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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पेट्रोलियम उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लाने की तैयारी एवं इसका प्रभाव

  • 28 Sep 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • सूचना प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल द्वारा सरकार सभी पेट्रोलियम उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लाने की तैयारी में है। विदित हो कि चार करोड़ उपभोक्ताओं के लिये पेट्रोलियम उत्पादों के महज एक लाख रिटेल आउटलेट्स हैं| ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को ई-कॉमर्स से जोड़ना लाभदायक साबित होगा|
  • भारत में लगभग 35 करोड़ वाहन रोजाना पेट्रोल पंपों पर पहुँचते हैं और इन पंपों पर सालाना 25 अरब रुपए का लेन-देन होता है। पेट्रोल-डीज़ल समेत पेट्रोलियम पदार्थों के उपभोग के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है।

कैसे होगी पेट्रोल-डीज़ल की होम डिलीवरी?

  • गौरतलब है कि पूरी दुनिया ‘कंज्‍यूमर डिलीवरी’ की सुविधा पर ध्‍यान दे रही है,  भारत भी इसी क्रम में अब इ-कॉमर्स पोर्टल पर पेट्रोल और डीज़ल लाने जा रहा है।
  • इस पोर्टल पर जाकर कोई भी अपनी डिलीवरी बुक करा सकता है| ऑनलाइन भुगतान के बाद दूसरे दिन तय समय पर उपभोक्ता के घर पेट्रोल या डीज़ल पहुँच सकता है।
  • इसके अलावा सरकार लोगों की सुविधा के लिये ‘मिनी पेट्रोल पंप’ भी लॉन्च करने जा रही है, जो टैंकर के ज़रिये लोगों के घर तक पहुँचेगा। 

क्या होगा प्रभाव?

  • तेल मंत्रालय का कहना है कि तेल उत्पादों की होम डिलीवरी से ग्राहकों को पेट्रोल पम्प की लंबी कतारों से बचाया जा सकेगा।
  • इस समय देश भर में 59 हज़ार 595 पेट्रोल पम्प हैं, जहाँ पर पेट्रोल और डीजल बिकता है| तेल मंत्रालय की इस योजना का मकसद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के साथ पेट्रोल पंप पर लंबी कतार में लगने से ग्राहकों को बचाना भी है।
  • नोटबंदी से पहले करीब 20 फीसद बिक्री डिजिटल माध्यमों के ज़रिये होती थी, जो अब बढ़कर 50 फीसद से भी अधिक हो चुकी है।  फिलहाल देश में 38,128 पेट्रोल पंपों पर पीओएस मशीनें हैं और 86 फीसदी से अधिक में डिजिटल भुगतान की व्यवस्था है।
  • विदित हो कि नोटबंदी के बाद तेल विपणन कंपनियाँ कैशलेस माध्यम से तेल की खरीद पर उपभोक्ताओं को 0.75 फीसदी छूट दे रही थी, जबकि 72,000 से अधिक ई-वॉलेट से पहले ही लेन-देन चालू हो चुका है।
  • लेकिन इस योजना का वास्तविक स्वरूप क्या होगा और इसे कब ज़मीन पर उतारा जाएगा, इस पर अभी अंतिम फैसला होना बाकी है।
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