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'प्रदूषण और स्वास्थ्य' रिपोर्ट

  • 19 May 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रदूषण और स्वास्थ्य: एक प्रगति अद्यतन, वायु प्रदूषण, लेड प्रदूषण, pm 2.5

मेन्स के लिये:

प्रदूषण और स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंध, वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट 'प्रदूषण और स्वास्थ्य: एक प्रगति अद्यतन' के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में 16.7 लाख मौतों या कुल मौतों के 17.8% के लिये वायु प्रदूषण ज़िम्मेदार था।

 प्रदूषण और स्वास्थ्य रिपोर्ट के निष्कर्ष: 

  • वैश्विक: 
    • अकेले वायु प्रदूषण के कारण 66.7 लाख मौतें हुईं, जो वर्ष 2015 के पिछले विश्लेषण का अद्यतन है।
      • कुल मिलाकर वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में लगभग 90 लाख लोगों की प्रदूषण की वजह से मौत हुई.वैश्विक स्तर पर समय से पहले होने वाली हर छह मौतों में से एक मौत प्रदूषण के कारण हुई, जो यह दर्शाता है कि वर्ष 2015 के पिछले आकलन में कोई सुधार नहीं हुआ है।
    • 45 लाख मौतों के लिये परिवेशी वायु प्रदूषण तथा 17 लाख मौतों के लिए खतरनाक रासायनिक प्रदूषक ज़िम्मेदार थे, जिसमें 9 लाख मौतें लेड प्रदूषण के कारण हुईं।
  • भारत : 
    • भारत में वायु प्रदूषण से संबंधित 16.7 लाख मौतों में से अधिकांश, लगभग 9.8 लाख मौतें PM2.5 प्रदूषण के कारण हुईं तथा अन्य 6.1 लाख मौतें परिवेशी वायु प्रदूषण के कारण हुईं।
    • हालांँकि अत्यधिक गरीबी से जुड़े प्रदूषण स्रोतों (जैसे घर के अंदर वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण) से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है, लेकिन औद्योगिक प्रदूषण (जैसे परिवेशी वायु प्रदूषण व रासायनिक प्रदूषण) के कारण होने वाली मौतों के मामले में वृद्धि देखी गई।
    • इंडो-गैंगेटिक मैदान में वायु प्रदूषण सबसे गंभीर समस्या है।
      • इस क्षेत्र में नई दिल्ली और कई सबसे प्रदूषित शहर शामिल हैं।
    • वायु प्रदूषण से निपटने में विफलता:
      • घरों में बायोमास का जलना भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का अकेला सबसे बड़ा कारण था, इसके बाद क्रमशः कोयले का दहन व पराली जलाना है।
      • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कार्यक्रम सहित घरेलू वायु प्रदूषण से निपटने हेतु भारत के महत्त्वपूर्ण प्रयासों के बावजूद मौतों की संख्या अधिक बनी हुई है।
      • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के बावजूद भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों के लिये मज़बूत केंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली का अभाव है, जिसके परिणामस्वरूप समग्र वायु गुणवत्ता में सीमित व असमान सुधार हुआ है।
  • लेड प्रदूषण:
    • विश्व स्तर पर प्रत्येक वर्ष अनुमानित 9 लाख लोगों की मौत लेड प्रदूषण के कारण होती हैं, यह संख्या कम या ज़्यादा हो सकती है। 
    • पहले लेड प्रदूषण का स्रोत लेड वाले पेट्रोल था जिसे लेड रहित पेट्रोल में बदल दिया गया था। 
    • लेड एक्सपोज़र के अन्य स्रोतों में लेड-एसिड बैटरी और प्रदूषण नियंत्रण के बिना ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग, लेड-दूषित मसाले, लेड लवण के साथ मिट्टी के बर्तन एवं पेंट तथा अन्य उपभोक्ता उत्पादों में लेड शामिल होना है।
    • अनुमान है कि विश्व भर में 80 मिलियन से अधिक बच्चों में (अकेले भारत 27.5 मिलियन) यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा स्थापित 3.5 ग्राम/डीएल मानक से अधिक रक्त लेड सांद्रता है।

सुझाव:

  • देश में प्रदूषण निवारण हेतु आधुनिक चहुंँमुखी विकास संस्थानों की रणनीति के ढांँचे को शामिल करना। 
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों को जलवायु परिवर्तन तथा जैव विविधता के साथ-साथ तीन वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों में से एक के रूप में प्रदूषण की समस्या को हल करने पर ज़ोर देना ज़ारी रखना चाहिये।
  • उपलब्ध जीबीडी (रोग का वैश्विक बोझ) आंँकड़े का उपयोग करते हुए नीति और निवेश निर्णयों में प्रमुख चालक के रूप में स्वास्थ्य आयाम के उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • प्रभावित देशों को आधुनिक प्रदूषण के प्रमुख मुद्दे वायु प्रदूषण, लेड प्रदूषण और रासायनिक प्रदूषण की पहचान हेतु संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • पवन और सौर ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उपयोग से वायु प्रदूषण कम होगा, साथ ही जलवायु परिवर्तन की गति भी धीमी होगी।
  • निजी और सरकारी प्रदाताओं को स्वास्थ्य एवं प्रदूषण कार्य योजना (HPAP) प्राथमिकता प्रक्रियाओं, निगरानी कार्यक्रम कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिये प्रदूषण प्रबंधन हेतु धन आवंटित करने की आवश्यकता है।
  • जलवायु, जैव विविधता, भोजन और कृषि जैसे अन्य प्रमुख खतरों को दूर करने के लिये सभी क्षेत्रों को प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं में एकीकृत करने की आवश्यकता है।
  • सभी क्षेत्रों को स्वास्थ्य, ऊर्जा संक्रमण कार्य एवं प्रदूषण पर एक मज़बूत रुख का समर्थन करने की आवश्यकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को शुरू में रसायनों, अपशिष्ट और वायु प्रदूषण जलवायु एवं जैव विविधता के लिये एक विज्ञान नीति इंटरफेस स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • विज्ञान नीति इंटरफेस (एसपीआई) को सामाजिक प्रक्रियाओं के रूप में परिभाषित किया गया है जो नीति प्रक्रिया में वैज्ञानिकों और अन्य अभिकर्त्ताओं के बीच संबंधों को शामिल करते हैं, और निर्णय क्षमता को समृद्ध करने के उद्देश्य से आदान-प्रदान, सह-विकास व ज्ञान के संयुक्त निर्माण की अनुमति देते हैं। . 
  • भारी धातुओं सहित रासायनिक प्रदूषण के प्रभाव का सही ढंग से निपटान करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रदूषण ट्रैकिंग को संशोधित करने की आवश्यकता है।
  • रिपोर्टिंग सिस्टम को राष्ट्रीय डेटा के अभाव में ‘बर्डन ऑफ डिज़ीज़’ संबंधी अनुमानों का उपयोग करने की अनुमति देनी चाहिये।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों को पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिमों को दूर करने के लिये साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों को कम करने हेतु डेटा तथा विश्लेषण तैयार करने में निवेश करने की आवश्यकता है।
    • प्राथमिकता निवेश में लीड बेसलाइन एवं निगरानी प्रणाली और अन्य रासायनिक निगरानी प्रणालियों के साथ-साथ विश्वसनीय ज़मीनी स्तर की वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क की स्थापना शामिल होनी चाहिये।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों को लेड, मरकरी या क्रोमियम जैसे खतरनाक रसायनों के संपर्क में आने पर साक्ष्य एकत्र करने के लिये एक समान व उपयुक्त नमूना प्रोटोकॉल का उपयोग करने की आवश्यकता है, जिसकी तुलना निम्न एवं निम्न मध्य-आय वाले देशों से की जा सकती है।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिये सरकार की प्रमुख पहलें: 

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन से कारक/कारण बेंजीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं? (2020)

  1. स्वचालित वाहन द्वारा निष्कासित पदार्थ 
  2. तंबाकू का धुआँ
  3. लकड़ी जलना
  4. रोगन किये गए लकड़ी के फर्नीचर का उपयोग
  5. पॉलीयुरेथेन से बने उत्पादों का उपयोग करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(A) केवल 1, 2 और 3                  
(B) केवल 2 और 4
(C) केवल 1, 3 और 4
(D) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: A

व्याख्या:

  • बेंजीन (C6H6) एक रंगहीन, ज्वलनशील तरल पदार्थ है जिसमें एक मीठी गंध होती है। हवा के संपर्क में आने पर यह जल्दी वाष्पित हो जाता है। बेंजीन प्राकृतिक प्रक्रियाओं से बनता है, जैसे ज्वालामुखी और जंगलों की आग, लेकिन बेंजीन के अधिकांश जोखिम मानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
  • पर्यावरण में बेंजीन प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में स्वचालित वाहन द्वारा निष्कासित पदार्थ, औद्योगिक स्रोत, तंबाकू का धुआँ, लकड़ी जलाने और गैसोलीन भरने वाले स्टेशनों से ईंधन का वाष्पीकरण शामिल है। 
  • अत: कथन 1, 2 और 3 सही हैं।
  • कुछ उद्योग बेंजीन का उपयोग अन्य रसायनों को बनाने के लिये करते हैं जिनका उपयोग प्लास्टिक, फर्नीचर आदि बनाने के लिये  किया जाता है, वे बेंजीन प्रदूषण के प्रत्यक्ष स्रोत नहीं हैं। अत: कथन 4 और 5 सही नहीं हैं।
  • अतः विकल्प A सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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