इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 11 मई, 2018

  • 11 May 2018
  • 8 min read

मेंढकों पर हमला करने वाले कवक की उत्पत्ति पूर्वी एशिया में
(Fungus that attacks frogs originated in East Asia)

  • चयत्रीड कवक (chytrid fungus) (जिसके कारण दुनिया भर में उभयचरों की संख्या में कमी आई है) की उपस्थिति भारत में भी दर्ज की गई है।
  • पहली बार इनकी उपस्थिति 1997 में दक्षिण अमेरिका के मेंढकों में दर्ज़ की गई थी, ये हत्यारे कवक पश्चिमी घाटों के मेंढकों की कुछ प्रजातियों में भी पाए गए हैं।
  • भारत में इनकी पहली उपस्थिति 2011 में दक्षिणी केरल की पोनमुडी पहाड़ियों में दर्ज़ की गई। 
  • अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका “साइंस” के अनुसार, संभवतः इसकी उत्पत्ति पूर्वी एशिया में हुई थी।
  • चयत्रीड कवक ने दुनिया भर के लगभग 700 मिलियन उभयचरों की प्रजाति को प्रभावित किया है तथा इसके कारण मेंढकों की संख्या में काफी कमी आई है, यहाँ तक कि कई क्षेत्रों में ये लुप्त होने की कगार पर पहुँच गए हैं।
  • वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र से बाहर चयत्रीड से जुड़े जोखिम के कारण एशिया से उभयचरों के व्यापार पर रोक लगाने की सलाह दी है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार चयत्रीड कवक के कारण होने वाली बीमारी (chytridiomycosis) पश्चिमी घाट के सभी स्थानीय तथा संकटापन्न उभयचरों में तेजी से फैल सकती है।
  • विश्व की 38 संस्थाओं के वैज्ञानिकों ने Batrachochytrium dendrobatidis (Bd जिसे चयत्रीड के नाम से भी जाना जाता है) के नमूनों को एकत्र किया तथा इस कवक के मूल का पता लगाने के लिये इन रोगजनकों में से 234 के ज़ीनोम का अध्ययन किया।

सूक्ष्म जीवाश्म आवरणों से प्राचीन पृथ्वी पर जलवायु के संकेत 
(Tinny fossil shells give clues to climate on ancient Earth)

  • वैज्ञानिकों ने कुछ सूक्ष्म जीवाश्म आवरणों (Shell) की खोज की है जो पृथ्वी पर लगभग 50 लाख साल पूर्व की जलवायु के संदर्भ में जानकारी प्रदान करते हैं।
  • शोध के अनुसार, प्राचीन जानवरों ने जलवायु के अनुसार स्वयं को विविध रूपों में ढाल लिया था। 
  • वैज्ञानिकों ने इस निष्कर्ष तक पहुँचने के लिये, जलवायु प्रतिरूपों तथा लगभग 1 मिमी. लंबे जीवाश्म के रासायनिक विश्लेषण का प्रयोग किया।   
  • जानवरों के संघों में उस समय के दौरान हुए अचानक विस्तार को, कैम्ब्रियाई विस्तार या  कैम्ब्रियाई विस्फोट (Cambrian explosion) कहते हैं। 
  • उस समय के जीवधारियों के समूह में पहली बार आवरण धारण करने वाले जीव शामिल हैं। 
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रारंभिक कैम्ब्रियन काल पृथ्वी पर जलवायु के इतिहास के संदर्भ में ग्रीनहाउस अंतराल का समय था (ऐसा समय जब कोई स्थायी ध्रुवीय बर्फ की चादर नहीं थी)।
  • जीवाश्म आवरण तथा नए जलवायु मॉडल दर्शाते हैं कि उच्च अक्षांशों वाले समुद्रों में अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस था। 
  • इस अध्ययन में, ऑक्सीजन समस्थानिक अनुपात (oxygen isotope ratio) का प्रयोग किया गया जो कि आम तौर पर प्रयोग किया जाने वाला प्राचीन थर्मामीटर है। 
  • वैज्ञानिकों ने श्रॉपशायर, ब्रिटेन के 515 से 510 मिलियन साल पहले निर्मित चूनापत्थर के ब्लॉक से 1 मिमी. लंबे जीवाश्म को निकालने के लिये एसिड का प्रयोग किया।  
  • कुछ आवरणों में विद्यमान गुणधर्म, कैम्ब्रियाई समुद्र की सतह पर विकसित होने के समय से अब तक परिवर्तित नहीं हुए हैं। 

मलेशिया के नए प्रधानमंत्री महातिर बने दुनिया के सबसे बुजुर्ग निर्वाचित नेता
(Mahatir, 92, sworn in as Malasiya PM, becomes world’s oldest elected leader)

  • महातिर मोहम्मद ने मलेशिया के सातवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
  • महातिर की पाकातान हारापन पार्टी ने पिछले 60 सालों से सत्ता में बनी बारिसन नेशनल (BN) गठबंधन को हराया। गौरतलब है कि महातिर पूर्व में BN पार्टी से भी जुड़े हुए थे।
  • 70 वर्षों से अधिक के अपने राजनीतिक करियर में महातिर ने 1981-2003 तक प्रधानमंत्री का पद संभाला था।
  • वह इस पद पर सबसे अधिक समय तक बने रहने वाला व्यक्ति बना।
  • प्रधानमंत्री के रूप में उसके कार्यकाल के दौरान मलेशिया में आर्थिक विकास ने तेजी से विकास किया।
  • उसे मलेशिया के तेजी से आधुनिकीकरण का श्रेय भी दिया जाता है तथा “आधुनिक मलेशिया के जनक” के रूप में जाना जाता है। 
  • महातिर ने अपना राजनीतिक कॅरियर मलेशिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी यूनाइटेड मलेशिया नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन (UMNO) से प्रारंभ किया था।
  • UMNO से निष्कासित किये जाने से पूर्व महातिर ने एक कार्यकाल तक सेवा की थी।

ऑस्ट्रेलिया के 104 वर्षीय वैज्ञानिक डेविड गूडाल ने दुनिया को अलविदा कहा

अपना जीवन खत्म करने के लिये स्विट्जरलैंड पहुंचे 104 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड गूडाल ने एक्जिट इंटरनेशनल  फाउंडेशन की मदद 10 मई को  आत्महत्या के जरिये दुनिया को अलविदा कहा|

  • स्वीटजरलैंड के लाइफ साइकल क्लीनिक में बॉर्बीट्युरेट स्तर के इंजेक्शन नेम्बुटल (इस तरह की आत्महत्या के लिये इस्तेमाल की जाने वाली दवा) के जरिये वैज्ञानिक ने दम तोड़ा| 
  • ऑस्ट्रेलिया के मशहूर पर्यावरणविद् और वनस्पति विज्ञानी डेविड गूडाल को उनके अपने देश में किसी गंभीर बीमारी के नहीं होने से इच्छा मृत्यु के लिये मदद लेने से रोक दिया गया था|
  • उनका मानना था कि वे अपनी जिंदगी का बेहतरीन हिस्सा जी चुके हैं और अब मरना चाहते हैं|

डेविड गूडाल का योगदान 

  • प्रथम विश्व युद्ध से कुछ माह पूर्व अप्रैल 1914 में लंदन में जन्मे  गूडाल और उनका परिवार ऑस्ट्रेलिया में बस गए|
  • विख्यात वनस्पतिविद और पारिस्थितिक विज्ञानी गूडाल ने यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया भर में अकादमिक पदों पर काम किया।
  • 1979 में सेवानिवृत्ति के बाद, गुडाल ने 500 से अधिक लेखकों द्वारा लिखित "ecosystems of the world" नामक पुस्तक के 30 खंडों का संपादन किया|
  • 2016 में गूडाल को प्रतिष्ठित ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया मेडल से सम्मानित किया गया था।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2