दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

खादी वस्तुओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय ट्रेडमार्क

  • 27 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ट्रेडमार्क, KVIC, WIPO

मेन्स के लिये:

बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

खादी ग्रामोद्योग निगम (Khadi Village Industries Corporation- KVIC) पेरिस समझौते के तहत खादी हेतु अंतर्राष्ट्रीय ट्रेडमार्क प्राप्त करने पर विचार कर रहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • KVIC का उद्देश्य इस कदम के माध्यम से खादी की वस्तुओं को अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्रदान करना है तथा साथ ही इस कदम से किसी भी उत्पाद को राष्ट्रीय या विश्व स्तर पर 'खादी' के रूप में प्रदर्शित होने से रोका जा सकता है।
  • KVIC जर्मनी सहित कई देशों में खादी ट्रेडमार्क नियमों के उल्लंघन के मामले में संघर्ष कर रहा है।
  • ध्यातव्य है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा वर्ष 2013 में जारी किये गए विनियम KVIC को खादी ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रदान करने और किसी भी निर्माता से रॉयल्टी लेने का अधिकार देते हैं।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व से ही खादी को स्वदेशी का राष्ट्रीय प्रतीक माना जाता है। शब्द ‘खादी’, ‘कुटीर’, ‘सर्वोदय’, एवं खादी इंडिया तथा चरखा का लोगो इस भावना का अग्रदूत है और इसलिये इसे संरक्षित किया जाना चाहिये।

ट्रेडमार्क की प्राप्ति से खादी को होने वाले संभावित लाभ:

  • खादी को ट्रेडमार्क प्राप्त होने से राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी उत्पाद को 'खादी' के रूप में प्रदर्शित होने से रोका जा सकता है, जिससे खादी को संरक्षण प्रदान किया जा सकेगा।
  • चूँकि ट्रेडमार्क का कार्य विशेष रूप से उत्पादों या सेवाओं के वाणिज्यिक स्रोत या उत्पत्ति की पहचान करना है अतः इससे खादी की वस्तुओं को पहचान प्राप्त होने के साथ ही उनके स्रोतों की सही पहचान की जा सकेगी।
  • एक पंजीकृत ट्रेडमार्क के तहत बेचे जा रहे उत्पाद या सेवा से ग्राहकों के मन में विश्वास, वस्तु या सेवा की विश्वसनीयता, गुणवत्ता और उसके प्रति सद्भावना कायम करने में मदद मिलती है। साथ ही खादी की वस्तुओं को ट्रेडमार्क प्राप्त होने से उनकी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति बढ़ेगी और खादी के व्यापार में भी वृद्धि होगी।

पेरिस समझौते से संबंधित तथ्य

  • पेरिस समझौता एक बहुपक्षीय संधि है जो व्यापक अर्थों में औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण से संबंधित है।
  • यह विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization- WIPO) द्वारा प्रशासित है।
  • ध्यातव्य है कि WIPO संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसियों में से एक है और बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन से संबंधित है।

ट्रेडमार्क के बारे में

  • ट्रेडमार्क एक प्रकार की बौद्धिक संपदा है, जिसमें पहचान हेतु एक चिह्न, डिज़ाइन या अभिव्यक्ति शामिल होती है।
  • ट्रेडमार्क का स्वामी एक व्यक्ति, व्यावसायिक संगठन या कोई कानूनी इकाई हो सकता है।
  • ट्रेडमार्क के लिये आवेदन निजी फर्मों, व्यक्तियों, कंपनियों, LLP (Limited Liability Partnership) या NGO (Non-Governmental Organisation) द्वारा किया जा सकता है। गैर-सरकारी संगठनों (NGO), LLP या कंपनियों के मामले में, ट्रेडमार्क को संबंधित व्यवसाय के नाम पर पंजीकरण हेतु आवेदन करना होगा।
  • वर्ष 1883 के पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 में शस्त्रागार बेयरिंग, राज्य के झंडे और अन्य राज्य प्रतीकों की रक्षा की गई है।

भारत में ट्रेडमार्क से संबंधित तथ्य

  • भारत में ट्रेडमार्क गतिविधियों का संचालन व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 (Trademark Act, 1999) के अंतर्गत ‘ट्रेडमार्क रजिस्ट्री’ (Trademark Registry) के द्वारा किया जाता है।
  • ध्यातव्य है कि ‘ट्रेडमार्क रजिस्ट्री’ देश में ट्रेडमार्क मामलों में समन्वयक की भूमिका निभाती है।
  • भारत के ट्रेडमार्क नियमों के अनुसार, ध्वनि, लोगो, शब्द, वाक्यांश, रंग, चित्र, प्रतीक, आद्याक्षर या इन सभी के संयोजन जैसी वस्तुओं को ट्रेडमार्क किया जा सकता है। 

स्रोत: इकोनोमिक टाइम्स 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow