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भारतीय अर्थव्यवस्था

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के लिये RBI दिशा-निर्देश

  • 27 Apr 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ, सिडबी, नाबार्ड, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA), सरफेसी अधिनियम (2002)

मेन्स के लिये:

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, बैंकिंग क्षेत्र तथा गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों का महत्त्व।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों? 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 24 अप्रैल, 2024 से प्रभावी परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) के लिये अद्यतन दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार करते हुए एक निर्देश जारी किया है।

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARC) के लिये RBI दिशा-निर्देश क्या हैं ?

  • न्यूनतम पूंजी आवश्यकता में वृद्धि:
    • ARCs को पहले 100 करोड़ रुपए की न्यूनतम पूंजी की आवश्यकता होती थी; इस आवश्यकता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
    • मौजूदा ARCs को 31 मार्च, 2026 तक 300 करोड़ रुपए की नई न्यूनतम शुद्ध स्वामित्व वाली निधि (NOF) सीमा तक पहुँचने के लिये एक संक्रमण अवधि दी गई है।
      • उच्च पूंजी आवश्यकता की दिशा में परिवर्तन के हिस्से के रूप में ARC को 31 मार्च, 2024 तक न्यूनतम 200 करोड़ रुपए की पूंजी सुनिश्चित करनी होगी।
    • यदि उपरोक्त किसी भी चरण को पूरा नहीं किया जाता है, तो गैर-अनुपालन करने वाले ARCs को पर्यवेक्षी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, जिसमें नए व्यवसाय को लेने पर प्रतिबंध शामिल हो सकता है जब तक कि वह उस बिंदु पर प्रभावी न्यूनतम NOF को पूरा नहीं कर लेता।
  • बॉण्ड समाधान आवेदक के रूप में पात्रता:
  • निवेश के अवसर: 

परिसंपत्ति पुनर्निमाण कंपनी (Asset Reconstruction Company- ARC) क्या हैं?

Asset_Reconstruction_Company

  • कार्य: 
    • SARFAESI अधिनियम, 2002 द्वारा अधिकार प्राप्त ARC संकटग्रस्त परिसंपत्तियों की वसूली और परिवर्त्तन में विशेषज्ञता रखते हैं। 
      • वे ऋणदाताओं से नकद या नकदी और प्रतिभूति प्राप्तियों के संयोजन के माध्यम से खराब ऋण (Bad Debt) लेते हैं।
  • व्यापार मॉडल:
    • लचीले ऋणों का अधिग्रहण: ऋणदाता ARC को लचीले ऋणों को छूट पर बेचते हैं, जिससे नए ऋणों पर ध्यान केंद्रित करने के लिये उनके संसाधन मुक्त हो जाते हैं। 
    • प्रतिभूति की प्राप्ति (Security Receipt): ARC ऋणदाताओं को प्रतिभूति प्राप्ति जारी करती हैं, जिन्हें विशिष्ट ऋण की वसूली पर भुनाया जा सकता है।
      • वे वार्षिक परिसंपत्ति मूल्य का 1.5% से 2% का प्रबंधन शुल्क भी लेते हैं और बिक्री वित्तीय संस्थानों (Selling Financial Institution) के साथ साझा करते हुए वसूली से कमाई करते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • ARC अक्सर पुराने NPA से निपटते हैं, जो लंबे समय तक चूक के कारण मूल्यांकन और वसूली के मामले में चुनौतियाँ पेश करते हैं।
    • कई उधारदाताओं से एक ही उधारकर्त्ता पर ऋण एकत्र करना जटिल हो सकता है, जिसके लिये विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय और समझौते की आवश्यकता होती है।
    • ARC को अपनी बैलेंस शीट पर धन जुटाने, संकटग्रस्त संपत्तियों को हासिल करने की क्षमता सीमित करने या पुनरुद्धार के लिये उधारकर्त्ताओं को आवश्यक सहायता प्रदान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    • अधिग्रहण और पुनर्प्राप्ति उद्देश्यों के लिये संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का खासकर जब अशिक्षित या जटिल परिसंपत्तियों से निपटना हो, उचित मूल्य निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • RBI द्वारा ARC विनियमों में हालिया परिवर्तन:
    • कॉरपोरेट प्रशासन को मज़बूत करना: ARC में कॉरपोरेट प्रशासन को बढ़ाने के लिये RBI ने आदेश दिया कि बोर्ड के अध्यक्ष और बोर्ड बैठक में कम-से-कम आधे निदेशक स्वतंत्र निदेशक होने चाहिये।
    • बढ़ी हुई पारदर्शिता: ARC को सुरक्षा रसीद निवेशकों के लिये उत्पन्न रिटर्न पर अपने ट्रैक रिकॉर्ड का खुलासा करना और पारदर्शिता में सुधार के लिये पिछले आठ वर्षों में शुरू की गई योजनाओं के लिये रेटिंग एजेंसियों के साथ जुड़ना आवश्यक है।
    • निवेश आवश्यकताएँ: ARC को प्रतिभूति प्राप्तियों (SR) में ऐसी प्राप्तियों में हस्तांतरणकर्त्ताओं के निवेश का कम-से-कम 15% या जारी की गई कुल प्राप्तियों का 2.5%, सभी मामलों में कुल प्रतिभूति प्राप्तियों के 15% की पिछली आवश्यकता के विपरीत, जो भी अधिक हो।

सरफेसी अधिनियम, 2002

Role_of_SARFAESI_Act_2002

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारतीय वित्तीय परिदृश्य में परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (Asset Reconstruction Companies) के सामने आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिये और उन्हें प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के उपाय सुझाइए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संचालन के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. पिछले दशक में भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी के अंतर्वेशन में लगातार वृद्धि हुई है।
  2.  सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुव्यवस्थित करने के लिये मूल भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसके सहयोगी बैंकों का विलय किया गया है।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1    
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों   
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • सरकार ने क्रेडिट विस्तार का समर्थन करने और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के लिये किये जाने वाले प्रावधानों से होने वाले नुकसान से निपटने में मदद हेतु राज्य के स्वामित्त्व वाले बैंकों में पूंजी अंतर्वेशन का कार्य किया है। 
  • परंतु सरकारी बैंकों में पूंजी अंतर्वेशन का चलन किसी एक दिशा में विशिष्ट नहीं रहा है, यह बढ़ता- घटता रहा है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • फरवरी 2017 में केंद्र सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ भारतीय महिला बैंक और पाँच सहयोगी बैंकों के विलय को मंज़ूरी दी थी। विलय का उद्देश्य सार्वजनिक बैंक संसाधनों का युक्तिकरण, लागत में कमी, बेहतर लाभप्रदता और जनता के लिये ब्याज की बेहतर दर के लिये धन की कम लागत तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की उत्पादकता एवं ग्राहक सेवा में सुधार करना था। संसद ने सार्वजनिक बैंक के युक्तिकरण को प्रभावित करने के लिये भारतीय स्टेट बैंक के साथ छह सहायक बैंकों का विलय करने हेतु स्टेट बैंक (निरसन और संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया।  अतः कथन 2 सही है।

प्रश्न. भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)

  1. वे सरकार द्वारा जारी प्रतिभूतियों के अधिग्रहण में शामिल नहीं हो सकतीं।
  2.  वे बचत खाते की तरह मांग जमा स्वीकार नहीं कर सकतीं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और ना ही 2

उत्तर: (b)

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