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भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति

  • 16 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा भंडार 

मेन्स के लिये:

विदेशी मुद्रा भंडार में उतार-चढाव से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत में ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ (Foreign Exchange Reserves) पहली बार 500 बिलियन डॉलर के आँकड़े को पार कर गया है।

प्रमुख बिंदु:

Half-a-Trillion-Mark

  • गौरतलब है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जून के प्रथम सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 8.2 बिलियन डॉलर बढ़ गया, जो कि सितंबर 2007 के बाद से सबसे बड़ी साप्ताहिक छलांग है।
  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (Foreign Currency Assets- FCAs) जो ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ का प्रमुख घटक है, में 8.42 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी के कारण अब यह 463.63 बिलियन डॉलर हो गया है।
  • 5 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में 329 मिलियन डॉलर के कमी के कारण अब यह 32.352 बिलियन डॉलर हो गया है।
  • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights) बढ़कर 1.44 बिलियन डॉलर (10 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी) हो गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) में आरक्षित निधि बढ़कर 4.28 बिलियन डॉलर (120 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी) हो गई है।
  • ध्यातव्य है कि 6, मार्च 2020 तक विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर 487.23 बिलियन डॉलर पर था। 
  • ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ में वृद्धि मुख्य रूप से ‘विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति’ (Foreign Currency Assets- FCAs) में वृद्धि के कारण हुई है।
  • मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, केंद्रीय बैंक द्वारा हस्तक्षेप तथा मुद्रा पुनर्मूल्यांकन के माध्यम से लाभ के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में तेज़ वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत के पास लगभग 14 महीनों के आयात को पूरा करने के लिये पर्याप्त भंडार है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में अब तक विदेशी मुद्रा भंडार 40 बिलियन डॉलर बढ़ गया, जबकि रुपए में इसी अवधि के दौरान 6% की गिरावट आई है। यह दर्शाता है कि भारतीय मुद्रा की गिरावट को रोकने हेतु RBI मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करने को लेकर गंभीर नहीं है।

विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves):

  • किसी देश/अर्थव्यवस्था के पास उपलब्ध कुल विदेशी मुद्रा उसकी विदेशी मुद्रा संपत्ति/भंडार कहलाती है। 
  • किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित 4 तत्त्व शामिल होते हैं-
    • विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाॅण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा में)
    • स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)
    • IMF के पास रिज़र्व कोष (रिज़र्व ट्रैंच)
    • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDR)

विशेष आहरण अधिकार

(Special Drawing Rights-SDR):

  • विशेष आहरण अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) की मुद्रा है। IMF ने इसे वर्ष 1969 में अपनाने का निर्णय लिया और वर्ष 1970 से मुद्रा के रूप में अपनाया।
  • व्यवहार में SDR के सिक्के या नोट चलन में नहीं होते, IMF इसे केवल अपने हिसाब-किताब के बही खाते में रखता है। इसलिये इसे लेखा मुद्रा, पेपर मुद्रा या कृत्रिम मुद्रा भी कहते हैं।
  • SDR का मूल्य, बास्केट ऑफ करेंसी में शामिल मुद्राओं के औसत भार के आधार पर किया जाता है। वर्तमान में बास्केट ऑफ करेंसी में 5 मुद्राएँ शामिल हैं-
    • अमेरिकी डॉलर 
    • जापानी येन 
    • यूरो
    • ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग 
    • चीनी रेमिंबी (RMB) 

स्रोत: द हिंदू

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