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भूगोल

अवैध प्रवासन का संकट

  • 19 Mar 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर माइग्रेशन, मिसिंग माइग्रेंट्स प्रोजेक्ट, इंटरनल माइग्रेशन, डंकी फ्लाइट, सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिये ग्लोबल कॉम्पैक्ट

मेन्स के लिये:

समग्र विश्व में प्रवासन की स्थिति, प्रवासियों के सम्मुख प्रमुख चुनौतियाँ

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर माइग्रेशन (International Organization for Migration- IOM) ने कहा है कि वर्ष 2023 में विश्व भर में थल और समुद्री मार्गों पर कुल 8,565 प्रवासियों की मृत्यु हो गई।

  • IOM ने बताया कि वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में प्रवासी मौतों की संख्या लगभग 20% बढ़ गई।
  • IOM द्वारा वर्ष 2014 में स्थापित "लापता प्रवासी" परियोजना इन आँकड़ों पर नज़र रखती है और इसे भूमध्य सागर में मौतों में वृद्धि तथा इतालवी द्वीप लैम्पेडुसा पर प्रवासियों की आमद के बाद शुरू किया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन क्या है?

  • परिचय: 
    • द्वितीय विश्व युद्ध की उथल-पुथल के बाद यूरोप से प्रवासियों के आंदोलन के लिये अनंतिम अंतर सरकारी समिति (PICMME) के रूप में वर्ष 1951 में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन की शुरुआत हुई।
    • वर्ष 1952 में इसका नाम PICMME से बदलकर इंटरगवर्नमेंटल कमेटी फॉर यूरोपियन माइग्रेशन (ICEM), वर्ष 1980 में इंटरगवर्नमेंटल कमेटी फॉर माइग्रेशन (ICM) और अंततः वर्ष 1989 में इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन कर दिया गया, जो एक प्रवासन एजेंसी के रूप में इसके विकास को दर्शाता है।
    • वर्ष 2016 में, IOM ने संयुक्त राष्ट्र के साथ एक समझौता किया, जो एक संबंधित संगठन बन गया।
  • सदस्य: वर्तमान में इसके 175 सदस्य राज्य और 8 राज्य पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त हैं। भारत 18 जून 2008 को IOM सदस्य राज्य बन गया।
  • संकटग्रस्त प्रबंधन: अपने पूरे इतिहास में, IOM ने विभिन्न संकटों जैसे वर्ष 1956 में हंगरी, वर्ष 1968 में चेकोस्लोवाकिया, वर्ष 1973 में चिली, वर्ष 1975 में वियतनामी बोट पीपल, वर्ष 1990 में कुवैत, वर्ष 1999 में कोसोवो और तिमोर तथा वर्ष 2004/2005 के एशियाई सुनामी एवं पाकिस्तान भूकंप पर प्रतिक्रिया दी है।

विश्व में प्रवासन की स्थिति क्या है?

  • परिचय: प्रवासन से तात्पर्य लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से है, जिसमें आमतौर पर निवास में परिवर्तन शामिल होता है।
    • यह आंदोलन एक देश के भीतर (आंतरिक प्रवासन) या देशों के बीच (अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन) हो सकता है।
    • यह व्यक्ति के इरादों और परिस्थितियों के आधार पर अस्थायी या स्थायी हो सकता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, प्रवासी वर्तमान में वैश्विक आबादी का 36% हिस्सा हैं।
  • प्रमुख कारण: 
    • आर्थिक कारण: लोग अक्सर बेहतर रोज़गार के अवसरों, उच्च वेतन, बेहतर जीवन स्तर और शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुँच की तलाश में पलायन करते हैं।
    • संघर्ष और युद्ध: सशस्त्र संघर्ष, गृह युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता लोगों को अपने क्षेत्रों से पलायन तथा सुरक्षित क्षेत्रों या देशों में शरण लेने के लिये मजबूर कर सकती है।
    • पर्यावरणीय कारक: प्राकृतिक आपदाएँ जैसे- बाढ़, सूखा, तूफान, भूकंप और जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रभाव आबादी को विस्थापित कर सकते हैं, जिससे प्रवासन हो सकता है।
    • सामाजिक और राजनीतिक कारक: भेदभाव, उत्पीड़न, मानवाधिकारों का उल्लंघन, स्वतंत्रता की कमी और राजनीतिक उत्पीड़न व्यक्तियों या समुदायों को शरण लेने या अधिक अनुकूल परिस्थितियों वाले देशों में जाने के लिये मजबूर कर सकते हैं।
    • शहरीकरण और ग्रामीण-शहरी प्रवासन: ग्रामीण निवासी रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बेहतर जीवन स्तर की तलाश में शहरी क्षेत्रों में जा सकते हैं, जो शहरीकरण की प्रवृत्ति में योगदान देता है।
  • अवैध प्रवासियों द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियाँ: 
    • शारीरिक जोखिम और खतरे: अवैध प्रवासियों (जैसे- डंकी फ्लाइट का विकल्प चुनने वाले) को पूरी यात्रा के दौरान कई शारीरिक खतरों का सामना करना पड़ता है, जिसमें डेरियन गैप जैसे खतरनाक इलाके, साफ पानी की कमी, जंगली जानवर और आपराधिक गिरोहों से हिंसा का खतरा शामिल है।
      • इससे यात्रा के दौरान चोट, बीमारी या यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
    • कानूनी स्थिति और अधिकार: गैर-दस्तावेज़ प्रवासियों या अनियमित स्थिति वाले लोगों को अक्सर कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, मौलिक अधिकारों और सेवाओं तक पहुँच की कमी होती है तथा निर्वासन, हिरासत या शोषण के लगातार खतरे में रहते हैं।
    • भेदभाव और ज़ेनोफोबिया: प्रवासियों को उनकी राष्ट्रीयता, जातीयता, धर्म, भाषा या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव, पूर्वाग्रह और शत्रुता का सामना करना पड़ सकता है, जिससे सामाजिक बहिष्कार, वंचितता तथा असमान व्यवहार हो सकता है।
    • तस्करी और शोषण: प्रवासियों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों जैसे कमज़ोर समूहों को मानव तस्करी, शोषण, दुर्व्यवहार तथा जबरन श्रम का खतरा है, खासकर अनौपचारिक या अनिश्चित कार्य सेटिंग्स में।

नोट:

  • डंकी फ्लाइट (Donkey flight):  
    • एक शब्द है जिसका उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अनधिकृत प्रवेश चाहने वाले लोगों द्वारा अपनाई जाने वाली अवैध आप्रवासन तकनीक का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
      • अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (USCBP) के अनुसार, भारतीय दक्षिण पश्चिम सीमा से अमेरिका में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासियों का 5वाँ सबसे बड़ा स्रोत हैं।
      • अक्तूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 96,917 भारतीयों को अवैध रूप से अमेरिका में सीमा पार करते हुए पकड़ा गया।
  • डेरियन गैप (Darién Gap):
    • डेरीन के इस्तमुस या पनामा के इस्तमुस में एक भौगोलिक क्षेत्र जो मध्य अमेरिका के भीतर अमेरिकी महाद्वीपों को जोड़ता है, जिसमें पनामा के डेरियन प्रांत और कोलंबिया के चोको विभाग के उत्तरी भाग में एक बड़ा जलक्षेत्र, जंगल तथा पहाड़ शामिल हैं।

आगे की राह 

  • सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन हेतु ग्लोबल कॉम्पैक्ट (GCM): सरकारों, नागरिक समाज और अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए एक सहकारी, जन-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से प्रवासन चुनौतियों को संबोधित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाले ढाँचे में GCM में उल्लिखित उद्देश्यों तथा प्रतिबद्धताओं को लागू करना।
  • कानूनी और सुरक्षित रास्ते का विस्तार:  प्रवासन के लिये कानूनी और सुरक्षित रास्ते बढ़ाना, जिसमें शरणार्थियों हेतु पुनर्वास कार्यक्रम, परिवार पुनर्मिलन तंत्र, श्रमिक प्रवासन योजनाएँ तथा मानवीय वीजा शामिल हैं।
    • इससे डंकी फ्लाइट जैसे खतरनाक और अवैध मार्गों पर निर्भरता कम हो सकती है।
  • मानव तस्करी का मुकाबला करना: मानव तस्करी एवं प्रवासियों का शोषण करने वाले तस्करी नेटवर्क से निपटने हेतु कानून प्रवर्तन तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करना।
  • क्षेत्रीय सहयोग: प्रवास प्रबंधन, सूचना साझाकरण एवं क्षमता निर्माण के लिये संयुक्त रणनीति विकसित करने हेतु मूल, पारगमन और गंतव्य के देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
  • वापस लौटने वालों को सहायता प्रदान करना: सहायता कार्यक्रम जो लौटने वाले प्रवासियों को उनके समुदायों में पुन: एकीकरण में सहायता करते हैं, जिसमें शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, स्वास्थ्य देखभाल एवं मनोसामाजिक सहायता तक पहुँच शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. "शरणार्थियों को उस देश में वापस नहीं लौटाया जाना चाहिये जहाँ उन्हें उत्पीड़न अथवा मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ेगा"। खुले समाज के साथ लोकतांत्रिक होने का दावा करने वाले किसी राष्ट्र द्वारा नैतिक आयाम के उल्लंघन के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2021)

प्रश्न:  बड़ी परियोजनाओं के नियोजन के समय मानव बस्तियों का पुनर्वास महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक संघात है। विकास की बड़ी परियोजनाओं के प्रस्ताव के समय इस संघात को कम करने के लिये सुझाए गए उपायों पर चर्चा कीजिये। (2016)

प्रश्न : पिछले चार दशकों में भारत के भीतर और बाहर श्रमिक प्रवसन की प्रवृत्तियों में आए परिवर्तनों पर चर्चा कीजिये। (2015)

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