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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

निवेश प्रोत्साहन समझौता (IIA)

  • 24 May 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

निवेश प्रोत्साहन समझौता (IIA), OPIC, हिंद महासागर क्षेत्र, QUAD, मालाबार अभ्यास, BECA, GSOMIA, COMCASA, ISRO, NASA

मेन्स के लिये:

द्विपक्षीय समूह और समझौते, भारत अमेरिका संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने टोक्यो, जापान में निवेश प्रोत्साहन समझौते (IIA) पर हस्ताक्षर किये।

निवेश प्रोत्साहन समझौते (IIA) के बारे में:

  • परिचय:
    • यह निवेश प्रोत्साहन समझौता वर्ष 1997 में दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित निवेश प्रोत्साहन समझौते को प्रतिस्थापित करता है
    • वर्ष 1997 में पूर्ववर्ती IIA पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद से महत्त्वपूर्ण विकास हुए हैं, जैसे कि विकास वित्त निगम (DFC) नामक नए संगठन की स्थापना
      • संयुक्त राज्य अमेरिका के हालिया कानून, बिल्ड एक्ट 2018 के अधिनियमन के बाद DFC को पूर्ववर्ती ओवरसीज़ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (OPIC) की उत्तराधिकारी एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।  
  • उद्देश्य:
    • DFC द्वारा प्रस्तावित अतिरिक्त निवेश सहायता कार्यक्रमों, जैसे- ऋण, इक्विटी निवेश, निवेश गारंटी, निवेश बीमा या पुनर्बीमा, संभावित परियोजनाओं और अनुदानों के लिये व्यवहार्यता अध्ययन के साथ सामंजस्य स्थापित करना।
    • समझौता DFC के लिये कानूनी आवश्यकता है ताकि भारत में निवेश सहायता प्रदान करने का कार्य जारी रखा जा सके। 
    • यह अपेक्षित है कि IIA पर हस्ताक्षर से भारत में DFC द्वारा प्रदान की जाने वाली निवेश सहायता में वृद्धि होगी, जिससे भारत के विकास में और मदद मिलेगी।

भारत में DFC की स्थिति:

  • DFC या इसकी पूर्ववर्ती एजेंसियांँ भारत में 1974 से सक्रिय रही हैं, जो कुल 5.8 अरब अमेरिकी डॉलर की निवेश सहायता प्रदान कर चुकी हैं, जिसमें से 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर अभी भी बकाया है।
  • भारत में निवेश सहायता प्रदान करने के लिये DFC द्वारा 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है।
  • DFC ने उन क्षेत्रों में निवेश सहायता प्रदान की है जो विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं जैसे कि कोविड-19 वैक्सीन निर्माण, स्वास्थ्य संबंधी वित्तपोषण, नवीकरणीय ऊर्जा, लघु और मध्यम उद्यम (SME) वित्तपोषण, वित्तीय समावेशन, बुनियादी ढांँचा आदि।  

भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति:

  • परिचय: 
    • भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध एक "वैश्विक रणनीतिक साझेदारी" के रूप में विकसित हुए हैं, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं  वैश्विक मुद्दों पर हितों के बढ़ते अभिसरण पर आधारित हैं।
    • वर्ष 2015 में दोनों देशों ने दिल्ली मैत्री घोषणा जारी की और एशिया-प्रशांत तथा हिंद महासागर क्षेत्र के लिये एक संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया।
  • असैन्य-परमाणु समझौता:
  • ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन:
    • ‘साझेदारी से उन्नत स्वच्छ ऊर्जा’ (Partnership to Advance Clean Energy- PACE) पहल के अंतर्गत एक प्राथमिक पहल के रूप में अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DoI) तथा भारत सरकार ने संयुक्त स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान एवं विकास केंद्र (JCERDC) की स्थापना की है, जिसकी  अभिकल्पना स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों को बढ़ावा देने के लिये भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा की गई है।
    • लीडर्स क्लाइमेट समिट 2021 में यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप’ (SCEP) की शुरुआत की गई।
  • रक्षा सहयोग:
    • वर्ष 2005 में 'भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के लिये नए ढाँचे' पर हस्ताक्षर के साथ रक्षा संबंध भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है, जिसे 2015 में 10 वर्षों के लिये और अद्यतित किया गया था।
    • भारत और अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण रक्षा समझौते किये हैं तथा चार देशों (भारत, अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया) के गठबंधन ‘क्वाड’ को भी औपचारिक रूप दिया है।
      • इस गठबंधन को हिंद-प्रशांत में चीन के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
    • नवंबर 2020 में मालाबार अभ्यास ने भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को एक अलग आयाम पर पहुँचा दिया,  यह 13 वर्षों में पहली बार था जब क्वाड के सभी चार देश चीन को  सशक्त संदेश देते हुए एक साथ एक मंच पर नज़र आए।
    • भारत के पास अब अफ्रीका में जिबूती से लेकर प्रशांत महासागर में गुआम तक अमेरिकी ठिकानों तक पहुँच है। भारत, अमेरिकी रक्षा में उपयोग की जाने वाली उन्नत संचार प्रौद्योगिकी तक भी पहुँच सकता है।
    • भारत और अमेरिका के बीच चार मूलभूत रक्षा समझौते हुए हैं:
    • भारत-अमेरिका ने आतंकवाद-रोधी सहयोग पहल पर वर्ष 2010 में हस्ताक्षर किये थे ताकि आतंकवाद का मुकाबला करने, सूचना साझा करने और क्षमता निर्माण पर सहयोग का विस्तार किया जा सके।
    • एक त्रि-सेवा अभ्यास- टाइगर ट्रायम्फ नवंबर 2019 में आयोजित किया गया था।
    • द्विपक्षीय और क्षेत्रीय अभ्यासों में शामिल हैं: युद्ध अभ्यास (सेना); वज्र प्रहार (विशेष बल); रिमपैक; रेड फ्लैग
  • व्यापार: 
    • अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है तथा भारत की वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के लिये एक प्रमुख गंतव्य है।
    • अमेरिका ने वर्ष 2020-21 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दूसरे सबसे बड़े स्रोत के रूप में मॉरीशस का स्थान लिया।
    • पिछली अमेरिकी सरकार ने भारत की विशेष व्यापार स्थिति (GSP) को समाप्त कर दिया और कई प्रतिबंध भी लगाए, भारत ने भी 28 अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिबंध के साथ इसका प्रत्युत्तर दिया।
  • विज्ञान प्रौद्योगिकी:

आगे की राह

  • भारत एक अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुज़र रही अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। यह अपनी वर्तमान स्थिति का उपयोग अपने महत्त्वपूर्ण हितों को आगे बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने के लिये करेगा।
  • भारत और अमेरिका वर्तमान में सही अर्थों में रणनीतिक साझेदार हैं - परिपक्व शक्तियों के बीच साझेदारी कभी पूर्ण एकरूपता में नहीं परिवर्तित हो पाती. इसका सरोकार निरंतर संवाद के माध्यम से मतभेदों को दूर कर नए अवसर तलाशने से होता है.

 

स्रोत : द हिंदू

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