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भारतीय समाज

मासिक धर्म अवकाश

  • 27 Feb 2023
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जनहित याचिका, महिलाओं का मासिक धर्म अवकाश का अधिकार और मासिक धर्म स्वास्थ्य उत्पादों तक निःशुल्क पहुँच विधेयक, 2022 

मेन्स के लिये:

महिलाओं से संबंधित मुद्दे, भारत में मासिक धर्म अवकाश के प्रयास।

चर्चा में क्यों?  

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में श्रमिकों और छात्रों के लिये मासिक धर्म अवकाश से संबंधित एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

  • न्यायालय ने इसे एक नीतिगत मामला बताया और कहा कि मासिक धर्म के दौरान तकलीफ के लिये अवकाश के अलग-अलग आयाम हैं और यह नियोक्ताओं को महिला कर्मचारियों को कार्य पर रखने से हतोत्साहित कर सकता है

विश्व स्तर पर मासिक धर्म अवकाश हेतु किस प्रकार की नीतियाँ लागू हैं?

  • परिचय:  
    • मासिक धर्म अवकाश जिसे मासिक चक्र अवकाश के रूप में भी जाना जाता है, उन सभी नीतियों को संदर्भित करता है जो महिला कर्मचारियों या छात्राओं को मासिक धर्म में दर्द या परेशानी के कारण अवकाश की अनुमति देता है।
  • मासिक धर्म अवकाश को बढ़ावा देने वाले देश: 
    • स्पेन, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ताइवान, दक्षिण कोरिया, ज़ाम्बिया, दक्षिण कोरिया और वियतनाम।
      • स्पेन पहला यूरोपीय देश है जो महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म में सवेतन अवकाश प्रदान करता है, जिसमें प्रतिमाह तीन दिन का अवकाश अधिकार शामिल है, जिसे बढ़ाकर पाँच दिन किया जा सकता है।

 मासिक धर्म अवकाश हेतु भारत में प्रयास:

  • भारत में कुछ कंपनियों ने मासिक धर्म अवकाश नीतियाँ पेश की हैं, जिसमें ज़ोमैटो भी शामिल है, जिसने वर्ष 2020 में प्रतिवर्ष 10 दिन की सवेतन अवधि के अवकाश की घोषणा की।
    • स्विगी और बायजू जैसी अन्य कंपनियों ने भी इसका अनुसरण किया है। 
  • बिहार और केरल मात्र ऐसे भारतीय राज्य हैं जिन्होंने महिलाओं हेतु मासिक धर्म अवकाश नीतियाँ पेश की हैं। 
    • बिहार की नीति वर्ष 1992 में पेश की गई थी, जिसमें महिला कर्मचारियों को प्रत्येक महीने दो दिन का मासिक धर्म अवकाश दिया जाता था।
    • केरल ने हाल ही में घोषणा की कि राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के तहत विश्वविद्यालयों में छात्राओं को मासिक धर्म और मातृत्त्व अवकाश प्रदान किया जाएगा और केरल के एक विद्यालय ने भी इसी प्रकार की प्रणाली शुरू की है।

मासिक धर्म अवकाश के संबंध में किये जा रहे विधायी उपाय:  

  • बीते समय में किये गए प्रयास: 
    • संसद में मासिक धर्म अवकाश और मासिक धर्म स्वास्थ्य उत्पाद विधेयक पेश किये गए हैं, लेकिन उन पर मुहर लगना अभी तक बाकी है
    • उदाहरण के लिये मासिक धर्म लाभ विधेयक, 2017' और महिला यौन, प्रजनन एवं मासिक धर्म अधिकार विधेयक 2018
  • महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश का अधिकार और मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य उत्पादों तक मुफ्त पहुँच विधेयक, 2022:
    • प्रस्तावित विधेयक मासिक धर्म की अवधि के दौरान महिलाओं और ट्रांस महिलाओं के लिये तीन दिनों के सवैतनिक अवकाश का प्रावधान करता है और इसे छात्राओं के लिये भी लाभकारी  बनाने का प्रयास करता है।
    • विधेयक में अनुसंधान का हवाला दिया गया है जो इंगित करता है कि लगभग 40% लड़कियाँ पीरियड्स के दौरान स्कूल नहीं छोड़ती हैं तथा लगभग 65% ने कहा कि इसका स्कूल में उनकी दैनिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। 

स्रोत: द हिंदू

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