रैपिड फायर
रूबेला
- 22 Aug 2025
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आधिकारिक तौर पर नेपाल को रूबेला मुक्त घोषित कर दिया है।
रूबेला
- परिचय: रूबेला (जर्मन मीज़ल्स) एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है, जो रुबेला वायरस (एक आवरणयुक्त सिंगल स्ट्रैंडेड RNA वायरस) के कारण होता है। यह हल्का बुखार और चकत्ते (Rash) उत्पन्न करता है।
- जोखिम और प्रभाव: बच्चों और वयस्कों में यह हल्का होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिये गंभीर जोखिम पैदा करता है। इससे गर्भपात, मृत शिशु जन्म या शिशुओं में जन्मजात रुबेला सिंड्रोम (CRS) हो सकता है।
- CRS के कारण शिशुओं में बहरापन, मोतियाबिंद, हृदय दोष और विकास संबंधी विलंब उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे रूबेला विश्वभर में रोकी जा सकने वाली जन्मजात दिव्यांगताओं के प्रमुख कारणों में से एक है।
- महामारी विज्ञान या जानपदिक रोगविज्ञान (Epidemiology) वर्ष 2022 में 78 देशों में कुल 17,865 मामले दर्ज किये गए।
- वर्ष 2024 में 14.3 मिलियन बच्चों को कोई भी टीकाकरण नहीं मिला और केवल 84% शिशुओं को खसरे के टीके की पहली खुराक दी गई।
- रोकथाम और टीकाकरण: खसरा-रूबेला (MR) वैक्सीन सबसे प्रभावी रोकथाम उपाय है। इसे 2 खुराकों में दिया जाता है, जिससे रूबेला और उससे जुड़ी जटिलताओं के खिलाफ दीर्घकालिक प्रतिरक्षा विकसित होती है।
रूबेला उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति
- मुख्य पहल: सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान (2025-26) का लक्ष्य वर्ष 2026 तक भारत से खसरा और रूबेला (M-R) को 100% टीकाकरण कवरेज के माध्यम से समाप्त करना है।
- अन्य पहलों में मिशन इंद्रधनुष और सघन मिशन इंद्रधनुष शामिल हैं।
- MR टीकाकरण कवरेज: वर्ष 2024–25 तक, 90% से अधिक बच्चों को MR टीके की दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं।
- ज़िला-स्तरीय उपलब्धियाँ: जनवरी–मार्च 2025 के बीच, 332 ज़िले खसरा-मुक्त और 487 ज़िले रुबेला-मुक्त घोषित किये गए।
और पढ़ें: खसरा और रूबेला, राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान |