीटर लंबी मुजफ्फरपुर-सगौली एवं 109.7 किलोमीटर लंबी सगौली-वाल्‍मिकी नगर लाइनों के विद्युतीकरण सहित दोहरीकरण परियोजनाओं को मंज़ूरी प्रदान की गई है। इसके लिये क्रमश: 1347.61 करोड़ रुपए और 1381.49 करोड़ रुपए की संपूर्ण लागत को अनुमोदित किया गया है। 

  • ये परियोजनाएँ बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्‍पारण (मोतीहारी) और पश्‍चिमी चंपारण (बेतिया) क्षेत्र को कवर करेंगी।

वर्तमान स्थिति

  • ये सभी क्षेत्र उत्तरी बिहार के घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं। इस समय मुजफ्फरपुर से वाल्‍मिकी नगर तक यात्री गाड़ियाँ संकुलन और ठहरावों के कारण सबसे अधिक प्रभावित है।
  • इस खंड में प्रतिदिन 38 मेल/एक्‍सप्रेस गाड़ियाँ चलती हैं। 

क्या लाभ होगा? 

  • अतिरिक्‍त क्षमता होने से संकुलन कम होगा और न्‍यूनतम विलंब होने से तीव्रतर एवं विश्‍वसनीय संचालन संभव होगा। इसके अलावा, इससे अनुरक्षण ब्‍लॉकों की अधिक उपलब्‍धता से संरक्षा में भी संवर्द्धन होगा।
  • मुजफ्फरपुर से वाल्‍मिकी नगर तक समूचे मार्ग को विसंकुलित करने के अलावा दोहरीकरण से क्षमता और कनेक्‍टिविटी में सुधार होगा। इसके परिणामस्‍वरूप आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्‍त होगा और क्षेत्र का समग्र विकास होगा।
  • वर्ष 2022 तक देश के पूर्वी क्षेत्रों का विकास माननीय प्रधानमंत्री के ‘न्‍यू इंडिया’ विज़न को साकार करने की दृष्टि से आवश्‍यक है। चम्‍पारण ज़िला नेपाल सीमा से जुड़ा हुआ है, जिससे इस लाइन का दोहरीकरण होने के परिणामस्‍वरूप पड़ोसी देशों के साथ भी बेहतर कनेक्‍टिविटी होगी।
  • विद्युतीकरण के परिणामस्‍वरूप गाड़ियाँ तीव्र गति से चलेंगी, कार्बन उत्‍सर्जन में कटौती होगी और टिकाऊ पर्यावरण को प्रोत्‍साहन मिलेगा।
  • इससे ईंधन के आयात पर निर्भरता भी कम होगी, जिसके परिणामस्‍वरूप ऊर्जा लागत में बचत होगी और देश के लिये विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
  • मुजफ्फरपुर-सगौली और सगौली-वाल्‍मिकी नगर परियोजनाओं से क्रमश: 24.14 लाख कार्य दिवसों और 26.33 लाख कार्य दिवसों का प्रत्‍यक्ष रोज़गार सृजित होगा।

चारधाम महामार्ग परियोजना के तहत उत्‍तराखंड में सिल्‍कयारा बेंद बारकोट टनल 
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा उत्तराखंड में 4.531 किलोमीटर लंबी दो लेन वाली दोतरफा सिल्कयारा बेंद बारकोट टनल (Silkyara Bend - Barkot Tunnel) के निर्माण को मंज़ूरी प्रदान की गई है। इस टनल से निकलने हेतु एक सुरक्षित मार्ग का भी निर्माण किया जाएगा। इसमें उत्तराखंड में धारसू-यमनोत्री सेक्शन पर 25.400 किलोमीटर और 51.000 किलोमीटर के दो प्रवेश मार्ग बनाए जाएंगे।

प्रमुख बिंदु

  • यह परियोजना उत्तराखंड राज्य में राजमार्ग संख्या 134 (पुरानी राजमार्ग संख्या 94) के बीच में पड़ेगी। इसका काम इंजीनियरिंग, अधिप्राप्ति और निर्माण मोड के तहत किया जाएगा।
  • इसका वित्तपोषण सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा एनएच (ओ) स्कीम के तहत किया गया है। विशेष बात यह है कि यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना चारधाम परियोजना का हिस्सा है।
  • परियोजना निर्माण की अवधि 4 वर्ष है। इसके निर्माण पर 1119.69 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत आएगी। परियोजना का कुल खर्च 1383.78 करोड़ रुपए होगा। 
  • यह परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास लिमिटेड (National Highways & Infrastructure Development Corporation Ltd. -NHIDCL) के ज़रिये सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जाएगी।  
  • एनएचआईडीसीएल सरकार की पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली कंपनी है, जिसकी स्थापना 2014 में राज्यों से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर सड़कों के विकास के लिये की गई थी।

इससे क्या-क्या लाभ होंगे?

  • इस टनल के निर्माण से चारधाम यात्रा के एक धाम यमुनोत्री तक जाने के लिये हर तरह के मौसम हेतु उपयोगी संपर्क मार्ग उपलब्ध होगा। 
  • इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ-साथ व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 
  • इससे धारसू से यमुनोत्री के बीच सड़क मार्ग की दूरी करीब 20 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा समय भी करीब एक घंटा कम हो जाएगा।
  • प्रस्तावित टनल के निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में उन पेड़ों को हटाने से बचाया जा सकेगा, जिन्हें 25.600 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग के उन्नयन के दौरान मूल नक्शे के तहत काटा जाना था।

झांसी - मणिकपुर और भीमसेन – खैरार लाइनों का विद्युतीकरण सहित दोहरीकरण
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा 4955.72 करोड़ रुपए की संपूर्ण लागत पर 425 किलोमीटर लम्‍बी झांसी-माणिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइनों के दोहरीकरण और विद्युतीकरण की परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया है। 

  • खैरार, खैरार-माणिकपुर और खैरार-भीमसेन की मौजूदा लाइन क्षमता, उपयोगिता क्रमशः 126, 160 और 107 प्रतिशत है, जिससे इस खंड में संकुलन होता है और गाड़ियों की गति धीमी होती है।

इससे क्या-क्या लाभ होंगे?

  • इस परियोजना के वर्ष 2022-23 तक पूरा होने की संभावना है। इन परियोजनाओं में उत्‍तर प्रदेश के झांसी, महोबा, बांदा, चित्रकूट धाम और मध्‍य प्रदेश के छतरपुर आदि ज़िलों को कवर किया जाएगा।इस दोहरीकरण परियोजना से विपरीत दिशा में गाड़ियों की क्रॉसिंग के लिये ठहराव दिये बिना झांसी/कानपुर से आने-जाने वाली गाड़ियों और इलाहाबाद से आने-जाने वाली गाड़ियों का आवागमन सुगम होगा। 
  • इससे झांसी-सतना और कानपुर-सतना के मार्ग पर यात्री गाड़ियों के समय-पालन और सुगम चालन में सुधार होगा। 
  • इस परियोजना से अनुरक्षण ब्‍लॉकों के लिये बेहतर उपलब्‍धता में सुधार के माध्‍यम से बेहतर संरक्षा व्‍यवस्‍था मुहैया होगी।
  • डीएफसी (समर्पित माल गलियारा) की कनेक्टिविटी भीमसेन स्टेशन के समीप है। इस प्रकार यह मार्ग डीएफसी के लिये फीडर मार्ग के रूप में कार्य करेगा और वस्‍तुओं, विशेष रूप से कृषि उत्‍पादों के उपभोक्‍ता क्षेत्रों तथा निर्यात के लिये बंदरगाहों तक सुगम संचलन के ज़रिये आर्थिक और औद्योगिक विकास में सहायक होगा। 
  • सीमेंट के सुगम संचलन के ज़रिये इस विकास से सतना में सीमेंट क्‍लस्‍टर और अवसंरचना सेक्‍टर को भी मुख्‍य रूप से लाभ होगा।
  • इस परियोजना से खजुराहो (एक अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटक स्‍थल) तक कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे क्षेत्र में पर्यटन के माध्‍यम से आर्थिक सम्‍पन्‍नता आएगी और रोज़गार के अवसर प्राप्‍त होंगे।
  • विद्युतीकरण के परिणामस्‍वरूप गाड़ि‍याँ तीव्र गति से चलेंगी, कार्बन उत्‍सर्जन में कटौती होगी और टिकाऊ पर्यावरण को प्रोत्‍साहन मिलेगा। इसके अलावा, इससे ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी होगी, जिसके परिणामस्‍वरूप रेलों के लिये ऊर्जा लागत में बचत होगी और देश के लिये विदेशी मुद्रा की बचत होगी।  
  • इसके अलावा, इन परियोजनाओं से निर्माण के दौरान लगभग 102 लाख कार्य दिवसों का प्रत्‍यक्ष रोज़गार सृजित होगा।
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