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सागर परिक्रमा

  • 04 Mar 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सागर परिक्रमा, मत्स्यपालन क्षेत्र, मत्स्यपालन से संबंधित पहल।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, पशुपालन का अर्थशास्त्र, सागर परिक्रमा का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तटीय मछुआरों की समस्याओं को जानने के लिये 'सागर परिक्रमा' का उद्घाटन करेगा।

सागर परिक्रमा:

  • यह सभी मछुआरों, मत्स्य किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिये पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से सभी तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में आयोजित की जाने वाली एक नेविगेशन यात्रा है।
  • इसकी परिकल्पना हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों और मछुआरों का सम्मान करते हुए 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के एक भाग के रूप में की गई है।
  • परिक्रमा पहले चरण में मांडवी, गुजरात से शुरू होगी और बाद के चरणों में गुजरात के अन्य ज़िलों और अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में आयोजित की जाएगी।
    • 'सागर परिक्रमा' का पहला चरण मांडवी से 5 मार्च, 2022 को शुरू होगा और 6 मार्च, 2022 को पोरबंदर में समाप्त होगा।
    • रुक्मावती नदी मध्य कच्छ ज़िले से निकलकर दक्षिण की ओर बहने वाली नदी है और अरब सागर में मिल जाती है।
    • गुजरात के कच्छ ज़िले में अरब सागर तट के मुहाने पर स्थित मांडवी से शुरू होकर, जहाँ रुक्मावती नदी कच्छ की खाड़ी से मिलती है, यह पूरी दूरी समुद्री मार्ग से तय की जाएगी।
    • रुक्मावती नदी मध्य कच्छ ज़िले से निकलने वाली और दक्षिण की ओर बहने वाली नदी है जो अरब सागर में मिल जाती है।
  • इसके तहत तटीय मछुआरों की समस्याओं को जानने के लिये इन स्थानों और ज़िलों में मछुआरों, मछुआरा समुदायों तथा हितधारकों के साथ बातचीत कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।
  • आत्मनिर्भर भारत के तहत सभी मछुआरों, मत्स्य किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता के लिये समुद्र तटीय क्षेत्रों में इसकी परिकल्पना की गई है।

महत्त्व:

  • यह राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा हेतु समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग के साथ स्थायी संतुलन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • महासागर भारतीय तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और आजीविका के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं।
    • देश में 8118 किमी. की तटरेखा है, जो 9 समुद्री राज्यों/4 केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करती है और लाखों तटीय मछुआरों को आजीविका सहायता प्रदान करती है। 

भारत में मत्स्यपालन क्षेत्र का परिदृश्य:

  • भारत विश्व में जलीय कृषि के माध्यम से मछली का दूसरा प्रमुख उत्पादक देश है।
  • भारत विश्व में मछली का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है क्योंकि यह वैश्विक मछली उत्पादन में 7.7% का योगदान देता है।
  • वर्तमान में यह क्षेत्र देश के भीतर 2.8 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है फिर भी  यह अप्रयुक्त क्षमता वाला क्षेत्र है।
  • वर्ष 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, मत्स्यपालन क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 से 10.87% की औसत वार्षिक वृद्धि का प्रदर्शन किया है, जिसमें 2020-21 के दौरान 145 लाख टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन हुआ है।
  • पिछले 5 वर्षों के दौरान भारतीय मत्स्यपालन और जलीय कृषि क्षेत्र में 7.53% की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। देश ने वर्ष 2019-20 के दौरान 46,662 करोड़ रुपए (6.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) मूल्य के 12.89 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादों का निर्यात किया।
  • बुनियादी ढाँचे से संबंधित चुनौतियों के बावजूद हाल के कुछ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा किये गए उपायों ने सुनिश्चित किया है कि मत्स्यपालन क्षेत्र 10% से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर को जारी रखे।

मत्स्यपालन से संबंधित पहलें क्या हैं?

स्रोत: पी.आई.बी.

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