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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

PLpro प्रोटीन और SARS-CoV-2 वायरस

  • 31 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

PLpro प्रोटीन, SARS-CoV-2 और मानव प्रतिरक्षा प्रणाली, T-सेल, इंटरफेरॉन, NK सेल

मेन्स के लिये:

मानव प्रतिरक्षा तंत्र

चर्चा में क्यों?

नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में उत्पन्न विशेष प्रोटीन पीएलप्रो (PLpro) की पहचान की है, जो SARS-CoV-2 वायरस के संक्रमण के दौरान मानव में उत्पन्न होता है तथा वायरस के प्रतिकृति निर्माण में मदद करता है।

प्रमुख बिंदु:

  • जब कोरोनावायरस- SARS-CoV-2 मानव कोशिका में प्रवेश करता है तो यह शरीर के कोशिका तंत्र को नियंत्रित कर लेता है।
  • इस वायरस के शरीर में प्रवेश करने पर मानव कोशिका तंत्र द्वारा विशेष प्रकार का प्रोटीन; जिन्हें PLpro कहा जाता है, निर्मित होता है।
    • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि वायरस की प्रतिकृति निर्माण के लिये यह PLpro प्रोटीन आवश्यक होता है।

SARS-CoV-2 के खिलाफ मानव प्रतिरक्षा प्रणाली:

  • जब SARS-CoV-2 वायरस से मानव शरीर संक्रमित होता है, तो संक्रमित शरीर की कोशिकाओं द्वारा ‘टाइप-1 इंटरफेरॉन’ नामक संदेशवाहक पदार्थ मुक्त किया जाता है। ये संदेशवाहक पदार्थ शरीर की मारक कोशिकाओं (Killer Cells) या NK सेल को आकर्षित करते हैं और संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करते हैं।
  • मानव कोशिकाओं द्वारा PLpro प्रोटीन का उत्पादन प्रारंभ होने पर SARS-CoV-2 वायरस पुन: प्रतिरक्षा प्रणाली के खिलाफ लड़ना शुरू कर देता है, क्योंकि PLpro प्रोटीन टाइप 1 इंटरफेरॉन के निर्माण को प्रभावित करता है। इससे शरीर की मारक कोशिकाओं या NK कोशिकाओं को आकर्षित करने की क्षमता कम हो जाती है तथा शरीर वायरल से रोग ग्रस्त हो जाता है।

शोध का महत्त्व:

  • वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि यदि PLpro प्रोटीन निर्माण को औषधीय तरीकों से रोक (ब्लॉक) दिया जाता है तो वायरस की प्रतिकृति निर्माण प्रक्रिया भी रुक जाती है और हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रणाली भी मज़बूत होती है।
  • शोधकर्त्ता अब 'सेल कल्चर' (कृत्रिम वातावरण) में इन प्रक्रियाओं की निगरानी कर सकते हैं।

वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Immune Responses to Viruses):

T सेल:

  • जब एक वायरस किसी व्यक्ति को संक्रमित करता है, तो यह जीवित रहने और अपनी प्रतिकृति निर्माण के लिये मेज़बान कोशिकाओं पर हमला करता है।
  • इस दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली की विशेष कोशिकाएँ; जिन्हें T सेल कहा जाता है, संक्रमित कोशिकाओं की तलाश करती है।
  • 'T सेल रिसेप्टर' वायरस से उत्पन्न पेप्टाइड (संक्रमित कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित कारक) का पता लगाता है तथा T सेल को संक्रमण की चेतावनी देता है।
  • ‘T सेल’ संक्रमित कोशिका को नष्ट करने के लिये साइटोटोक्सिक कारक (Cytotoxic Factors) नामक प्रोटीन मुक्त करता है जो वायरस को नष्ट कर देता है।

NK सेल:

  • वायरस में अनुकूलन की अत्यधिक क्षमता होती हैं जो ‘T सेल’ की पहचान से बचने के लिये नवीन तरीके विकसित कर लेता हैं तथा T सेल संक्रमित कोशिकाओं का पता नहीं लगा पाती है।
  • जब T सेल संक्रमित कोशिकाओं का पता नहीं लगा पाती है तो यह कार्य शरीर की विशेष प्रतिरक्षा कोशिकाओं; जिन्हें 'प्राकृतिक मारक कोशिका' (Natural Killer Cell) या संक्षेप में NK सेल कहा जाता है, द्वारा संपन्न किया जाता है।

इंटरफेरॉन (Interferons):

  • वायरस से संक्रमित होने पर कोशिकाओं द्वारा इंटरफेरॉन नामक प्रोटीन का उत्पादन किया जाता है जो वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इंटरफेरॉन संक्रमित कोशिका में वायरस की प्रतिकृति निर्माण प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करके इसे रोकते हैं।
  • इंटरफेरॉन संक्रमित कोशिकाओं के संकेतक अणुओं के रूप में भी कार्य करते हैं तथा निकट की कोशिकाओं में वायरस की उपस्थिति के संबंध में चेतावनी देते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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