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भारतीय अर्थव्यवस्था

तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान में तेज़ी लाएगा ‘इंटर क्रेडिटर अग्रीमेंट’

  • 06 Jul 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

तनावग्रस्त परिसंपत्तियों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंक इंटर क्रेडिटर अग्रीमेंट (Inter Creditor Agreement) के लिये सहमत हो गए हैं क्योंकि यह दस्तावेज तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के मामलों में संबंधित अग्रणी बैंकों पर कार्रवाई का निर्णय लेने का काम करेगा। इस समझौते की संस्तुति हाल ही में ज़ारी मेहता समिति की सिफारिशों में की गई थी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इंटर क्रेडिटर अग्रीमेंट का उद्देश्य बैंकों के बीच निर्णय लेने में होने वाली देरी को रोकना है। 
  • यह एक सहभागी प्रक्रिया है जो बैंकों के बीच प्रभावी तथा बेहतर संचार को सुनिश्चित करती है।
  • बैंकों ने इंटर क्रेडिटर अग्रीमेंट की संरचना के लिये दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (IBC) में प्रस्तुत मतदान शेयरों का उपयोग किया है।
  • इसके अनुसार, यदि 66 प्रतिशत उधारदाता तनावग्रस्त संपत्ति के संबंध में किसी भी विशेष निर्णय से सहमत हैं तो यह निर्णय अन्य बैंकों पर भी लागू होगा। संभवतः इस समझौते का प्रयोग IBC की रूपरेखा के अंतर्गत न आने वाले खातों पर किया जाएगा।
  • समझौते के माध्यम से  वित्तीय संस्थान द्वारा 180 दिनों में एक समाधान योजना लागू करने के लिये अग्रणी बैंक को अधिकृत किया जाएगा। 
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