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भारत में सड़क दुर्घटनाएँ

  • 04 Jan 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सड़क सुरक्षा, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019

मेन्स के लिये:

सड़क सुरक्षा: कारण, प्रभाव, उठाए जा सकने वाले कदम

चर्चा में क्यों? 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के अनुसार, प्रत्येक दिन 415 मौतों और कई घायलों के साथ भारतीय सड़क दुर्घटना परिदृश्य, कोविड-19 की तुलना में अधिक गंभीर है।

Accident-death-2021

भारत में सड़क दुर्घटना परिदृश्य:

  • वर्तमान स्थिति:  
    • वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाओं की वजह से 1.5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, और यह प्रवृत्ति कई वर्षों से रही है।
    • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के वर्ष 2021 के आँकड़ों के अनुसार, सड़क  दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में नशीली दवाओं/शराब के नशे में ड्राइविंग से होने वाली मौतों का हिस्सा 1.9% है। 
    • इसके अलावा सड़क पर लगभग 90% मौतें तेज़ गति, ओवरटेकिंग और खतरनाक ड्राइविंग के कारण हुईं।
    • विश्व बैंक के वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, भारत सड़क दुर्घटनाओं के लिये शीर्ष 20 देशों में पहले स्थान पर है।
  • कारण: 
    • बुनियादी ढांँचे की कमी: सड़कों और वाहनों की दयनीय स्थिति, खराब दृश्यता, खराब सड़क डिज़ाइन और इंजीनियरिंग सामग्री तथा निर्माण की गुणवत्ता में कमी, विशेष रूप से तीव्र मोड़ के साथ सिंगल-लेन।
    • लापरवाही और जोखिम: ओवर स्पीडिंग, शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग, थकान या बिना हेलमेट के सवारी, सीटबेल्ट के बिना ड्राइविंग आदि।
    • ध्यान भंग: ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करना सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बन गया है।
    • ओवरलोडिंग: परिवहन लागत की बचत करने के लिये।
    • भारत में कमज़ोर वाहन सुरक्षा मानक: वर्ष 2014 में ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) द्वारा किये गए क्रैश टेस्ट से पता चला है कि भारत के कुछ सबसे अधिक बिकने वाले कार मॉडल संयुक्त राष्ट्र (UN) के फ्रंटल इम्पैक्ट क्रैश टेस्ट में विफल रहे हैं।
    • जागरूकता की कमी: एयरबैग, एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि जैसी सुरक्षा सुविधाओं के महत्त्व के बारे में जागरूकता की कमी है।
  • प्रभाव: 
    • आर्थिक: 
      • विश्व बैंक के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रत्येक वर्ष सकल घरेलू उत्पाद का 3 से 5 प्रतिशत नुकसान होता है। 
    • सामाजिक:
      • परिवारों पर बोझ:
        • सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु की वजह से गरीब परिवारों की लगभग सात माह की घरेलू आय कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित परिवार गरीबी और कर्ज़ के चक्र में फँस जाता है। 
      • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (Vulnerable Road Users- VRUs):
        • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (Vulnerable Road Users- VRUs) वर्ग द्वारा दुर्घटनाओं के बड़े बोझ को सहन किया जाता है। देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों और गंभीर चोटों के कुल मामलों में से आधे से अधिक हिस्सेदारी VRUs वर्ग की है।
          • इसमें गरीब विशेष रूप से कामकाज़ी उम्र के पुरुष जिनके द्वारा सड़क का उपयोग किया जाता है, शामिल हैं।
      • लिंग विशिष्ट प्रभाव: 
        • पीड़ित गरीब और अमीर दोनों घरों में परिवार की महिलाएँ समस्याओं का सामना करती हैं, अक्सर वे अतिरिक्त काम करती हैं, अधिक ज़िम्मेदारियाँ लेती हैं और देखभाल करने वाली गतिविधियों में संलग्न रहती हैं।
        • विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार "ट्रैफिक क्रैश इंजरी एंड डिसएबिलिटीज़: द बर्डन ऑन इंडियन सोसाइटी, 2021।  
          • लगभग 50% महिलाएँ दुर्घटना के बाद अपनी घरेलू आय में गिरावट के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुईं।
          • लगभग 40% महिलाओं ने दुर्घटना के बाद अपने काम करने के तरीके में बदलाव की सूचना दी, जबकि लगभग 11% ने वित्तीय संकट से निपटने के लिये अतिरिक्त काम करने की सूचना दी।
          • कम आय वाले ग्रामीण परिवारों (56%) की आय में गिरावट निम्न-आय वाले शहरी (29.5%) और उच्च आय वाले ग्रामीण परिवारों (39.5%) की तुलना में सबसे गंभीर थी।

इस संबंध में उठाए गए कदम: 

  • मोटर वाहन/MV (संशोधन) अधिनियम, 2019 संबंधी मुद्दे: मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने यातायात नियमों के उल्लंघन के लिये मौजूदा ज़ुर्माने को बढ़ा दिया, जिसकी आलोचना की गई कि एक औसत भारतीय की (ज़ुर्माना) भुगतान क्षमता अभी भी सीमित है।
    • साथ ही यातायात नियमों के उल्लंघन के कुछ ही मामले अभियुक्तों द्वारा न्यायालय तक लाए जाते हैं। 
    • इसलिये संशोधित कानून के निवारक प्रावधानों के अपेक्षित प्रभाव को ज़मीनी स्तर पर नहीं देखा जा सका। 
  • सड़क सुरक्षा क्षेत्र: छोटे क्षेत्रों, प्रमुख सड़कों और राजमार्गों के हिस्सों को "आदर्श" सड़क सुरक्षा क्षेत्र के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है। ये क्षेत्र स्थानीय रूप से उपयुक्त, अधिक सुरक्षित सड़क व्यवस्था विकसित करने में मदद करेंगे। 
  • नवीन प्रशासनिक ढाँचा: सड़क सुरक्षा के कार्यान्वयन के लिये प्रशासनिक ढाँचे को तीन स्तरों में बाँटा जा सकता है:
    • टीयर 1: प्रबंध समूह (MG) होगा, जो दिन-प्रतिदिन के कार्यों को देखेगा और स्वायत्त एवं वित्तीय रूप से सशक्त होगा।
    • टियर 2: इसकी ज़िला स्तरीय निगरानी होगी। यहीं पर तत्काल समाधान की मांग की जाएगी, बजटीय आवंटन किया जाएगा और समीक्षा के तरीके तय किये जाएंगे। यह लक्ष्यों का पालन सुनिश्चित करेगा।
    • टियर 3: इसका शीर्ष प्रबंधन और नियंत्रण होगा, जिसका प्रतिनिधित्त्व केंद्र या राज्य सरकार के स्तर पर होगा।
  • स्पीड-डिटेक्शन डिवाइस: स्पीड डिटेक्शन डिवाइसेज़ जैसे- रडार और स्पीड डिटेक्शन कैमरा सिस्टम की स्थापना शुरू की जा सकती है।
    • चंडीगढ़ और नई दिल्ली ने ट्रैफिक कंट्रोल में स्पीड डिटेक्शन डिवाइस जैसे डिजिटल स्टिल कैमरा (चंडीगढ़), स्पीड कैमरा (नई दिल्ली) तथा रडार गन (नई दिल्ली) की सेवा पहले ही लागू कर दी है।
      • इसका उपयोग किसी गुज़रते हुए वाहन की गति का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है।
  • बेहतर सुरक्षा उपाय: स्पीड हंप, उठे हुए प्लेटफॉर्म, गोल चक्कर और ऑप्टिकल मार्किंग से सड़क दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • बेहतर केंद्र-राज्य समन्वय: यही सही समय है कि हम महसूस करें कि यातायात कानूनों के खराब प्रवर्तन की कीमत पर जीवन नहीं खोया जा सकता है। 
    • राज्यों के बुनियादी ढाँचे में सुधार और मबूती लाने के लिये राज्यों एवं केंद्र का अधिक निधियों से सशक्त होकर एक मंच पर आना अतिमहत्त्वपूर्ण  है।
    • सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिये केवल लक्ष्य तय करना एक व्यावहारिक दृष्टिकोण नहीं है। उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये समर्पित प्रयास करना भी आवश्यक है।

सड़क सुरक्षा से संबंधित पहल:

  • वैश्विक:
    • सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया (Brasilia) घोषणा (2015): 
      • ब्राज़ील में आयोजित दूसरे वैश्विक उच्च स्तरीय सम्मेलन में सड़क सुरक्षा घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे। भारत इस घोषणापत्र का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
      • देशों की सतत् विकास लक्ष्य 3.6 हासिल करने की योजना है, यानी 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों और क्षति की संख्या को आधा करना।
    • सड़क सुरक्षा के लिये कार्य दशक 2021-2030:
      • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सड़क यातायात से होने वाली मौतों और क्षति को 2030 तक कम-से-कम 50% रोकने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ "वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार" का संकल्प अपनाया। 
      • यह वैश्विक योजना सड़क सुरक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर बल देते हुए स्टॉकहोम घोषणा के अनुरूप है। 
    • अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP): 
      • यह एक पंजीकृत चैरिटी है जो सुरक्षित सड़कों के माध्यम से लोगों की जान बचाने के लिये समर्पित है।
  • भारत: 
    • मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019: 
      • यह अधिनियम यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, नाबलिकों द्वारा वाहन चलाने आदि के लिये दंड की मात्रा में वृद्धि करता है।
      • यह अधिनियम मोटर वाहन दुर्घटना हेतु निधि प्रदान करता है जो भारत में कुछ विशेष प्रकार की दुर्घटनाओं पर सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज प्रदान करता है।
      • अधिनियम एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड को मंज़ूरी प्रदान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से स्थापित किया जाना है।
    • सड़क मार्ग द्वारा वहन अधिनियम, 2007
      • यह अधिनियम सामान्य माल वाहकों के विनियमन से संबंधित प्रावधान करता है, उनकी देयता को सीमित करता है और उन्हें वितरित किये गए माल के मूल्य की घोषणा करता है ताकि ऐसे सामानों के नुकसान या क्षति के लिये उनकी देयता का निर्धारण किया जा सके, जो लापरवाही या आपराधिक कृत्यों के कारण स्वयं, उनके नौकरों या एजेंटों के कारण हुआ हो। 
    • राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000:
      • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के भीतर भूमि का नियंत्रण, रास्ते का अधिकार और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात का नियंत्रण करने संबंधी प्रावधान प्रदान करता है, साथ ही उन पर अनधिकृत कब्ज़े को हटाने का भी प्रावधान करता है।
    • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998: 
      • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये एक प्राधिकरण के गठन तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों से संबंधित प्रावधान प्रस्तुत करता है।

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस

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