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प्रदूषण निगरानी के लिये स्टार रेटिंग कार्यक्रम

  • 25 Mar 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

प्रदूषण निगरानी के लिये स्टार रेटिंग कार्यक्रम   

मेन्स के लिये:

प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में सरकार के प्रयास, औद्योगिक प्रदूषण से संबंधित प्रश्न   

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में झारखंड राज्य में औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी हेतु जून, 2020 से कई उद्योगों के लिये स्टार रेटिंग कार्यक्रम (Star Rating Program) को अनिवार्य किये जाने की घोषणा की गई है  

मुख्य बिंदु:

  • इस कार्यक्रम के तहत राज्य के अलग-अलग उद्योगों/फैक्टरियों से उनके उत्सर्जन के आँकड़े एकत्रित किये जाएंगे और प्राप्त आँकड़ों तथा उत्सर्जन नियमों के अनुपालन के आधार पर उनकी रेटिंग (Rating) की जाएगी
  • वर्तमान में झारखंड में इस कार्यक्रम को प्रायोगिक स्तर पर चलाया जा रहा है। 5 जून,  2020 से इस कार्यक्रम को पूरे राज्य में लागू किया जायेगा।
  • इससे पहले ओडिशा और महाराष्ट्र में ऐसी ही स्टार रेटिंग प्रणाली को लागू किया गया है।
  • झारखंड ऐसा पहला राज्य होगा जिसमें इस कार्यक्रम के अंतर्गत सल्फर और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड उत्सर्जन मात्रा की भी जाँच की जाएगी। 

निगरानी की प्रक्रिया:

  • इस कार्यक्रम के तहत ‘अत्यधिक प्रदूषणकारी’ (Highly Polluting) उद्योगों के ‘पार्टिकुलेट मैटर’ (Particulate Matter-PM) उत्सर्जन की 17 श्रेणियों में निगरानी की जाएगी और इस कार्यक्रम में प्रत्येक वर्ष नए मानकों को जोड़ा जाएगा।
  • इस कार्यक्रम में जिन उद्योगों/फैक्टरियों की उत्सर्जन मात्रा नियामकों द्वारा निर्धारित अधिकतम उत्सर्जन सीमा से 50% से कम होगी उन्हें 5 स्टार (5 Star) दिये जाएंगे।
  • जबकि जिन उद्योगों/फैक्टरियों की उत्सर्जन मात्रा नियामकों द्वारा निर्धारित अधिकतम उत्सर्जन सीमा 25% से अधिक होगी उन्हें एक स्टार (1 Star) दिया जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन: 

  • इस कार्यक्रम का संचालन झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Jharkhand State Pollution Control Board- JSPCB) और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो ट्रस्ट (University of Chicago Trust- UC Trust) के सहयोग से किया जा रहा है।
  •  इस कार्यक्रम की शुरुआत JSPCB और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो ट्रस्ट के एक नाॅलेज पार्टनर (Knowledge Partner) के रूप में जुड़ने के बाद हुई।

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

(Jharkhand State Pollution Control Board- JSPCB): 

  • JSPCB का गठन जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा-4 के तहत वर्ष 2001 में किया गया था।
  • इसका मुख्यालय राँची में स्थित है। साथ ही इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय सह प्रयोगशालाएँ धनबाद, जमशेदपुर, हज़ारीबाग और देवघर में स्थित हैं।
  • JSPCB निम्नलिखित कार्य करती है-
    • उद्योगों और प्रदूषण के मामलों में राज्य सरकार को सलाह देना।
    • प्रदूषण नियंत्रण के लिये कार्यक्रम की योजना बनाना।
    • उत्सर्जन मानकों का निर्धारण करना।
    • निर्धारित उत्सर्जन मानकों के अनुपालन का निरीक्षण करना आदि।
  • JSPCB अध्यक्ष के अनुसार, पिछले लगभग 18 महीनों में इस कार्यक्रम के तहत आँकड़ों की मात्रा पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रायोगिक कार्यक्रम के तहत ‘सतत् उत्सर्जन निगरानी प्रणाली’ (Continuous Emission Monitoring System-CEMS) के माध्यम से वर्तमान में प्रत्येक 15 मिनट पर उत्सर्जन के आँकड़े JSPCB सर्वर पर उपलब्ध हैं।

कार्यक्रम का उद्देश्य:   

  • उत्सर्जन मानकों के अनुपालन और विनियमन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना।
  • समाज और पर्यावरण के प्रति उद्योगों के उत्तरदायित्त्वों को सुनिश्चित करना।

स्टार रेटिंग कार्यक्रम के लाभ: 

  • विशेषज्ञों के अनुसार, कार्यक्रम के संचालन के बाद उत्सर्जन से जुड़े आँकड़ों को आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा और आँकड़ों की सटीकता और विश्वसनीयता की भी जाँच की जा सकेगी, जिससे इस प्रक्रिया में व्याप्त कमियों को आसानी से दूर किया जा सकेगा।
  • इस प्रक्रिया के माध्यम से लोगों को औद्योगिक प्रदूषण के संबध में बेहतर जानकारी उपलब्ध कराई जा सकेगी।
  • जन-जागरूकता और उत्सर्जन के विश्वसनीय आँकड़ों को उपलब्ध करा कर उद्योगों पर मानकों के अनुपालन के संदर्भ में दबाव बनाया जा सकेगा।

निष्कर्ष: स्वतंत्रता के पश्चात् देश के औद्योगिक क्षेत्र के शीघ्र विकास के लिये उद्योगों को अन्य सहयोगों के साथ बहुत से महत्त्वपूर्ण मानकों के अनुपालन में भी कुछ छूट प्रदान की गई थी। परंतु समय के साथ इस व्यवस्था में आवश्यक परिवर्तन नहीं किये गए। सशक्त नियमों और पारदर्शी विनियमन प्रक्रिया के अभाव में औद्योगिक केंद्रों द्वारा इस छूट का गलत इस्तेमाल किया गया जिससे वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण के साथ अन्य क्षेत्रों में भी भारी क्षति देखने को मिली है। स्टार रेटिंग कार्यक्रम से इस प्रक्रिया में अधिक प्रदर्शित लाई जा सकेगी जिससे उत्सर्जन मानकों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।               

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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