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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पर्यावरण पर भारी पड़ता विकास

  • 10 Aug 2017
  • 4 min read

संदर्भ
भारत के चार राज्यों के लिये महत्त्वपूर्ण सरदार सरोवर परियोजना का मेधा पाटकर की अगुवाई वाला नर्मदा बचाओ आंदोलन वर्ष 1985 से इसका विरोध कर रहा है। आर्थिक और राजनीतिक विषयों के अलावा इस मुद्दे की कई परतें हैं, जिनमें मानवाधिकार का विषय सबसे महत्त्वपूर्ण है। यह मुद्दा अभी भी जीवित है।

चर्चा में क्यों ?

  • 7 अगस्त, 2017 को मध्य प्रदेश पुलिस ने मेधा पाटकर को उसके कई सहयोगियों के साथ धार ज़िले के चिखल्दा में नर्मदा नदी के नज़दीक सरदार सरोवर परियोजना का विरोध प्रदर्शन करने के कारण जबरन हटा दिया था।

विरोध का प्रमुख कारण

  • नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) द्वारा इस बांध  के विरोध का प्रमुख कारण इसकी ऊँचाई है।
  • जब-जब इस बांध की ऊँचाई बढ़ाई गई है, तब-तब हज़ारों लोगो को इसके आस-पास से विस्थापित होना पड़ता है तथा उनकी आजीविका भी छीन जाती है।
  • एनबीए ने सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न मंचों पर लगातार अपना तर्क रखा है कि इस बांध  के निर्माण के कारण पहले से विस्थापितों की पर्याप्त रूप से क्षतिपूर्ति, पुनर्स्थापन  और पुनर्वास किये बिना इस बांध की ऊँचाई नहीं बढ़ाई जानी चाहिये। 
  • 12 जून, 2014 को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने इस बांध की ऊँचाई को 138.7 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति दी थी।
  • इस अनुमति का विरोध करते हुए मेधा पाटकर और उनके सहयोगियों ने इस बीच दावा किया था कि बांध की ऊँचाई 17 मीटर तक बढ़ाने से मध्य प्रदेश में लगभग दो लाख लोग प्रभावित होंगे। 
  • इसके अलावा एनबीए का कहना था कि सरकार ने एनबीए के जायज़ तर्कों को नज़रअंदाज़ करके यह निर्णय लिया है।     

समिति का गठन

  • फरवरी 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में परियोजना से विस्थापितों के मुआवज़े, पुनर्स्थापन और पुनर्वास की समीक्षा के लिये तीन सदस्यीय समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था।                            

सरदार सरोवर परियोजना : एक नज़र 

  • सरदार सरोवर बांध जिसे आमतौर पर नर्मदा बांध भी कहा जाता है, नर्मदा नदी पर बनने वाले सभी बांधों में यह सबसे बड़ा है।
  • यह गुजरात और महाराष्ट्र  की सीमा पर (मुख्यतः गुजरात में ) स्थित है।
  • मुख्य उद्देश्य- सिंचाई और पनबिजली उत्पन्न करना। 
  • इसके कारण होने वाले विस्थापितों की अधिकांश संख्या मध्य प्रदेश में है। 
  • इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभार्थी राज्य गुजरात है।
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