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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इसरो और जाक्सा के बीच समझौता-ज्ञापन को कैबिनेट की मंज़ूरी

  • 12 Jan 2017
  • 3 min read

सन्दर्भ 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के बीच समझौता ज्ञापन पर अपनी मुहर लगा दी है| विदित हो कि 11 नवंबर, 2016 को टोक्यो में इस समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे|

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस समझौता-ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य, अंतरिक्ष अनुसंधान में पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना और बाह्य अंतरिक्ष में शांतिपूर्ण गतिविधियों में एक-दूसरे के सहयोग से अभियान चलाना है| दोनों ही देश इन अभियानों और परस्पर सहयोग को अंतराष्ट्रीय दायित्वों को ध्यान में रखते हुए बढ़ावा देंगें|
  • यह समझौता-ज्ञापन अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भारत-जापान के आपसी सहयोग को और आगे ले जाएगा| इसके तहत इसरो और जाक्सा पृथ्वी के अवलोकन, उपग्रह संचार और नौवहन, अंतरिक्ष विज्ञान में अनुसंधान एवं अन्वेषण तथा अंतरिक्ष प्रणालियों व अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास में मिलकर कार्य करेंगे|
  • इसके मुताबिक, जब तक संयुक्त निवेश के लिये लिखित तौर पर कोई सहमति नहीं बन जाती, तब तक  इसरो और जाक्सा अपनी-अपनी गतिविधियों की लागत का वहन स्वयं करेंगे| गौरतलब है कि इस समझौता-ज्ञापन के तहत दोनों एजेंसियों के अभियानों के कार्यान्वयन और अभियान से संबंधित वित्त पोषण की प्रक्रियाएँ संबंधित देश के राष्ट्रीय कानूनों के आधार पर ही होंगे|

निष्कर्ष

  • भारत और जापान पिछले 5 दशकों से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में परस्पर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये प्रयासरत हैं| 2003 में जाक्सा के गठन के साथ ही "बाह्य अंतरिक्ष के क्षेत्र में भावी सहयोग के लिये इसरो और जाक्सा के बीच अक्तूबर 2005 में सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे| इसके बाद दोनों एजेंसियों ने चंद्र अन्वेषण, उपग्रह नौवहन, खगोल विज्ञान के संबंध में सहकारी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये हैं|
  • दरअसल, 05 अप्रैल, 2016 को नई दिल्ली में इसरो-जाक्सा की द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई थी और इस बैठक के दौरान वर्ष 2005 में हुए समझौते को आगे बढ़ाने पर बातचीत हुई थी| तदनुसार, 11 नवंबर, 2016 को टोक्यो में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के बीच बाह्य अंतरिक्ष में उपग्रह दिशा-निर्देशन और खगोलीय खोज में सहयोग बढ़ाने के लिये समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसे अब कैबिनेट की मंज़ूरी प्राप्त हो गई है|
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