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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 23 फरवरी, 2018

  • 23 Feb 2018
  • 9 min read

स्वाइन फ्लू

‘स्वाइन फ्लू’, जिसे ‘एच.1 एन.1 विषाणु’ भी कहा जाता है। इन्फ्लुएंजा वायरस के ‘इन्फ्लुएंजा-A’ वर्ग का एक विषाणु है, जिसके लक्षण कमोबेश ‘नियमित फ्लू’ (regular flu) के लक्षणों के ही समान होते हैं। हालाँकि यह मुख्य रूप से सूअरों में होने वाला रोग है, किंतु मानव-से-मानव में भी इसका प्रसार संभव है।

विषाणु (Virus)

  • ‘विषाणु’ एक सूक्ष्मजीव है, जो जीवित कोशिकाओं के भीतर ही अपना विकास एवं प्रजनन करता है।
  • ‘विषाणु’ खुद को जीवित रखने एवं अपनी प्रतिकृति तैयार करने हेतु जीवित कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं तथा उनकी रासायनिक मशीनरी का उपयोग करते हैं।
  • ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- डी.एन.ए. वायरस व आर.एन.ए. वायरस।
  • विषाणुओं के वर्गीकरण में ‘इन्फ्लुएंजा विषाणु’ आर.एन.ए. प्रकार के विषाणु होते हैं तथा ये ‘ऑर्थोमिक्सोविरिदे’ (Orthomyxoviridae) वर्ग से संबंधित होते हैं। इन्फ्लुएंजा विषाणु के तीन वर्ग निम्नलिखित हैं:-
    1. इन्फ्लुएंजा विषाणु- ए: यह एक संक्रामक बीमारी है। ‘जंगली जलीय पशु-पक्षी’ इसके प्राकृतिक धारक होते हैं। मानव में संचरित होने पर यह काफी घातक सिद्ध हो सकती है।
    2. इन्फ्लुएंजा विषाण बी: यह विशेष रूप से मनुष्यों को प्रभावित करता है तथा इन्फ्लुएन्ज़ा-ए से कम सामान्य तथा कम घातक होता है।
    3. इन्फ्लुएंजा विषाण सी: यह सामान्यतः मनुष्यों, कुत्तों एवं सूअरों को प्रभावित करता है। यह अन्य इन्फ्लुएंजा प्रकारों से कम सामान्य होता है तथा आमतौर पर केवल बच्चों में हल्के रोग का कारण बनता है।

‘स्वाइन फ्लू’

  • ‘स्वाइन फ्लू’ अपनी प्रकृति में संक्रामक होता है तथा इसके अधिकांश मामलों में उपचार के लिये दवा की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इसके इलाज के लिये दो एंटीवायरल ड्रग्स काफी कारगर सिद्ध हुए हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं- ओसेल्टामिविर (Oseltamivir), जिसका विपणन ‘टैमी फ्लू’ (Tami flu) नाम से किया जाता है। ज़ानामिविर (Zanamivir), जिसका ब्रांड नाम ‘रेलेन्ज़ा’ (Relenza) है।
  • ये दोनों ही दवाइयाँ H5N1, H9N2 एवं H6N1 से सुरक्षा करने में काफी कामगार साबित हुई हैं।

स्‍वच्‍छ ऊर्जा हेतु अगली पी‍ढ़ी का टेक्‍नोलॉजी लूप

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा उत्‍कृष्‍ट सूक्ष्‍म कार्बन डाइऑक्‍साइड ब्रेटन टेस्‍ट लूप सुविधा विकसित की गई है, जिससे सौर ताप सहित भविष्‍य के ऊर्जा संयंत्रों से स्‍वच्‍छ ऊर्जा उत्‍पादन में मदद मिलेगी।

  • यह अगली पीढ़ी का टेक्‍नोलॉजी लूप भारतीय विज्ञान संस्‍थान, बंगलूरु द्वारा स्‍वदेश में विकसित किया गया है।
  • यह अगली पीढ़ी के लिये भारत का पहला टेस्‍ट है, जो बिजली उत्‍पादन के लिये प्रभावी, सुगठित, जलरहित, सुपर क्रिटिकल कार्बन डाईऑक्‍साइड ब्रेटन चक्र परीक्षण लूप है।
  • संभवत: यह दुनिया का ऐसा पहला टेस्‍ट लूप है, जिसमें सौर ताप मुख्य स्रोत है। 

फायर फाइटिंग बॉल
महाराष्ट्र सरकार द्वारा भीषण आग पर काबू पाने के लिये प्रयोग किये जाने वाले फायर फाइटिंग बॉल का उत्पादन किया जाएगा। ऐसा करने के पीछे उद्देश्य यह है कि कई बार भारी यातायात के कारण अग्निशमन दल के कर्मचारियों को मौके पर पहुँचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में आग को समय से बुझा पाना आसान नहीं होता है। ऐसी स्थिति में यह तकनीक बेहद प्रभावी भूमिका निभाती है।

  • इतना ही नहीं कई बार तो आग बुझाने के लिये पानी की कमी जैसी आवश्यकताओं का भी सामना करना पड़ता है। ऐसी किसी स्थिति में आग बुझाने में फायर फाइटिंग बॉल का इस्तेमाल काफी प्रभावी साबित होगा।

फायर फाइटिंग बॉल (Fire Fighting Ball)

  • यह एक प्रकार का आग बम होता है, जिसे फिलहाल विदेशों से आयात किया जा रहा है।
  • यह 1.2 किलोग्राम का एक गोलाकार उपकरण होता है, जिसे आग बम के नाम से जाना जाता है।
  • तापमान 70 डिग्री पहुँचने पर यह 5 सेकेंड के भीतर फट जाता है। इसके फटते ही धूल, राख और आग बुझाने वाले पदार्थ तेज़ी से चारों ओर फैलने लगते हैं, जिससे आग बुझाने में मदद मिलती है।
  • एक बार निर्मित किये जाने के बाद पाँच साल तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। फिलहाल भारत में चीन और थाईलैंड से फायर बॉल का आयात होता है।
  • प्रारंभ में, महाराष्ट्र के औरंगाबाद में प्रायोगिक तौर पर इसका उत्पादन किया जाएगा। बाद में इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरु किया जाएगा।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये औषधीय व सुगंधित पौधों पर अंतर-मंत्रालयी समिति

हाल ही में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र (North Eastern Region - NER) के लिये औषधीय व सुगंधित पौधों (Medicinal and Aromatic Plants -MAPs) पर एक अंतर-मंत्रालयी समिति (Inter-Ministerial Committee - IMC) का गठन किया गया है। यह समिति केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों का समन्वय करेगी ताकि औषधीय व सुगंधित पौधों के क्षेत्र का अधिक-से-अधिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।

  • अंतर-मंत्रालयी समिति की पहली बैठक 12 मार्च को आयोजित की जाएगी। इस बैठक की अध्यक्षता पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास एवं आयुष मंत्रालय के सचिव द्वारा की जाएगी।
  • अंतर-मंत्रालयी समिति में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संबंधित क्षेत्र के संगठनों के सदस्यों को शामिल किया जाएगा।

नोडल निकाय

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा औषधीय व सुगंधित पौधों पर बनी अंतर-मंत्रालयी समिति का समन्वय किया जाएगा।

कार्य

  • यह समिति पूर्वोत्तर क्षेत्र में औषधीय व सुगंधित पौधों के विकास, सतत् प्रबंधन और संरक्षण पर आधारित विभिन्न कार्यक्रमों के संबंध में मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करेगी।
  • समिति औषधीय व सुगंधित पौधों की वर्तमान व्यवस्था व संस्थागत प्रबंधन और विकास की समीक्षा करेगी।
  • योजनाओं की कमियों को रेखांकित करते हुए नीतिगत सुझाव देगी ताकि औषधीय व सुगंधित पौधा क्षेत्र का विकास हो सके।
  • संबंधित मंत्रालयों व विभागों की योजनाओं व कार्यक्रमों के लिये एक कार्ययोजना का सुझाव देगी। 
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में औषधीय व सुगंधित पौधों की कृषि पर आधारित आर्थिक परिवर्तन व सतत् प्रबंधन तथा आजीविका को बेहतर बनाने से संबंधित उपायों का भी सुझाव देगी।
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