इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

जैव-चिकित्सा अपशिष्टों का वैज्ञानिक निस्तारण

  • 22 Apr 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये:

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट, COVID-19  

मेन्स के लिये:

COVID-19 से उत्पन्न हुई चुनौतियों से निपटने हेतु सरकार के प्रयास,  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में  ‘राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण’ (National Green Tribunal- NGT) ने COVID-19 की महामारी को देखते हुए देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (Bio-Medical Waste) के अवैज्ञानिक निस्तारण (Unscientific Disposal) से उत्पन्न जोखिम को कम करने हेतु आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं।  

मुख्य बिंदु:

  • NGT के अनुसार, देश के 2.7 लाख स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में से मात्र 1.1 लाख को ही ‘जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम (Bio-Medical Waste Management Rules- BMWM  Rules), 2016’ के तहत अधिकृत किया गया है।
  • ऐसे में COVID-19 की महामारी को देखते हुये जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के अवैज्ञानिक निस्तारण से उत्पन्न जोखिम को कम करने हेतु ‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों’ और ‘प्रदूषण नियंत्रण समितियों’ को इस अंतर को कम करने के लिये प्रयास करने होंगे। 
  • इसके अतिरिक्त ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (Central Pollution Control Board- CPCB) ने भी ‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों’ और प्रदूषण नियंत्रण समितियों को COVID-19 के दौरान जैव-अपशिष्टों के निस्तारण के लिये ज़रूरी दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट ( Bio-Medical Waste): 

  • जैव चिकित्सा अपशिष्ट से आशय मनुष्यों या पशुओं के उपचार, चिकित्सीय जाँच या चिकित्सा से जुड़े शोध कार्यों  या उत्पादन के दौरान उत्पन्न होने वाले अपशिष्टों से है।

उदाहरण:  संक्रमित रक्त या कोशिका नमूने, सीरिंज (सुई), बैंडेज, दस्ताने, मास्क या अन्य उपकरण आदि।  

  • भारत में मार्च 2016 में लागू ‘जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016’ के तहत जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

जैव-अपशिष्टों के निस्तारण हेतु CPCB के दिशा-निर्देश:  

  • COVID-19 संक्रमित मरीज़ों के लिये अलग आइसोलेशन वार्ड (Isolation Ward) वाले अस्पतालों को जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम- 2016, के तहत वार्ड में कलर कोडेड (Colour Coded) कूड़ेदान/बैग रखने जैसे प्रयासों के माध्यम से जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को अलग रखने की व्यवस्था करनी चाहिये।
  • COVID-19 आइसोलेशन वार्ड से अपशिष्टों को एकत्रित करते समय अतिरिक्त सावधानी के रूप में दो परतों  (Double Layer) वाले बैग या एक साथ दो बैग का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
  • अपशिष्टों को ‘कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोज़ल फैसिलिटीज़’ (Common Bio-medical Waste Treatment and Disposal Facilities- CBMWTFs) पर भेजने से पहले अलग भंडारण कक्ष में रखा जाना चाहिये या इसे आइसोलेशन वार्ड से सीधे CBWTF कलेक्शन वैन में रखा जा सकता है।
  • COVID-19 आइसोलेशन वार्ड से अपशिष्टों को निकालने के लिये प्रयोग होने वाले कूड़ेदान, ट्राॅली आदि पर ‘COVID-19' लेबल लगाया जाना चाहिये और वार्ड से निकलने वाले अपशिष्टों का अलग रिकार्ड रखा जाना चाहिये।
  • COVID-19 वार्ड में प्रयोग किये जाने वाले  कूड़ेदान, ट्राॅली आदि की 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट (Sodium Hypochlorite) वाले घोल से प्रतिदिन सफाई की जानी चाहिये।

कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोज़ल फैसिलिटीज़’

(Common Bio-medical Waste Treatment and Disposal Facilities- CBMWTFs) :

  • CBMWTF अपशिष्ट निस्तारण के वे संयंत्र/केंद्र होते हैं जहाँ स्वास्थ्य क्षेत्र से निकलने वाले जैव- चिकित्सा अपशिष्टों के दुष्प्रभावों को कम करने के लिये वैज्ञानिक मानकों के तहत उनका निस्तारण किया जाता है।
  • वर्तमान में देश के 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 200 अधिकृत CBMWTF सक्रिय हैं, जबकि 7 राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों (गोवा, अंडमान निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम) में कोई CBMWTF नहीं है।   

क्वारंटीन कैंप से निकलने वाले जैव-अपशिष्टों का निस्तारण:    

  • CPCB ने स्पष्ट किया कि क्वारंटीन कैंप/सेंटर से आशय उन स्थानों से है जहाँ स्थानीय प्रशासन या अस्पताल के निर्देशों पर COVID-19 से संक्रमित या संक्रमण की आशंका वाले व्यक्तियों को 14 या इससे अधिक दिनों तक रहने को कहा गया है।
  • क्वारंटीन कैंप से निकलने वाले सामान्य ठोस अपशिष्ट को स्थानीय शहरी निकाय द्वारा नियुक्त कर्मचारी को दिया जाना चाहिये या ठोस अपशिष्ट के निस्तारण के प्रचलित तरीकों से इसका निस्तारण किया जा सकता है।
  • क्वारंटीन कैंप से निकलने वाले जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के निस्तारण के लिये क्वारंटीन कैंप का संचालक/संरक्षक नज़दीकी CBMWTF संचालक को सूचित करेगा, CBMWTF संचालक की जानकारी स्थानीय प्रशासन के पास उपलब्ध होगी।
  • क्वारंटीन कैंप/क्वारंटीन होम या होम केयर से निकलने वाले जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को  ‘ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016’ के तहत ‘घरेलू खतरनाक अपशिष्ट’ (Domestic Hazardous Waste) के रूप में चिन्हित किया जाएगा और इसका निस्तारण ‘जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम’, 2016 के नियमों के तहत किया जाएगा। 
  • CPCB के अनुसार, ये दिशा-निर्देश वर्तमान में COVID-19 के संदर्भ में उपलब्ध जानकारी और अन्य संक्रामक बीमारियों  जैसे- HIV, H1N1 आदि के उपचार के दौरान बने संक्रामक अपशिष्टों के प्रबंधन में अपनाए गए तरीकों पर आधारित हैं। आवश्यकता पड़ने पर इनमें परिवर्तन किये जा सकते हैं।  

चुनौतियाँ:

  • फरवरी 2019 में संसद में प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में भारत में लगभग 200  CBMWTFs संचालित हैं, जो कि हमारी वर्तमान आवश्यकता के सापेक्ष बहुत ही कम हैं।
  • NGT की जाँच के अनुसार,  देश में  2.7 लाख स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में से मात्र 1.1 लाख को ही ‘जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016’ के तहत अधिकृत किया गया है।
  • ऐसे में यह आँकड़े वर्तमान में COVID-19 के संक्रमण की प्रकृति को देखते हुए एक गंभीर चुनौती की ओर संकेत करते हैं।
  • वर्तमान में देश के बहुत से छोटे शहरों और कस्बों में अपशिष्ट प्रबंधन के लिये निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जाता है, इन क्षेत्रों में COVID-19 के जैव-चिकित्सा अपशिष्टों का वैज्ञानिक मानकों के तहत निस्तारण न होने से COVID-19 संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

आगे की राह:

  • COVID-19 के संक्रमण को रोकने में मानव संपर्क को कम करने के साथ ही जैव चिकित्सा अपशिष्टों से इस बीमारी के संक्रमण को रोकना बहुत ही आवश्यक है।
  • छोटे कस्बों और नगरों में अपशिष्ट प्रबंधन और निस्तारण में लगे कर्मचारियों को उच्च कोटि के सुरक्षा उपकरणों के साथ ही मानकों के अनुरूप अपशिष्टों के निस्तारण के लिये प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • वर्तमान में COVID-19 से संक्रमित या संक्रमण की संभावना वाले लोगों को क्वारंटीन कैंप या उनके घरों में रखा गया है, अतः ऐसे व्यक्तियों की देखभाल कर रहे लोगों को जैव-चिकित्सा अपशिष्ट और इसके वैज्ञानिक निस्तारण के तरीकों के संदर्भ में जागरूक किया जाना चाहिये।

स्रोत:  द हिंदू      

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2