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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

शनि और बृहस्पति का महासंयुग्मन

  • 09 Dec 2020
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

एक दुर्लभ खगोलीय घटना में बृहस्पति और शनि 21 दिसंबर, 2020 को एक-दूसरे के बहुत करीब (महासंयुग्मन- Great Conjunction) एक चमकते सितारे की तरह दिखाई देंगे।

प्रमुख बिंदु:

  • संयुग्मन (Conjunction): यदि दो आकाशीय पिंड पृथ्वी से एक-दूसरे के करीब दिखाई देते हैं, तो इसे संयुग्मन कहा जाता है। 
  • महासंयुग्मन (Great Conjunction): यदि शनि और बृहस्पति के संयुग्मन की स्थिति होती  है, तो इसे महासंयुग्मन कहा जाता है।
    • यह घटना प्रत्येक 20 वर्ष में एक बार घटित होती है।
    • पृथ्वी से दिखाई देने वाला यह संयोजन बृहस्पति और शनि के कक्षीय रास्तों का एक रेखा में आने का परिणाम है।
      • बृहस्पति लगभग 12 वर्ष में और शनि 29 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करते हैं ।
    • यह घटना 21 दिसंबर, 2020 को होगी, इस दिन दिसंबर सक्रांति (शीत अयनांत) भी होती है।
    • 21 दिसंबर, 2020 को वर्ष 1623 के बाद से बृहस्पति और शनि के मध्य सबसे कम दूरी होगी। इसके बाद ये दोनों ग्रह वर्ष 2080 को इतने नज़दीक दिखाई देंगे।
    • ये दोनों ग्रह एक साथ नज़दीक आते दिखाई देंगे, हाँलाकि इनके मध्य की दूरी 400 मिलियन मील से भी अधिक होगी।

बृहस्पति:

  • सूर्य से पाँचवीं पंक्ति में बृहस्पति, सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है जो अन्य सभी ग्रहों के मुकाबले दोगुने से अधिक बड़ा है।
    • बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून को जोवियन ग्रह या गैसीय विशालकाय ग्रह कहा जाता है। इनमें वायुमंडल की मोटी परत पाई जाती है जिसमें ज़्यादातर हीलियम और हाइड्रोजन गैस होती है।
  • बृहस्पति लगभग हर 10 घंटे में एक बार घूर्णन (एक जोवियन दिवस) करता है, परंतु सूर्य की परिक्रमा (एक जोवियन वर्ष) करने में इसे लगभग 12 वर्ष लगते हैं। बृहस्पति के 75 से अधिक चंद्रमा हैं।
    • बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं को इटालियन खगोलशास्त्री गैलीलियो गैलीली जिन्होंने पहली बार वर्ष 1610 में इन ग्रहों को देखा था, के नाम पर गैलीलियन उपग्रह कहा जाता है। 
      • इनके नाम आयो, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो हैं।
  • वर्ष 1979 में वॉयजर मिशन ने बृहस्पति की धुँधली वलय प्रणाली की खोज की।
  • नौ अंतरिक्षयानों को बृहस्पति पर भेजा जा चुका है। सबसे बाद में जूनो वर्ष 2016 में बृहस्पति पर पहुँचा।

शनि:

  • शनि सूर्य से छठा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
  • शनि को अपनी धुरी पर घूमने में लगभग 10.7 घंटे का समय लगता है और यह लगभग 29 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है।
  • 'टाइटन' शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है जो बुध ग्रह के बराबर है।
  • इसकी सबसे बड़ी विशेषता है इस ग्रह की मध्य रेखा के चारों ओर पूर्ण विकसित वलयों का होना, जिनकी संख्या 7 है।
  • कुछ मिशनों ने शनि का दौरा किया है: पायनियर 11 और वॉयजर 1 तथा 2 ने उड़ान भरी; परंतु कैसिनी ने वर्ष  2004 से 2017 तक 294 बार शनि की परिक्रमा की।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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