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ओटीटी संचार सेवाएँ

  • 11 Jul 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, ओवर द टॉप सेवाएँ, कोविड-19 महामारी, यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड, ड्राफ्ट टेलीकम्युनिकेशन बिल, 2022, टेलीकॉम सेवा प्रदाता

मेन्स के लिये:

भारत में ओटीटी संचार सेवाओं की वर्तमान नियामक स्थिति, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण

चर्चा में क्यों?  

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) व्हाट्सएप, ज़ूम और गूगल मीट जैसी ओवर-द-टॉप (OTT) संचार सेवाओं के विनियमन पर पुनर्विचार कर रहा है

ओवर द टॉप (OTT) सेवाएँ:

  • "ओवर-द-टॉप" मीडिया सेवा ऑनलाइन मनोरंजन सामग्री प्रदाता है जो स्ट्रीमिंग मीडिया को एक स्टैंडअलोन उत्पाद के रूप में पेश करती है।
    • आमतौर पर यह शब्द वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफाॅर्म पर लागू होता है, लेकिन यह ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेजिंग सेवाओं अथवा इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग समाधानों को भी संदर्भित करता है।
  • डेटा उपयोग पर निर्भर ये सेवाएँ भारत में, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान तेज़ी से लोकप्रिय हुईं और व्यापक रूप से उपयोग की जा रही हैं।
    • वर्ष 2014 से 2022 तक भारत में मासिक वायरलेस डेटा उपयोग लगभग 156 गुना बढ़ गया है। पारंपरिक वॉयस और एसएमएस सेवाओं के बजाय डेटा उपयोग अब राजस्व सृजन का साधन बन गया है। 

भारत में ओटीटी संचार सेवाओं की वर्तमान नियामक स्थिति:

  • अभी तक भारत में OTT संचार सेवाओं के लिये कोई विशिष्ट नियामक ढाँचा उपलब्ध नहीं है। TRAI ने वर्ष 2015 से इस मुद्दे पर कई परामर्श-पत्र जारी किये हैं लेकिन कोई अंतिम सिफारिश या नियम नहीं बनाए हैं।
  • सितंबर 2020 में TRAI ने OTT प्लेटफाॅर्मों के लिये नियामक हस्तक्षेप के खिलाफ सिफारिश करते हुए कहा कि इसे बाज़ार ताकतों पर छोड़ दिया जाना चाहिये।
    • हालाँकि यह भी कहा गया कि क्षेत्र की निगरानी की जानी चाहिये और हस्तक्षेप "उचित समय" पर किया जाना चाहिये।
  • वर्ष 2022 में दूरसंचार विभाग ( Department of Telecommunication- DoT), जो कि दूरसंचार नीति और लाइसेंसिंग के लिये नोडल मंत्रालय है, ने TRAI को एक उपयुक्त नियामक तंत्र लाने तथा "OTT सेवाओं पर चयनात्मक प्रतिबंध" लगाने का सुझाव दिया।

OTT संचार सेवाओं का विनियमन: 

  • TSP और OTT प्लेटफाॅर्मों के बीच समान स्तर बनाना: दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSP) और OTT प्लेटफाॅर्मों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा बनाना महत्त्वपूर्ण है। 
    • भारत में TSP को कई कानूनों द्वारा विनियमित किया जाता है, जिनमें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885; वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम, 1933 और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 शामिल हैं। 
    • TSP को वॉयस और एसएमएस सेवाएँ प्रदान करने के लिये कुछ नियमों का पालन करना होगा तथा सरकार को शुल्क का भुगतान करना होगा।
      • उन्हें गुणवत्ता मानकों को पूरा करने, सुरक्षा सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं की सुरक्षा करने की भी आवश्यकता है। 
    • हालाँकि OTT प्लेटफॉर्म इन आवश्यकताओं का सामना किये बिना समान सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें लाभ मिलता है।
    • यह अनुचित प्रतिस्पर्द्धा TSPs के राजस्व के साथ लाभप्रदता को भी प्रभावित करती है तथा दूरसंचार क्षेत्र के माध्यम से सरकार के राजस्व को भी प्रभावित करती है।
  •  वैध अवरोधन और राष्ट्रीय सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिये OTT संचार सेवाओं को विनियमित करना आवश्यक है।
    • गलत सूचना के प्रसार, हिंसा भड़काने या आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने से रोकने के लिये OTT प्लेटफॉर्मों को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा वैध अवरोधन के साथ निगरानी के अधीन होना चाहिये।
    • OTT प्लेटफॉर्म को अपने प्लेटफॉर्म पर किसी भी अवैध सामग्री या गतिविधि के लिये ज़िम्मेदार बनाने से ऑनलाइन वातावरण को सुरक्षित बनाए रखने में सहायता प्राप्त होती  है।

 सेवाओं के संबंध में मसौदा दूरसंचार विधेयक, 2022:

  • मसौदा दूरसंचार विधेयक, 2022 एक प्रस्तावित कानून है जिसका उद्देश्य भारत में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले तीन मौजूदा कानूनों को बदलना है: भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885; भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ तार (गैर-कानूनी अधिकार) अधिनियम, 1950। 
  • मसौदा कानून में व्हाट्सएप, सिग्नल और टेलीग्राम जैसी OTT संचार सेवाओं को दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा में शामिल करने का प्रस्ताव है।
    • इसका प्रस्ताव है कि भारत में OTT संचार सेवाओं को लाइसेंस प्राप्त करना चाहिये तथा  दूरसंचार क्षेत्र के अभिकर्ताओं को नियंत्रित करने वाले समान नियमों का पालन करना चाहिये।
    • ये नियम सेवा की गुणवत्ता और सुरक्षा उपायों जैसे विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हैं।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण:  

  • कानूनी समर्थन:  
    • TRAI की स्थापना 20 फरवरी, 1997 को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 द्वारा की गई थी
  • TRAI के उद्देश्य: 
    • TRAI का मिशन देश में दूरसंचार के विकास के लिये परिस्थितियाँ बनाना और उनका पोषण करना है।
    • TRAI दूरसंचार सेवाओं को नियंत्रित करता है जिसमें दूरसंचार सेवाओं के लिये टैरिफ का निर्धारण/संशोधन भी शामिल है जो पहले केंद्र सरकार में निहित थे।
    • इसका उद्देश्य एक निष्पक्ष और पारदर्शी नीति वातावरण प्रदान करना भी है जो समान अवसर को बढ़ावा देता है और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा की सुविधा प्रदान करता है।
  • मुख्यालय:  
    • TRAI का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • TRAI की संरचना:  
    • सदस्य: ट्राई में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
    • ट्राई की सिफारिशें केंद्र सरकार के लिये बाध्यकारी नहीं हैं।
    • सदस्यों का कार्यकाल: अध्यक्ष और अन्य सदस्य तीन वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहेंगे।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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