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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘गार’ नियमों को लेकर अनिश्चित ऑनलाइन सेवा प्रदाता कंपनियाँ

  • 06 Nov 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • हाल में ही बेंगलूरु आयकर अपीलीय पंचाट ने अपने एक आदेश में गूगल इंडिया को 1,457 करोड़ रुपए की आय पर कर भुगतान करने के लिये कहा था। विदित हो कि गूगल की भारतीय इकाई ने गूगल एड्वर्ड्स से संबंधित मामले में यह रकम आयरलैंड इकाई को स्थानांतरित की थी।
  • इस घटनाक्रम के मद्देनज़र ऑनलाइन सेवा प्रदाता कंपनियाँ उन मामलों में जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल्स (गार) पर स्थिति स्पष्ट करना चाहती हैं, जिनमें वेबसाइटें भारत से बाहर किसी देश में पंजीकृत पेटेंट का इस्तेमाल करती हैं।

क्या है मामला?

  • दरअसल, पंचाट के अनुसार आदेश में विज्ञापन राजस्व को रॉयल्टी भुगतान माना गया है। गूगल के मामले में गूगल इंडिया ने गूगल एड्वर्ड्स से प्राप्त राजस्व गूगल आयरलैंड को स्थानांतरित कर दिया था, जहाँ पेटेंट पंजीकृत हुआ था।
  • कानूनी तौर पर गूगल इंडिया इस कार्यक्रम में महज योगदान देने वाली इकाई थी, लेकिन गूगल इंडिया ने पेटेंट का इस्तेमाल अपनी आयरलैंड इकाई के लिये किया था, इसलिये स्थानांतरित रकम रॉयल्टी भुगतान के तौर पर मानी गई।
  • अब कंपनियाँ सरकार से यह जानना चाहती हैं कि क्या ऐसे मामले ‘गार’ की जद से बाहर हैं। गौरतलब है कि ऐपल, अमेजॉन और बिंग जैसी शीर्ष कंपनियाँ ऐसी ही संरचना का इस्तेमाल करती हैं।

क्या है ‘गार’?

  • कर चोरी और काले धन को रोकने के लिये गार एक प्रकार का नियम है। गार को लागू करने का सरकार का उद्देश्य यह है कि जो भी विदेशी कंपनी भारत में निवेश करे, वह यहाँ पर तय नियमों के मुताबिक ही करे।
  • इसका मुख्‍य उद्देश्‍य कराधान की खामियाँ दूर करना और कर चोरी करने वालों की पहचान करना है। गार यह सुनिश्चित करता है कि कर चोरी के उद्देश्य से किये गए लेन-देन तथा अनुचित तरीके से कराधान के दायरे से बाहर रखी गई आय को कराधान के दायरे में लाया जाए।

निष्कर्ष

  • कर विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले से जुड़ा एक चिंताजनक पहलू यह है कि एड्वर्ड्स के कारोबार का व्यापक आकलन करने के बजाय पंचाट ने इस मामले की व्याख्या तकनीकी रूप से की। 
  • दरअसल, आदेश में विज्ञापन बाज़ार को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों को नज़रअंदाज़ कर छोटे-छोटे पहलुओं की तकनीकी व्याख्या हुई है।
  • विदित हो कि  भारतीय बाज़ार में कई ऑनलाइन कंपनियाँ कारोबार कर रही हैं, जिनमें देसी फ्लिपकार्ट और स्नैपडील भी शामिल हैं लेकिन किसी कंपनी ने भारत से बाहर बौद्धिक संपदा पंजीकृत नहीं कराई है।
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