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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत के लिये वीज़ा नियमों को आसान करेगा न्यूज़ीलैंड

  • 08 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

न्यूज़ीलैंड ने भारत के लिये कार्य-वीजा नियमों को आसान करने का आश्वासन दिया है, लेकिन इसके बदले वह अपने डेयरी, शराब और सेब जैसे उत्पादों की भारतीय बाज़ारों तक पहुँच चाहता है।

प्रमुख बिंदु:

  • न्यूजीलैंड क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) संधि के हिस्से के रूप में भारत में अपने डेयरी उत्पादों, सेब, कीवी और शराब के लिये अधिक से अधिक बाजार पहुँच चाहता है।
  • भारतीय कृषि मंत्रालय अधिकांश RCEP सदस्यों के लिये डेयरी क्षेत्र के उदारीकरण के पक्ष में नहीं है, लेकिन वह न्यूज़ीलैंड की मांग पर गंभीरता से विचार कर रहा है क्योंकि न्यूज़ीलैंड ज़्यादातर प्रीमियम उत्पादों का निर्यात करता है जो कि भारत में उत्पादित नहीं होते हैं।
  • भारत में स्किम्ड मिल्क पाउडर (Skimmed Milk Powder) और मिल्क पाउडर का उत्पादन बहुतायत में होता है इसलिये मंत्रालय आयात शुल्क पर टैरिफ हेतु विचार कर सकता है।
  • सेब और शराब जैसी वस्तुओं को भारत में अधिक बाजार पहुँच की उपलब्धता में परेशानी हो सकती है क्योंकि इन वस्तुओं को अर्थव्यवस्था के लिये संवेदनशील माना जाता है।
  • भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच डिजिटल व्यापार, द्विपक्षीय व्यापार से व्यापार बातचीत (Bilateral Business to Business Interaction), वित्त, बुनियादी ढाँचे और लघु और मध्यम उद्योग जैसे फोकस के क्षेत्र हैं।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP)

  • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) एक प्रस्तावित मेगा मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement-FTA) है, जो आसियान के 10 सदस्य देशों तथा 6 अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड) के बीच किया जाना है।
  • ज्ञातव्य है कि इन देशों का पहले से ही आसियान से मुक्त व्यापार समझौता है।
  • वस्तुतः RCEP वार्ता की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2012 में कंबोडिया में आयोजित 21वें आसियान शिखर सम्मेलन में हुई थी।
  • RCEP को ट्रांस पेसिफिक पार्टनरशिप (Trans Pacific Partnership- TPP) के एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
  • RCEP के सदस्य देशों की कुल जीडीपी लगभग 21.3 ट्रिलियन डॉलर और जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 45 प्रतिशत है।
  • सदस्य देश: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम। इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड सहभागी (Partner) देश हैं।

स्रोत: बिजनेस लाइन

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