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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मंगल ग्रह पर नमक की झीलें

  • 21 Oct 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

गेल क्रेटर, क्यूरियोसिटी रोवर

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संबंध में जागरूकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नेचर जिओसाइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पता चला है कि मंगल ग्रह (लाल ग्रह) पर भी पृथ्वी की तरह नमक की झीलें मौजूद थीं।

प्रमुख बिंदु

  • मंगल ग्रह (लाल ग्रह) की झीलें, धरती पर मौजूद झीलों की तरह ही बारिश और सूखे के दौर से भी गुज़री थीं।
    • इससे यह संकेत मिलता है कि मंगल ग्रह (लाल ग्रह) पर शुष्‍क जलवायु की स्थिति लंबे अरसे से बनी हुई है।
    • नमक की झीलों का निर्माण शुष्क काल के दौरान ही हुआ होगा।
  • जलवायु के शुष्क होने का कारण वहाँ के वायुमंडल के पतला होने और सतह पर दबाव कम होने के चलते तरल पानी अस्थिर और वाष्पित हो सकता है।
    • गेल क्रेटर के अध्ययन के अनुसार, मंगल ग्रह पर पानी तरल रूप में मौजूद था जिसे माइक्रोबियल जीवन के अहम घटक के रूप में माना जाता है
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, ये झीलें लगभग 3 अरब वर्ष पहले गेल क्रेटर (Gale Crater) में मौजूद थीं।

गेल क्रेटर (Gale Crater) का निर्माण एक उल्कापिंड के मंगल ग्रह पर गिरने के कारण लगभग 3.6 अरब वर्ष पहले हुआ था।

इस क्रेटर को नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने वर्ष 2012 में खोजा था।

  • अध्ययन के अनुसार मंगल ग्रह पर नमक की ये झीलें, पृथ्वी पर बोलीविया और पेरू की सीमा के पास स्थित अल्टिप्लानो (Altiplano) नामक क्षेत्र में मौजूद झीलों जैसी ही हैं।
    • अल्टिप्लानो एक ऊँचा पठार है जहाँ पर्वत शृंखलाओं से निकलने वाली नदियाँ और धाराएँ समुद्र में नहीं मिलती हैं बल्कि बंद घाटियों की ओर अग्रसर होती हैं
    • यह भौगोलिक परिदृश्य ठीक वैसा ही है जैसा मंगल ग्रह पर गेल क्रेटर में कभी हुआ करता था।
  • मंगल ग्रह की जलवायु आर्द्र और सूखे की अवधि के बीच के उतार-चढ़ाव वाली हो सकती है।

क्यूरियोसिटी रोवर

  • क्यूरियोसिटी नामक रोवर नासा के मंगल अन्वेषण मिशन का एक भाग है। यह लाल ग्रह के रोबोटिक अन्वेषण का एक दीर्घावधिक प्रयास है।
  • क्यूरियोसिटी को इस बात का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किया गया कि क्या मंगल पर कभी ऐसा पर्यावरण था जो लघु जीवन रूपों को सहारा देने में सक्षम था, जिन्हें माइक्रोब्स कहा जाता है।
  • इस मिशन का उद्देश्य ग्रह पर निवास की संभावनाओं की तलाश करना है।

स्रोत: द हिंदू

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