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राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) आकलन प्रणाली

  • 20 Sep 2022
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC), उच्च शिक्षा संस्थान (HEI), मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग।

मेन्स के लिये:

महत्त्व, शिक्षा के मुद्दे और संबंधित पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) की रेटिंग से संबंधित विवाद उत्पन्न हो गया क्योंकि संस्थान का स्कोर सभी मापदंडों में सुधार के आधार पर A से A+ में रूपांतरित  कर दिया गया था।

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC):

  • परिचय:
    • यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तहत एक स्वायत्त निकाय है, जो मान्यता के हिस्से के रूप में ग्रेडिंग के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) का मूल्यांकन और प्रमाणन करता है।
    • एक बहुस्तरीय प्रक्रिया के माध्यम से कोई उच्च शिक्षा संस्थान यह जान सकता है कि क्या वह पाठ्यक्रम, संकाय, बुनियादी ढांँचे, अनुसंधान और अन्य मापदंडों के संदर्भ में मूल्यांकनकर्त्ता द्वारा निर्धारित गुणवत्ता के मानकों को पूरा करता है।
    • संस्थानों की रेटिंग A++ से लेकर C तक होती है। यदि किसी संस्थान को D ग्रेड दिया गया है, तो इसका मतलब है कि वह मान्यता प्राप्त नहीं है।
  • मिशन:
    • उच्च शिक्षा संस्थानों या उनकी इकाइयों या विशिष्ट शैक्षणिक कार्यक्रमों या परियोजनाओं के आवधिक मूल्यांकन और मान्यता की व्यवस्था करना।
    • उच्च शिक्षा संस्थानों में पठन-पाठन और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ावा देने हेतु शैक्षणिक वातावरण को प्रोत्साहित करना।
    • उच्च शिक्षा में स्व-मूल्यांकन, जवाबदेही, स्वायत्तता और नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
    • गुणवत्ता से संबंधित अनुसंधान अध्ययन, परामर्श और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना।
    • गुणवत्ता मूल्यांकन, प्रोत्साहन और जीविका के लिये उच्च शिक्षा के अन्य हितधारकों के साथ सहयोग करना।
  • प्रत्यायन के लिये प्रक्रिया:
    • इनपुट आधारित: NAAC आवेदक संस्थानों की स्व-मूल्यांकन रिपोर्ट पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
      • आवेदक संस्था के लिये पहला कदम मात्रात्मक और गुणात्मक मेट्रिक्स से संबंधित जानकारी की एक स्व-अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।
      • फिर डेटा को NAAC विशेषज्ञ टीमों द्वारा मान्य किया जाता है, इसके बाद पीयर टीम संस्थानों का दौरा करती है।
  • भविष्योन्मुखी परिप्रेक्ष्य:
    • परिणाम आधारित दृष्टिकोण: NAAC परिणाम आधारित दृष्टिकोण अपनाने की योजना बना रहा है, इसके अनुसार यह पता लगाने पर ज़ोर दिया जाएगा कि क्या छात्र प्रासंगिक कौशल और शैक्षणिक क्षमताओं से लैस हैं।

भारत में मान्यता प्राप्त संस्थानों की स्थिति:

  • उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण के पोर्टल पर 1,043 विश्वविद्यालय और 42,343 कॉलेज सूचीबद्ध हैं।
  • लगभग 406 विश्वविद्यालय और 8,686 कॉलेज NAAC से मान्यता प्राप्त हैं।
  • राज्यों में महाराष्ट्र में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त कॉलेजों की संख्या 1,869 है, जिसके बाद कर्नाटक 914 की संख्या के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
  • तमिलनाडु में सबसे अधिक (43) मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय हैं।

Accredited

प्रमाणन के लिये कौन से शैक्षणिक संस्थान आवेदन  कर सकते हैं?

  • केवल वे उच्च शिक्षा संस्थान जो कम-से-कम छह वर्ष पुराने हैं, या जहाँ से छात्रों के कम -से-कम दो बैचों ने स्नातक किया है, आवेदन कर सकते हैं।
  • यह मान्यता पाँच साल के लिये वैध है।
  • इसके अतिरिक्त, इच्छुक संस्थानों को यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त होने की आवश्यकता है और नियमित छात्रों को उनके पूर्णकालिक शिक्षण तथा अनुसंधान कार्यक्रमों में नामांकित किया जाना चाहिये।
  • भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:
    • भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद छात्रों के संदर्भ में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है।
    • भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में स्वतंत्रता के बाद विश्वविद्यालयों/विश्वविद्यालय स्तर के संस्थानों और कॉलेजों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
    • प्रतिष्ठित क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में केवल तीन भारतीय विश्वविद्यालय- IIT-बॉम्बे, IIT-दिल्ली और IISc (बंगलूरू) को शीर्ष 200 संस्थानों में शामिल किया गया है।

उच्च शिक्षा क्षेत्र में भारत की चुनौतियाँ:

  • नामांकन: उच्च शिक्षा में भारत का सकल नामांकन अनुपात (GER) केवल 25.2% है जो कि विकसित और अन्य प्रमुख विकासशील देशों की तुलना में काफी कम है।
  • निष्पक्षता: समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सकल नामांकन अनुपात (GER) में कोई समानता नहीं है। GER इस प्रकार हैं: पुरुषों में 26.3%, महिलाओं में 25.4%, एससी में 21.8% और एसटी में 15.9%।
    • यहाँ क्षेत्रीय भिन्नताएँ भी हैं। कुछ राज्यों में उच्च GER है और कुछ राष्ट्रीय आँकड़ो से बहुत पीछे हैं।
    • कॉलेज घनत्व (प्रति लाख पात्र जनसंख्या पर कॉलेजों की संख्या) बिहार में 7 से लेकर तेलंगाना में 59 तक है, जबकि अखिल भारतीय औसत 28 है।
    • अधिकांश प्रमुख विश्वविद्यालय और कॉलेज महानगरीय एवं शहरों में केंद्रित हैं, जिससे उच्च शिक्षा तक पहुँच में क्षेत्रीय असमानता है।
  • गुणवत्ता: शिक्षा की निम्न गुणवत्ता के कारण भारत में रटकर सीखने की प्रथा है, साथ ही यह रोज़गार और कौशल विकास की समस्या से ग्रस्त है।
  • बुनियादी ढाँचा: भारत में उच्च शिक्षा का निम्न स्तरीय बुनियादी ढाँचा एक और चुनौती है। निहित स्वार्थ समूह (शिक्षा माफिया), बजट की कमी, भ्रष्टाचार और पैरवी के कारण भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के विश्वविद्यालयों में आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी है। यहाँ तक कि निजी क्षेत्र भी वैश्विक मानक के अनुरूप नहीं है।
  • संकाय: संकाय की कमी और राज्य की शिक्षा प्रणाली में योग्य शिक्षकों को आकर्षित करने और बनाए रखने में असमर्थता कई वर्षों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये चुनौतियाँ खड़ी कर रही है। संकाय की कमी के कारण प्रमुख संस्थानों में भी अनौपचारिक रूप से तदर्थ (Ad-hoc) शिक्षकों की नियुक्ति होती है।
    • हालाँकि देश में छात्र-शिक्षक अनुपात (30:1) स्थिर रहा है, फिर भी इसे USA (12.5:1), चीन (19.5:1) और ब्राज़ील (19:1) के बराबर लाने के लिये इसमें सुधार करने की आवश्यकता है।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा हाल में की गई पहल:

  • शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन और समावेशन कार्यक्रम (EQUIP): यह अगले पाँच वर्षों (2019-2024) में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार के लिये एक पंचवर्षीय योजना है।
  • यूजीसी का लर्निंग आउटकम-बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क (LOCF): यूजीसी द्वारा 2018 में जारी किये गए LOCF दिशा-निर्देशों का उद्देश्य यह निर्दिष्ट करना है कि अध्ययन के अपने कार्यक्रम के अंत में स्नातकों से क्या जानने, समझने और करने में सक्षम होने की उम्मीद की जाती है। यह छात्र को सक्रिय शिक्षार्थी और शिक्षक को एक अच्छा सूत्रधार बनाने के लिये है।
  • विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिये वर्गीकृत स्वायत्तता: प्रत्यायन स्कोर के आधार पर वर्गीकरण के साथ त्रि-स्तरीय श्रेणीबद्ध स्वायत्तता नियामक प्रणाली शुरू की गई है। श्रेणी I और श्रेणी II विश्वविद्यालयों को परीक्षा आयोजित करने, मूल्यांकन प्रणाली निर्धारित करने और यहाँ तक कि परिणाम घोषित करने की स्वायत्तता होगी।
  • अकादमिक नेटवर्क के लिये वैश्विक पहल (GIAN): यह कार्यक्रम भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिये दुनिया भर के प्रमुख संस्थानों के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों को आमंत्रित करता है।
  • उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE): इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य देश में उच्च शिक्षा के सभी संस्थानों की पहचान करना और अधिकृत करना है तथा उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर सभी उच्च शिक्षा संस्थानों से डेटा एकत्र करना है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न :  

प्रश्न: 'उन्नत भारत अभियान' कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है? (2017)

(a) स्वैच्छिक संगठनों और सरकार की शिक्षा प्रणाली तथा स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर 100% साक्षरता प्राप्त करना।
(b) उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकास चुनौतियों का समाधान करने के लिये स्थानीय समुदायों के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों को जोड़ना।
(c) भारत को वैज्ञानिक और तकनीकी शक्ति बनाने के लिये भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों को मज़बूत करना।
(d) ग्रामीण और शहरी गरीबों की स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के लिये विशेष धन आवंटित करके एवं उनके लिये कौशल विकास कार्यक्रम तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण आयोजित करके मानव पूंजी का विकास करना।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 'उन्नत भारत अभियान' शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकास की चुनौतियों का समाधान करने के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (NIT) और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों (IISER) आदि सहित उच्च शिक्षा संस्थानों को स्थानीय समुदायों के साथ जोड़ना है।
  • उन्नत भारत अभियान के उद्देश्य प्रमुख तौर पर दो प्रकार के हैं:
    • ग्रामीण भारत की ज़रूरतों के लिये प्रासंगिक अनुसंधान और प्रशिक्षण में उच्च शिक्षा के संस्थानों में संस्थागत क्षमता का निर्माण।
    • ग्रामीण भारत को उच्च शिक्षा के संस्थानों से पेशेवर संसाधन सहायता प्रदान करना, विशेष रूप से वे जिन्होंने विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी तथा प्रबंधन के क्षेत्र में अकादमिक उत्कृष्टता हासिल की है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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