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भारतीय अर्थव्यवस्था

COVID-19 से संबंधित तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिये RBI द्वारा एक संकल्प योजना

  • 10 Sep 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

के.वी. कामथ समिति, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च

मेन्स के लिये

COVID-19 के मद्देनज़र संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था में सुधार लाने हेतु किये गए आधिकारिक प्रयास

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 26 क्षेत्रों में COVID-19 के मद्देनज़र तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान के लिये पाँच वित्तीय अनुपात (Fi­nan­cial Ra­tios) और क्षेत्र-विशिष्ट सीमाएँ निर्दिष्ट की हैं।

प्रमुख बिंदु: 

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की यह संकल्प योजना (Resolution Plan) के.वी. कामथ समिति की सिफारिशों पर आधारित है।

के.वी. कामथ समिति:

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने COVID-19 से प्रभावित ऋणों के पुनर्गठन पर के. वी. कामथ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था।
  • इस समिति को कॉर्पोरेट ऋणों के एकमुश्त पुनर्गठन के लिये मापदंडों की सिफारिश करने का कार्य सौंपा गया था।
  • इस समिति ने उन सभी खातों के लिये क्षेत्र-विशिष्ट संकल्प योजना तैयार की है जिनके पास कुल 1500 करोड़ रुपए या इससे अधिक का ऋण बकाया है।
  • COVID-19 महामारी से प्रभावित ऋणों के पुनर्गठन में विचार किये जाने वाले पाँच वित्तीय अनुपात निम्नलिखित हैं: 
    a. समायोजित मूर्त निवल मूल्य और कुल व्यक्तिगत देयता अनुपात (Total Outside Liability to Adjusted Tangible Net Worth Ratio-TOL/TNW): यह अनुपात लंबी अवधि के ऋण, अल्पकालिक ऋण, वर्तमान देनदारियों एवं प्रावधानों को जोड़कर इसमें कर देयता को घटाने के बाद प्राप्त निवल परिणाम में निवेश एवं ऋण के मूर्त निवल मूल्य से विभाजित करने के बाद प्राप्त होता है। यह कंपनी के कुल निवल मूल्य पर कंपनी के वित्तीय लाभ उठाने का संकेत देता है।
    b. कुल ऋण और EBIDTA अनुपात (To­tal debt to EBIDTA Ratio): यह अनुपात कुल ऋण में ब्याज, मूल्यह्रास, कर एवं परिशोधन से पहले अर्जित की गई आय (Earnings Before Interest, Depreciation, Taxes and Amortisation- EBIDTA) से विभाजित करने से प्राप्त परिणाम को दर्शाता है। यह अनुपात किसी कंपनी की नकद स्थिति को उसके ऋण का भुगतान करने का संकेत देता है। उच्च अनुपात का मतलब है कि कंपनी अधिक लाभ की स्थिति में है।
    c. चालू अनुपात (Cur­rent Ra­tio): यह अनुपात चालू संपत्ति (Cur­rent As­sets) में चालू देनदारियों (Cur­rent Li­a­bil­i­ties) से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है। चालू अनुपात एक वर्ष के अंतर्गत कंपनी के अल्पकालिक ऋण एवं अन्य देनदारियों का भुगतान करने की क्षमता को इंगित करता है।
    d. ऋण सेवा कवरेज अनुपात (Debt Ser­vice Cov­er­age Ra­tio): यह चालू ऋण का भुगतान करने के लिये उपलब्ध नकदी को दर्शाता है।
    e. औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात (Av­er­age Debt Ser­vice Cov­er­age Ra­tio)
  • RBI द्वारा निर्दिष्ट 26 क्षेत्रों में ऑटोमोबाइल, बिजली, पर्यटन, सीमेंट, रसायन, रत्न एवं आभूषण, लॉजिस्टिक्स, खनन, विनिर्माण, रियल एस्टेट एवं शिपिंग आदि शामिल हैं।
  • इस ढाँचे के तहत RBI की यह योजना केवल उन उधारकर्त्ताओं के लिये लागू होती है जो COVID-19 से प्रभावित हुए हैं।
    • केवल वे उधारकर्त्ता जिन्हें एक मानक के तहत 1 मार्च, 2020 तक 30 दिनों से कम बकाया के साथ वर्गीकृत किया गया था, RBI के इस फ्रेमवर्क के तहत पात्र हैं।
    • इस संकल्प योजना में उधारकर्त्ता की COVID-19 के पहले की संचालन एवं वित्तीय स्थिति तथा उनके संचालन एवं वित्तीय प्रदर्शन पर COVID-19 के प्रभाव को भी ध्यान में रखा जाएगा।   

श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण (Graded Ap­proach):

  • ऋण देने वाली संस्थाएँ अपने विवेकानुसार, इस योजना को लागू करते समय उधारकर्त्ताओं पर COVID-19 प्रभाव की गंभीरता के आधार पर एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण अपना सकती हैं।
    • कामथ समिति की सिफारिशों के अनुसार, इन्हें निम्न, मध्यम एवं गंभीर श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है।
    • निम्न एवं मध्यम तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिये सरलीकृत पुनर्गठन किया जा सकता है जबकि गंभीर तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के मामलों में व्यापक पुनर्गठन की आवश्यकता होगी।

पृष्ठभूमि: 

  • RBI ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में COVID-19 से प्रभावित कंपनियों को राहत देने के लिये कई कदम उठाए हैं।
  • इसने उधारदाताओं को 1 मार्च से 31 मई, 2020 के मध्य जारी होने वाली वाली मासिक किस्तों (EMI) पर तीन महीने के लिये ऋण स्थगन की अनुमति दी। बाद में, इसे 31 अगस्त, 2020 तक तीन महीने के लिये बढ़ा दिया गया।
  • ‘इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च’ (India Ratings and Research) की एक रिपोर्ट के अनुसार, रियल एस्टेट, एयरलाइंस, होटल एवं अन्य क्षेत्रों से ऋण के एक उच्च अनुपात का पुनर्गठन किया गया था जिसमें सबसे बड़ा योगदान बुनियादी ढाँचे, बिजली एवं विनिर्माण से था।
    • इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है जो भारत के क्रेडिट बाज़ार के बारे में क्रेडिट राय प्रदान करती है।
  • इस रणनीति के तहत बैंकों द्वारा 8.4 लाख करोड़ रुपए तक के ऋण पुनर्गठन की संभावना है।
  • वित्त वर्ष 2021 में कॉरपोरेट क्षेत्र से पुनर्गठन मात्रा बैंकिंग ऋण की 3% से 5.8% के बीच हो सकती है जिसकी राशि 3.3-6.3 लाख करोड़ रुपए होगी। 
  • RBI की इस घोषणा के बाद कम-से-कम 210,000 करोड़ रुपए (बैंक ऋण का 1.9%) के गैर-कॉर्पोरेट ऋणों के पुनर्गठन की संभावना है जो अन्यथा गैर-निष्पादित परिसंपत्ति श्रेणी में चले गए होंगे।

आगे की राह:

  • ऋण पुनर्गठन एक अस्थायी कदम होना चाहिये क्योंकि इसे लंबे समय तक जारी रखने से मुद्रास्फीति में वृद्धि, मुद्रा संकट एवं खराब ऋणों के संचय के कारण वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। यह महत्त्वपूर्ण है कि COVID-19 के बाद विनियामक उपायों को बहुत सावधानीपूर्वक एवं व्यवस्थित तरीके से लागू किया जाना चाहिये जिससे वित्तीय क्षेत्र नए मानदंडों के रूप में नियामक छूटों पर भरोसा किये बिना सामान्य कामकाज पर लौट सके।

स्रोत: द हिंदू

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