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राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC)

  • 09 Mar 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), परामर्श, उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE), 2020-2021।

मेन्स के लिये:

भारत में वर्तमान प्रत्यायन मानदंड, भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली से संबंधित चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (National Assessment and Accreditation Council- NAAC) पर अनियमित रूप से कार्य संचालन का आरोप लगाया गया है।

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद:

  • परिचय:
    • यह भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता का आकलन करने हेतु ज़िम्मेदार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) के तहत एक स्वायत्त निकाय है। इसकी स्थापना वर्ष 1994 में हुई थी।
  • NAAC के कार्य:
    • एक बहुस्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया के माध्यम से, जैसे- पाठ्यक्रम, संकाय, बुनियादी ढाँचे, अनुसंधान और वित्तीय कल्याण आदि मापदंडों के आधार पर A++ से लेकर C तक के ग्रेड प्रदान करता है।
  • आरोप:
    • NAAC की कार्यकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष ने यह आरोप लगाने के बाद इस्तीफा दे दिया कि कदाचार के कारण कुछ संस्थानों को संदिग्ध ग्रेड दिया जा रहा है।
    • एक जाँच आयोग ने IT प्रणाली और मूल्यांकनकर्त्ताओं के आवंटन में अनियमितताएँ पाईं।
      • जाँच में यह भी बताया गया है कि लगभग 4,000 मूल्यांकनकर्त्ताओं के पूल से लगभग 70% विशेषज्ञों को साइट का दौरा करने का कोई अवसर नहीं मिला है।
    • जनवरी 2023 तक उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2020-2021 में 1,113 विश्वविद्यालयों और 43,796 कॉलेजों में से केवल 418 विश्वविद्यालय तथा 9,062 कॉलेज NAAC से मान्यता प्राप्त थे।

भारत में वर्तमान प्रत्यायन मानदंड क्या हैं?

  • मानदंड:
    • वर्तमान में केवल वही संस्थान जो कम-से-कम 6 वर्ष पुराने हैं या जहाँ से छात्रों के कम-से-कम दो बैच स्नातक हैं, मान्यता हेतु आवेदन कर सकते हैं, जो 5 वर्षों के लिये वैध है।
  • प्रत्यायन अधिदेश:
    • NAAC द्वारा प्रत्यायन स्वैच्छिक है, हालाँकि UGC द्वारा कई परिपत्र जारी किये गए हैं जिनमें संस्थानों से मूल्यांकन कराने का आग्रह किया गया है।
  • मान्यता में तेज़ी लाने के प्रयास:
    • UGC ने मान्यता प्राप्त करने के इच्छुक संस्थानों को सलाह देने के लिये वर्ष 2019 में 'परामर्श' नाम से एक योजना शुरू की।
    • NAAC ने एक पुराने संस्थानों को प्रोविजनल एक्रिडिटेशन फॉर कॉलेजेज़ (PAC) जारी करने की संभावना तलाशी।
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) ने अगले 15 वर्षों में सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को उच्चतम स्तर की मान्यता प्राप्त करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में अन्य चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सीमित पहुँच: उच्च शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद सीमांत समुदायों के कई छात्र अभी भी प्रवेश की बाधाओं का सामना करते हैं, जिसमें वित्तीय बाधाएँ और शैक्षिक अवसरों की कमी शामिल है।
    • विशेष रूप से दिव्यांग श्रेणी के छात्रों की संख्या 2019-20 के 92,831 से घटकर 2020-21 में 79,035 हो गई।
  • लैंगिक असमानता: महिलाओं को भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये सामाजिक और सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों एवं समर्थन प्रणालियों की कमी सहित अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
    • उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE), 2020-21 में उच्च शिक्षा कार्यक्रमों में महिला नामांकन कुल नामांकन का 49% था।
  • रोज़गार के मुद्दे: बड़ी संख्या में स्नातक होने के बावजूद भारत में कई छात्र व्यावहारिक कौशल और उद्योग-संबंधित शिक्षा की कमी के कारण रोज़गार पाने के लिये संघर्ष करते हैं।
    • इसके अतिरिक्त भारतीय अनुसंधान उत्पादन के मामले में कई अन्य देशों से पीछे है, एवं कई उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान संस्कृति का अभाव है।

आगे की राह

  • डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहन: डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग शिक्षा को अधिक कुशल, किफायती और सुलभ बना सकता है।
    • संस्थानों को डिजिटल की बुनियादी संरचनाओं में निवेश करना चाहिये और नई तकनीकों के अनुकूल छात्रों और शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिये।
  • प्रत्यायन में वृद्धि: प्रत्यायन की प्रक्रिया को अत्यधिक पारदर्शी और सुलभ बनाया जाना चाहिये ताकि संस्थानों को प्रत्यायन प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
    • इसके अतिरिक्त सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि मान्यता प्रक्रिया निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त हो।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भारत में शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है।
    • सूचना, कौशल और सामग्री के आदान-प्रदान के लिये संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करना चाहिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न.'उन्नत भारत अभियान' कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है? (2017)

(a) स्वैच्छिक संगठनों एवं सरकार की शिक्षा प्रणाली तथा स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर 100% साक्षरता हासिल करना।
(b) उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकास की चुनौतियों का समाधान करने के लिये उच्च शिक्षण संस्थानों को स्थानीय समुदायों के साथ जोड़ना।
(c) भारत को एक वैज्ञानिक और तकनीकी शक्ति बनाने के लिये भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों को सुदृढ़ करना।
(d) ग्रामीण एवं शहरी गरीबों की स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के लिये विशेष धन का आवंटन कर उनके लिये कौशल विकास कार्यक्रम एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण का आयोजन कर मानव संसाधन का विकास करना।

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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