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मेंढकों की त्वचा से निकलने वाले श्लेष्मा से हो सकता है संक्रमणों से बचाव

  • 20 Apr 2017
  • 4 min read

संदर्भ
हाल ही में एक विशेष अध्ययन के परिणामों के आधार पर यह बताया गया है कि केरल में पाए जाने वाले रंगीन, टेनिस की गेंद के आकार के मेंढकों की त्वचा के श्लेष्मा/म्यूकस (mucus) का उपयोग विषाणु रोधक दवा के रूप में किया जा सकता है| गौरतलब है कि इस मेढ़क के श्लेष्मा से निर्मित दवा, विभिन्न प्रकार के संक्रमणों को खत्म करने में अत्यंत ही कारगर सिद्ध होगी|

क्यों जीवाणु और विषाणु रोधक है यह दवा?

  • विदित हो कि मेंढक के श्लेष्मा में ऐसे अणु पाए गए हैं जो जीवाणुओं और विषाणुओं का खात्मा कर देते हैं और शोधकर्ता इसे रोगकारक सूक्ष्मजीवी विरोधी दवाओं के स्रोत के रूप में उपयोग में लाने पर विचार कर रहे हैं|
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, इन मेंढकों में पाया जाने वाला “डिफेन्स पेप्टाइड” से व्यक्तियों के साथ-साथ चूहों में भी होने वाले संक्रमण से बचाव किया जा सकता है, इस डिफेन्स पेप्टाइड का नाम “हाइड्रोफायलेक्स बहुविस्तारा” (Hydrophylax bahuvistara) है।

अध्ययन के मुख्य बिंदु 

  • अध्ययन के दौरान जब शोधकर्ताओं ने मेंढकों को इलेक्ट्रिक शॉक देकर उनके श्लेष्मा को इकट्ठा किया तो उसमें एक पेप्टाइड अथवा एमिनो अम्ल की एक श्रृंखला पाई गई| उल्लेखनीय है कि इस प्रकार के पेप्टाइड का उपयोग ‘H1 वायरस’ से होने वाले विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाव के लिये किया जा सकता है।
  • आरंभ में शोधकर्ताओं का विचार यह था कि इस शोध के लिये उन्हें हजारों अथवा लाखों मेंढकों की आवश्यकता होगी परन्तु उन्होंने केवल 32 पेप्टाइड का ही परीक्षण किया और सफलता प्राप्त कर ली|
  • शोधकर्ताओं ने पाए गए इस नए पेप्टाइड का नाम उरूमि के नाम पर ‘उरुमिन’ (urumin) रखा है| विदित हो कि उरूमि एक तलवार है जिसकी धार तेज़ होती है और यह तलवार लचकदार भी होती है जिसे कोड़े की तरह घुमाकर चलाया जाता है| 
  • विदित हो कि उरुमिन स्तनधारियों के लिये हानिकारक नहीं है बल्कि यह केवल फ्लू वायरस को ही नष्ट कर सकता है| जब शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला के चूहों की नाक पर उरुमिन को रखा तो वे H1 फ्लू वायरस के घातक प्रहार को भी झेल गए|

निष्कर्ष
चिकित्सा क्षेत्र में यह शोध निश्चित ही क्रन्तिकारी बदलाव ला सकता है, ध्यातव्य है कि वर्ष 2009 में H1 फ्लू वायरस ही स्वाइन फ्लू जैसी महामारी के लिये ज़िम्मेदार था| परन्तु इसके व्यवहारिक उपयोग के लिये और अधिक शोध की आवश्यकता होगी, क्योंकि जितना महत्त्वपूर्ण मेंढकों के श्लेष्मा का उपयोगी पाया जाना है उतना ही महत्त्वपूर्ण इसको दवा के तौर पर विकसित करना भी है|flu/article18147134.ece

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