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भारतीय विरासत और संस्कृति

रॉक आर्ट/शैल चित्र का विनाश

  • 03 Jun 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

नीलगिरि के जंगलों में किल कोटागिरी (Kil Kotagir) के करिकियूर (Karikiyoor) में 40 प्रतिशत रॉक पेंटिंग्स (शैल चित्रकला) मानवीय हस्तक्षेप के कारण नष्ट हो रही है।

  • इरुला आदिवासी समुदाय (Irula Tribal Community), जो नीलगिरी वन के रॉक आर्ट साइट के उत्तराधिकारी हैं, अवैध ट्रेकर्स द्वारा इन चित्रकलाओं को पहुँच रही क्षति के कारण बेहद नाराज़ है।
  • करिकियूर में शैल चित्रों पर पाई जाने वाली लिपियों के चित्र उत्तरी भारत के सिंधु सभ्यता स्थलों में पाई गई लिपि से मिलते जुलते हैं।

इरुला आदिवासी/जनजाति (Irula Tribal Community)

  • इरुला जनजाति तमिलनाडु के उत्तरी ज़िलों तिरुवलुर जनपद (बड़ी संख्या में), चेंगलपट्टू, कांचीपुरम, तिरुवान्नामलाई आदि तथा केरल के वायनाड, इद्दुक्की, पलक्कड़ आदि ज़िलों में बड़ी संख्या में निवास करती हैं।
  • इस जनजाति समूह की उत्पत्ति दक्षिण पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया के जातीय समूहों से हुई है।
  • ये इरुला भाषा बोलते हैं जो कन्नड़ और तमिल की तरह द्रविड़ भाषा से संबंधित है।
  • इरुला विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs) में से एक हैं।

Tamil Nadu

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह

(Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs)

  • विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह भारत की अनुसूचित जनजातियों के हाशिये पर रहने वाले वर्ग हैं, जो शैक्षिक और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हैं तथा मूलभूत सुविधाओं की पहुँच से बहुत दूर रहते हैं।
  • यह समूह संवैधानिक श्रेणी में नहीं हैं तथा न ही इन्हें संवैधानिक मान्यता प्राप्त है।
  • भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 75 जनजातीय समूहों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • ये समूह 18 राज्यों तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह संघ राज्य-क्षेत्र में रहते हैं।
  • जिसका प्रमुख उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका तथा कौशल विकास, कृषि विकास, आवास तथा अधिवास, संस्कृति का संरक्षण आदि क्षेत्रों में समुदायों की स्थितियों में सुधार करना एवं उन्हें सक्षम बनाना है।

रॉक आर्ट/शैल चित्र

  • यह मानव द्वारा निर्मित प्राकृतिक पत्थर पर अंकित छाप हैं।
  • इसे सामान्यतः तीन रूपों में विभाजित किया जाता है:
  • शैलोत्कीर्ण (Petroglyphs): जो चट्टान की सतह पर खुदे हुए हैं।
  • चित्रलिपि (Pictographs): जिन्हें सतह पर चित्रित किया गया है।
  • अल्पना/रंगोली/अर्थ फीगर्स (Earth Figures): जो ज़मीन पर बने हुए हैं।
  • भारत में शैल चित्र मुख्य रूप से निम्नलिखित गुफाओं में पाए जाते हैं:
    • भीमबेटका गुफाएँ (Bhimbetka caves): ये होशंगाबाद तथा भोपाल के बीच स्थित हैं।
    • बाघ गुफाएँ (Bagh caves): मध्य प्रदेश के धार ज़िले में बाघनी नदी के तट पर स्थित है।
    • जोगीमारा गुफाएँ (Jogimara caves): यहाँ बने चित्र अजंता और बाग की गुफाओं के शैल चित्रों से भी पुराने हैं और इनका संबंध बुद्ध (Buddha) से पूर्व की गुफाओं से हैं। ये गुफाएँ छतीसगढ़ के सरगुज़ा ज़िले में नर्मदा के उद्गम स्थल के निकट अमरनाथ में स्थित हैं।
    • अरमामलाई गुफाएँ (Armamalai caves): तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले में स्थित अरमामलाई के गुफा चित्र, प्राचीन चित्रों, शैल उत्तकीर्णों (Petroglyphs) और शैल चित्रों के साथ एक जैन मंदिर के लिये जानी जाती हैं।

महत्त्व

  • रॉक पेंटिंग/शैल चित्रकला, शिकार की विधि एवं स्थानीय समुदायों के जीवन जीने के तरीकों का एक ‘ऐतिहासिक रिकॉर्ड’ के रूप में विवरण प्रस्तुत करती है।
  • स्थानीय निवासियों द्वारा रॉक कला का उपयोग अनुष्ठानिक उद्देश्य के लिये किया जाता था।
  • आदिवासी समुदाय के लोग शैलों पर उत्कीर्ण चित्रों का अनुकरण कर अपने रीति-रिवाज़ों का पालन करते हैं।

स्रोत- द हिंदू

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