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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

‘क्लस्टर बम’ और ‘थर्मोबैरिक हथियार’

  • 04 Mar 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्लस्टर बम, थर्मोबैरिक हथियार।

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और समझौते, यूक्रेन पर रूस का आक्रमण।

चर्चा में क्यों?

मानवाधिकार समूहों- ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ और ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने रूस पर आरोप लगाया है कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध में रूस द्वारा क्लस्टर बम’ और ‘वैक्यूम बम’ का उपयोग किया जा रहा है।

  • एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून ‘क्लस्टर हथियारों’ के इस्तेमाल पर रोक लगाते हैं। नागरिकों को मारने या घायल करने वाले अंधाधुंध हमले करना एक युद्ध अपराध है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून नियमों का एक समूह है जो सशस्त्र संघर्ष के प्रभावों को सीमित करना चाहता है। यह उन लोगों की रक्षा करता है, जो युद्ध में हिस्सा नहीं ले रहे हैं और साथ ही युद्ध के साधनों एवं तरीकों को भी प्रतिबंधित करता है।

क्लस्टर युद्ध सामग्री क्या है?

  • क्लस्टर युद्ध सामग्री का अर्थ ऐसी ‘पारंपरिक युद्ध सामग्री से है, जिसे 20 किलोग्राम से कम वज़न वाले विस्फोटक सबमिशन के लिये डिज़ाइन किया गया है और इसमें विस्फोटक सबमिशन शामिल हैं।
  • क्लस्टर युद्ध सामग्री मूल रूप से ऐसे गैर-सटीक हथियार हैं, जिन्हें एक बड़े क्षेत्र में अंधाधुंध रूप से मनुष्यों को घायल करने या मारने और रनवे, रेलवे या पावर ट्रांसमिशन लाइनों जैसे बुनियादी ढाँचे को नष्ट करने के लिये डिज़ाइन किया जाता है।
  • इन्हें एक विमान के माध्यम से गिराया जा सकता है या एक प्रक्षेप्य में लॉन्च किया जा सकता है।
  • इनमें से कई बमों में विस्फोट नहीं होता है, लेकिन ये ज़मीन पर पड़े रहते हैं, अक्सर आंशिक रूप से या पूरी तरह से ज़मीन में लुप्त हो जाते हैं और उनका पता लगाना व उन्हें निकालना मुश्किल होता है, जो लड़ाई बंद होने के बाद लंबे समय तक नागरिक आबादी के लिये खतरा पैदा करते हैं।
  • क्लस्टर युद्ध सामग्री पर कन्वेंशन विशेष रूप से "क्लस्टर युद्ध सामग्री अवशेष" की पहचान करता है जिसमें "विफल क्लस्टर युद्ध सामग्री, परित्यक्त क्लस्टर युद्ध सामग्री, गैर-विस्फोटित पनडुब्बी और बिना विस्फोट वाले बम" शामिल हैं।

थर्मोबैरिक हथियार:

  • थर्मोबैरिक हथियार (Thermobaric Weapons) जिन्हें एरोसोल बम, ईंधन वायु विस्फोटक या वैक्यूम बम के रूप में भी जाना जाता है, एक उच्च तापमान वाले बड़े विस्फोट के लिये वायु से ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं।
  • थर्मोबैरिक हथियार पारंपरिक बम की तुलना में काफी अधिक विनाशकरी होते है।
  • ये हथियार, जो कि दो अलग-अलग चरणों में होते हैं, टैंक-माउंटेड लॉन्चर से रॉकेट के रूप में दागे जा सकते हैं या विमान से गिराए जा सकते हैं।
  • अपने लक्ष्य को भेदने के दौरान पहला विस्फोट बम के ईंधन कंटेनर को खोल देता है, जिससे ईंधन और धातु के कणों से बादल (धुआँ का गुबार) का निर्माण होता है जो एक बड़े क्षेत्र में फैल जाता है।
  • दूसरा विस्फोट तब होता है जब एयरोसोल कण को आग की एक विशाल गेंद की तरह प्रज्वलित करता है तथा तीव्र विस्फोट तरंगें भेजता है जो प्रबलित इमारतों या उपकरणों को भी नष्ट कर सकता है और मनुष्यों को वाष्पीकृत कर सकता है।

क्लस्टर युद्ध सामग्री पर कन्वेंशन:

  • क्लस्टर युद्ध सामग्री पर कन्वेंशन संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाया गया एक कानूनी साधन है जो क्लस्टर युद्ध सामग्री के सभी प्रकार के उपयोग, उत्पादन, हस्तांतरण और भंडारण को प्रतिबंधित करता है।
  • यह जीवित बचे हुए लोगों और समुदायों को पर्याप्त सहायता, दूषित क्षेत्रों से निकासी, ज़ोखिम में कमी करने की शिक्षा एवं भंडार को नष्ट करने के लिये सहयोग और सहायता हेतु एक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • वर्ष 2008 में इसे डबलिन, आयरलैंड में अपनाया गया तथा ओस्लो, नॉर्वे में हस्ताक्षर के लिये खोला गया था। 30 देशों के अनुसमर्थन की आवश्यकता पूरी होने के बाद यह वर्ष 2010 में लागू किया गया।
  • वर्तमान में अभिसमय/कन्वेंशन में 110 राज्य दल और 13 हस्ताक्षरकर्त्ता देश शामिल हैं।
  • कन्वेंशन की पुष्टि करने वाले देश क्लस्टर युद्ध सामग्री का उपयोग करने के लिये बाध्य नहीं हैं और न ही विकसित, उत्पादित, अधिग्रहीत क्लस्टर युद्ध सामग्री को स्थानांतरित करने के लिये बाध्य हैं।
  • भारत ने इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किये है और न ही इसका पक्षकार है। अमेरिका, रूस, चीन, पाकिस्तान, इज़रायल और कुछ अन्य देश इसमें शामिल नहीं हैं।
  • वैक्यूम बम (Vacuum Bombs) किसी भी अंतर्राष्ट्रीय कानून या समझौते द्वारा निषिद्ध नहीं हैं, लेकिन निर्माण क्षेत्रों, स्कूलों या अस्पतालों तथा नागरिक आबादी के खिलाफ इनका उपयोग वर्ष 1899 और वर्ष 1907 के हेग सम्मेलनों के तहत की गई कार्रवाई को बढ़ावा दे सकता है।
    • हेग कन्वेंशन अंतर्राष्ट्रीय संधियों की एक शृंखला है जिसे वर्ष 1899 और वर्ष 1907 में नीदरलैंड के हेग में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से जारी किया गया था। यह युद्ध के पारंपरिक नियमों का सख्ती के साथ अनुपालन तथा उन नियमों
    • को परिभाषित करता है जिनका युद्ध के दौरान युद्धरत पक्षों द्वारा पालन किया जाना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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