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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चंद्रमा की पूरी सतह पर जल पाए जाने की संभावना

  • 27 Feb 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

  • भारत के चंद्रयान -1 मिशन और नासा के लूनर रीकॉनाइसेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter) से प्राप्त आँकड़ों के नवीन विश्लेषण से यह जानकारी सामने आई है कि चंद्रमा की सतह पर जल किसी विशेष भू-भाग तक सीमित न होकर पूरी सतह पर फैला हुआ है।
  • इससे पहले के विश्लेषण के आधार पर यही माना जाता था कि चंद्रमा के ध्रुवीय भागों पर ही जल मौजूद है और दिनों के अनुसार जल की मात्रा घटती या बढ़ती रहती है।

प्रमुख बिंदु 

  • अध्ययन के लिये शोधकर्त्ताओं ने चंद्रयान-1 में लगे मून मिनरोलॉजी मैपर स्पेक्ट्रोमीटर से प्राप्त आँकड़ों का विश्लेषण किया था। 
  • नेचर जिओसाइंस में प्रकाशित इस नए अध्ययन के मुताबिक़ चंद्रमा पर दिन के प्रत्येक समय और प्रत्येक अक्षांश पर जल के होने के संकेत मिले हैं।
  • इस अध्ययन से शोधकर्त्ताओं को चंद्रमा पर जल की उत्पत्ति को समझने और एक संसाधन के रूप में इसके उपयोग की विधियों की पहचान करने में सुविधा मिलेगी।
  • यदि चंद्रमा पर पर्याप्त मात्रा में जल पाया जाता है और इसका सुविधाजनक उपयोग संभव हो तो भविष्य में इसको पीने के पानी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा या हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विघटित कर रॉकेट ईंधन या साँस लेने योग्य वातावरण के निर्माण के लिये ऑक्सीजन में बदला जा सकेगा। 
  • विस्तृत रूप से फैले इस जल के मुख्य रूप से OH (हाइड्रोक्सिल) के रूप में होने की संभावना जताई जा रही है।
  • जल (H2O) की तुलना में OH अधिक प्रतिक्रियाशील होता है जिससे यह तुरंत ही किसी अन्य यौगिक से रासायनिक रूप से जुड़ जाता है।
  • इस अध्ययन के परिणाम यह संकेत करते हैं कि चंद्रमा पर जल का निर्माण इसकी सतह को गर्म करने वाली सौर पवनों से हुआ है।
  • हालाँकि शोधकर्त्ताओं ने इस बात से भी इनकार नही किया है कि सतह पर जल या OH चंद्रमा की सतह से उत्पन्न नहीं हुआ।

चंद्रयान-1 

  • भारत के प्रथम चंद्रमा मिशन चंद्रयान-1 को 22 अक्तूबर, 2008 को PSLV C-11 से सफलतापूर्वक विमोचित किया गया था।
  • यह अंतरिक्षयान चंद्रमा के रासायनिक, खनिजीय और प्रकाश-भौमिकी मानचित्रण के लिये चंद्रमा की परिक्रमा करता है।
  • इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे एवं पानी के अंश और हीलियम की खोज करने के साथ ही चंद्रमा की सतह पर मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, आयरन और टाइटेनियम जैसे खनिजों और रासायनिक तत्त्वों का वितरण तथा यूरेनियम और थोरियम जैसे उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्वों की खोज करना है।

चन्द्रयान- 2

  • यह चंद्रमा पर भेजा जाने वाला भारत का दूसरा तथा चंद्रयान-1 का उन्नत संस्करण है, जिसे अप्रैल 2018 में भेजे जाने की योजना बनाई गई है।
  • इसके द्वारा पहली बार चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर यान, एक लैंडर और एक रोवर ले जाया जाएगा। ऑर्बिटर जहाँ चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करेगा, वहीं लैंडर चंद्रमा के एक निर्दिष्ट साइट पर उतरकर रोवर को तैनात करेगा।
  • इस यान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के मौलिक अध्ययन (Elemental Study) के साथ-साथ वहाँ पाए जाने वाले खनिजों का भी अध्ययन (Mineralogical Study) करना है।
  • इसे GSLV-MK-II द्वारा पृथ्वी के पार्किंग ऑर्बिट (Earth Parking Orbit - EPO) में एक संयुक्त स्टैक के रूप में भेजे जाने की योजना बनाई गई है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2010 के दौरान भारत और रूस के बीच यह सहमति बनी थी कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘Roscosmos’ चंद्र लैंडर (Lunar Lander) का निर्माण करेगी तथा इसरो द्वारा ऑर्बिटर और रोवर के निर्माण के साथ ही जी.एस.एल.वी. द्वारा इस यान की लॉन्चिंग की जाएगी।
  • किंतु, बाद में यह निर्णय लिया गया कि चंद्र लैंडर का विकास (Lunar Lander development) भी इसरो द्वारा ही किया जाएगा। इस प्रकार चंद्रयान-2 अब पूर्णरूपेण एक भारतीय मिशन है।
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