इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ

  • 10 Jun 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ, सहकार से समृद्धि, सहकारी, उर्वरक, आत्मनिर्भर भारत

मेन्स के लिये:

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री के “सहकार से समृद्धि” के विज़न को साकार करने की दिशा में सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (Primary Agricultural Credit Societies- PACS) की आय में वृद्धि करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिये पाँच निर्णय लिये हैं।

  • सरकार का लक्ष्य "सहकार से समृद्धि" के माध्यम से देश में समग्र समृद्धि का उद्देश्य प्राप्त करना है। इसे पारदर्शिता, आधुनिकीकरण और प्रतिस्पर्द्धात्मकता द्वारा सहकारी समितियों को सुदृढ़ बनाने के लिये प्रस्तावित किया गया था। 

पाँच महत्त्वपूर्ण निर्णय: 

  • उर्वरक खुदरा विक्रेताओं के रूप में कार्य नहीं कर रहे PACS की पहचान की जाएगी और उन्हें चरणबद्ध तरीके से व्यवहार्यता के आधार पर खुदरा विक्रेताओं के रूप में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • वर्तमान में प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK) के रूप में काम नहीं कर रहे PACS को PMKSK के दायरे में लाया जाएगा।
    • प्रधानमंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत वर्ष 2022 में 600 PMKSK का उद्घाटन किया।
    • ये केंद्र किसानों की विभिन्न प्रकार की ज़रूरतों को पूरा करेंगे और कृषि-इनपुट, मृदा, बीज तथा उर्वरक के लिये परीक्षण सुविधाएँ भी प्रदान करेंगे।
  •  जैविक उर्वरकों, विशेष रूप से फर्मेंटेड जैविक खाद (FoM)/तरल फर्मेंटेड जैविक खाद (LFOM) / फॉस्फेट समृद्ध जैविक खाद (PROM) के विपणन में PACS को जोड़ा जाएगा।
  • उर्वरक विभाग की मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस (MDA) योजना के तहत उर्वरक कंपनियाँ छोटे बायो-ऑर्गेनिक उत्पादकों के लिये एक एग्रीगेटर के रूप में कार्य कर अंतिम उत्पाद का विपणन करेंगी, इस आपूर्ति और विपणन श्रृंखला में थोक/ खुदरा विक्रेताओं के रूप में PACS को भी शामिल किया जाएगा।
  • उर्वरक और कीटनाशकों के छिड़काव के लिये PACS को ड्रोन उद्यमियों के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा, साथ ही, ड्रोन का उपयोग संपत्ति सर्वेक्षण के लिये भी किया जा सकता है।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ:

  • परिचय: 
    • PACS ग्राम स्तर की सहकारी ऋण समितियाँ हैं जो राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंकों (State Cooperative Banks- SCB) की अध्यक्षता वाली त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना में अंतिम कड़ी के रूप में कार्य करती हैं।
      • SCB से क्रेडिट का हस्तांतरण ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंकों (District Central Cooperative Banks- DCCB) को किया जाता है, जो ज़िला स्तर पर काम करते हैं। ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक PACS के साथ काम करते हैं, साथ ही ये सीधे किसानों से जुड़े हैं।
    • PACS विभिन्न कृषि और कृषि गतिविधियों हेतु किसानों को अल्पकालिक एवं मध्यम अवधि के कृषि ऋण प्रदान करते हैं। 
    • पहला PACS वर्ष 1904 में बनाया गया था।

  • स्थिति: 
    • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 27 दिसंबर, 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में PACS की संख्या 1.02 लाख बताई गई है। मार्च 2021 के अंत में इनमें से केवल 47,297 लाभ की स्थिति में थे। 
  • महत्त्व: 
    • क्रेडिट तक पहुँच: 
      • वे छोटे किसानों को ऋण तक पहुँच प्रदान करते हैं जिसका उपयोग वे अपने खेतों के लिये बीज़, उर्वरक और अन्य सामग्री खरीदने के लिये कर सकते हैं। इससे उन्हें अपने उत्पादन में सुधार करने तथा आय बढ़ाने में मदद मिलती है।
    • वित्तीय समावेशन:
      • PACS ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में मदद करते हैं जहाँ औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सीमित है। वे उन किसानों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं जैसे- बचत और ऋण खाते जिनकी औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच नहीं हो सकती है।
    • सुविधाजनक सेवाएँ:
      • PACS प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित होते हैं जो किसानों के लिये उनकी सेवाओं तक पहुँच को सुविधाजनक बनाता है। PACS में कम समय में न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई के साथ ऋण देने की क्षमता है।
    • बचत संस्कृति को बढ़ावा देना: 
      • PACS किसानों को पैसे बचाने के लिये प्रोत्साहित करती है जिसका उपयोग उनकी आजीविका में सुधार करने और उनके खेतों में निवेश करने के लिये किया जा सकता है।
    • क्रेडिट अनुशासन को बढ़ाना:
      • PACS समय पर अपने ऋण चुकाने के लिये किसानों के बीच ऋण अनुशासन को बढ़ावा देती हैं। ये डिफॉल्ट के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं जो ग्रामीण वित्तीय क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

PACS संबंधी मुद्दे: 

  • अपर्याप्त कवरेज: 
    • हालाँकि भौगोलिक रूप से सक्रिय PACS 5.8 गाँवों में से लगभग 90% को कवर करते हैं लेकिन देश के कुछ हिस्से (विशेषत: उत्तर-पूर्व में) ऐसे हैं जहाँ यह कवरेज बहुत कम है।
    • इसके अलावा सदस्यों के रूप में शामिल की गई ग्रामीण आबादी सभी ग्रामीण परिवारों का केवल 50% है।
  • अपर्याप्त संसाधन: 
    • PACS के संसाधन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की लघु और मध्यम अवधि की ऋण आवश्यकताओं के संबंध में अपर्याप्त हैं।
    • यहाँ तक कि इन अपर्याप्त निधियों का बड़ा हिस्सा उच्च वित्तपोषण एजेंसियों से आता है, न कि समितियों के स्वामित्व वाले वित्तपोषण या उनके द्वारा जमा संग्रहण के माध्यम से।
  • अतिदेय और NPA: 
    • PACS हेतु बड़ी बकाया राशि एक बड़ी समस्या बन गई है।
      • वर्ष 2022 में RBI की रिपोर्ट के अनुसार, PACS ने 1,43,044 करोड़ रुपए के ऋण और 72,550 करोड़ रुपए के NPA की सूचना दी थी। महाराष्ट्र में 20,897 PACS हैं जिनमें से 11,326 घाटे में हैं।
    • वे ऋण योग्य धन के प्रवाह को सीमित करते हैं, उधार लेने और उधार देने हेतु समाज की क्षमता को कमज़ोर करते हैं और उन्हें यह आभास कराते हैं कि डिफाॅल्ट देनदारों को लेकर समाज दुर्भावनापूर्ण तरीके से कार्य कर रहे हैं।

आगे की राह

  • PACS भारत के ग्रामीण वित्तीय क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण संस्थान हैं और आत्मनिर्भर भारत एवं वोकल फॉर लोकल अभियान के दृष्टिकोण में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। ये सदियों पुराने संस्थान आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव के रूप में काम कर सकते हैं।. 
  • अपनी क्षमता को अधिकतम करने के लिये PACS को अधिक कुशल, वित्तीय रूप से टिकाऊ और किसानों के लिये सुलभ बनाने की आवश्यकता है। इसके लिये उनके संचालन एवं प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है।
  • इसके अतिरिक्त प्रभावी प्रशासन और किसानों की ज़रूरतों को पूरा करने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिये PACS को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांँचे को मज़बूत किया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये ? (2020)

  1. कृषि क्षेत्र को अल्पकालिक ऋण वितरण के संदर्भ में ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCBs) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तुलना में अधिक ऋण प्रदान करते हैं।
  2. ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक के सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक प्राथमिक कृषि साख समितियों को धन उपलब्ध कराना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (B)


प्रश्न. भारत में 'शहरी सहकारी बैंकों' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय मंडलों द्वारा उनका पर्यवेक्षण एवं विनियमन किया जाता है।
  2. वे इक्विटी शेयर और अधिमान शेयर जारी कर सकते हैं।
  3. उन्हें वर्ष 1966 में एक संशोधन के द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के कार्य-क्षेत्र में लाया गया था। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न."गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर ऋण संगठन का अन्य ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।" - अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में इस कथन की विवेचना कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाध्यताओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और उनकी सेवा करने के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2014) 

स्रोत: पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2