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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान की सार्क में वापसी

  • 03 Mar 2017
  • 5 min read

समाचारों में क्यों?

पिछले कुछ समय से भारत द्वारा निरंतर गतिरोध पैदा करने के बावजूद पाकिस्तान आखिरकार सार्क में अपनी स्थिति मज़बूत करने में सफल रहा है। विदित हो कि पाकिस्तान के अमज़द हुसैन बी सियाल को सार्क का नया सेक्रेटरी जनरल बनाया गया है। हालाँकि पाकिस्तान की सार्क में इस हालिया सफलता में भारत का भी योगदान है क्योंकि अमज़द हुसैन को सेक्रेटरी जनरल बनाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन भारत ने भी किया है।

क्यों पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहता था भारत?

  • गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान सबंधों में तल्खी के मद्देनज़र भारत ने यह माँग की थी कि इस नियुक्ति से पहले जरूरी प्रक्रियाएँ पूरी की जाएँ। विदित हो कि इस नियुक्ति के लिये सार्क काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की मंजूरी चाहिये, लेकिन भारत के विरोध के कारण पाकिस्तान में होने वाला सार्क सम्मेलन रद्द हो गया था फलस्वरूप यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी।
  • ज्ञात हो कि इस पद पर सार्क के सदस्य देशों की ओर से नामित उम्मीदवार बारी-बारी से नियुक्त किये जाते हैं। इस बार महासचिव पद पर पाकिस्तान के उम्मीदवार की नियुक्ति होनी थी। पाकिस्तान ने इसके लिये अमज़द हुसैन सियाल का नाम प्रस्तावित किया था। सियाल पाकिस्तान की प्रशासकीय सेवा में अधिकारी रहे हैं। पाकिस्तान ने उन्हें सार्क के 13वें महासचिव पद की दावेदारी के लिये नामांकित किया था।

क्यों आया भारत के रुख में बदलाव?

भारत और पाकिस्तान ने सार्क के महत्त्व की पहचान करते हुए व्यापक रूप से इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि सार्क में दोनों देशों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने चाहियें वैसे भी इस पद पर सार्क के सदस्य देशों की ओर से नामित उम्मीदवार बारी-बारी से नियुक्त किये जाते हैं और इस बार पाकिस्तान द्वारा नामित सदस्य की बारी थी, अतः देर-सबेर अमज़द हुसैन सियाल सार्क के सेक्रेटरी जनरल तो बन ही जाते।

सार्क से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना 7-8 दिसंबर, 1985 को ढाका में प्रथम सार्क सम्मेलन में की गई थी। इस संगठन की पहल ऐसे देशों को औपचारिक रूप से एक साथ लाने के लिये की गई थी, जो पहले से ही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तौर पर आपस में जुड़े हुए थे। जब सार्क की स्थापना हुई थी, उस समय इस संगठन में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान शामिल थे। बाद में वर्ष 2007 में संगठन के आठवें सदस्य के तौर पर अफगानिस्तान को भी इसमें शामिल कर लिया गया था।
  • इस संगठन की स्थापना का उद्देश्य यह था कि तेजी से बढ़ती आपसी संबंधों पर निर्भर दुनिया में शांति, स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और आर्थिक समृद्धि के उद्देश्य आपसी समझ-बूझ, पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध और सार्थक सहयोग से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। गरीबी उन्मूलन, आर्थिक और सामाजिक विकास तथा ज़्यादा से ज़्यादा जनसंपर्क इस संगठन के मुख्य उद्देश्य हैं।

क्यों भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है सार्क?

भारत इस संगठन का ऐसा एकमात्र सदस्य है, जिसकी चार देशों के साथ साझी ज़मीनी सीमा है और दो देशों के साथ साझी समुद्री सीमा है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान को छोड़ दें तो सार्क के किसी अन्य देश की किसी दूसरे देश के साथ साझी सीमा नहीं है। व्यापार, वाणिज्य, निवेश आदि के संदर्भ में भारत, संभावित निवेश और तकनीक का स्रोत होने के साथ-साथ अन्य सभी सार्क सदस्यों के उत्पादों के लिये एक प्रमुख बाज़ार भी है।

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