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आंतरिक सुरक्षा

इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड: 2019 रिपोर्ट

  • 05 Mar 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड, ड्रग्स एवं अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, ट्रामाडोल औषधि, निर्यात पूर्व सूचना प्रणाली

मेन्स के लिये:

औषधि एवं संगठित अंतर्राष्ट्रीय अपराध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय’ (The United Nations Office of Drugs and Crime- UNODC) ने ‘इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड’ (International Narcotics Control Board- INCS) की वर्ष 2019 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है।

मुख्य बिंदु:

  • UNODC में भारत ने लाइसेंस प्राप्त दवा एवं संबंधित कच्चे माल के विनिर्माण, आयात, तथा निर्यात संबंधी सांख्यिकीय रिपोर्ट को तय समय-सीमा में प्रस्तुत नहीं किया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत अवैध और लाइसेंस प्राप्त दवाओं के शीर्ष निर्माता होने के साथ ही इन दवाओं की तस्करी करने वाले शीर्ष देशों में से एक है।

ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC):

  • UNODP संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत एक कार्यालय है जिसकी स्थापना वर्ष 1997 में यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल ड्रग्स कंट्रोल प्रोग्राम (UNDCP) तथा संयुक्त राष्ट्र में अपराध निवारण और आपराधिक न्याय विभाग (Crime Prevention and Criminal Justice Division- CPCJD) के संयोजन में की गई थी।
  • इसकी स्थापना दवा नियंत्रण और अपराध निवारण कार्यालय (Office for Drug Control and Crime Prevention) के रूप में की गई थी। वर्ष 2002 में इसका नाम बदलकर यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) कर दिया गया।
  • इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है।

इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCS):

  • इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB) संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दवा नियंत्रण अभिसमयों के कार्यान्वयन के लिये स्वतंत्र एवं अर्द्ध-न्यायिक निगरानी निकाय है।
  • इसकी स्थापना नारकोटिक ड्रग्स कन्वेंशन, वर्ष 1961 के अनुसार वर्ष 1968 में की गई थी।
  • इसका सचिवालय ऑस्ट्रिया के वियना में स्थित है।

वैश्विक परिदृश्य:

  • फार्मास्यूटिकल ड्रग्स की बढ़ती तस्करी:
    • ड्रग ट्रैफिकर्स द्वारा अवैध दवाओं के बजाय फार्मास्यूटिकल दवाओं की तस्करी की जाती है, यथा- गांजा (Hashish), हेरोइन आदि, क्योंकि नियंत्रित फार्मास्यूटिकल दवाओं की तस्करी पर देशों द्वारा कम दंड लगाया जाता है।
  • फेनोबार्बिटल ड्रग (Phenobarbital Drug):
    • यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक व्यापार की जाने वाली वैधानिक मनःप्रभावी (Psychotropic) पदार्थों में से एक है, वर्ष 2018 में 161 से अधिक देशों में इसका आयात किया गया।
    • यह मिर्गी (Epilepsy- एक न्यूरोलॉजिकल विकार) के इलाज के लिये आवश्यक दवाओं की WHO की मॉडल सूची में शामिल है।
    • चीन फेनोबार्बिटल का अग्रणी विनिर्माता देश है, जिसके बाद क्रमशः भारत और हंगरी का स्थान हैं।
  • निर्यात पूर्व सूचना (Pre-Export Notification- PEN) का सीमित उपयोग:
    • यह देखा गया कि चीन, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने PEN ऑनलाइन प्रणाली का पालन नहीं किया।

PEN ऑनलाइन सिस्टम:

  • PEN प्रणाली को UNODC/INCB द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसका उपयोग INCB सदस्य देशों द्वारा निर्यात-आयात की पूर्व सूचना देने तथा राष्ट्रीय स्तर पर सक्षम अधिकारियों को रसायन के बारे में सचेत करने के लिये किया जाता है।
  • यह सदस्य राज्यों के बीच अवैध रसायनों के शिपमेंट (निर्यात और आयात) संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये उन्हें सक्षम बनाता है।

राष्ट्रीय परिदृश्य:

  • फार्मास्यूटिकल ड्रग्स का डायवर्ज़न:
    • भारत में नियमित फार्मास्यूटिकल दवाओं यथा- इफेड्रिन (Ephedrine) और स्यूडोएफेड्रिन (Pseudoephedrine) आदि के वैध से अवैध मार्ग की ओर डायवर्ज़न में वृद्धि हुई है। इन दोनों दवाओं को भारत में 'नियंत्रित पदार्थ' (Controlled Substance) के रूप में अधिसूचित किया गया है।
    • नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances- NDPS) अधिनियम, 1985 केंद्र सरकार को किसी भी पदार्थ को ‘नियंत्रित पदार्थ’ घोषित करने का अधिकार देता है।
  • ट्रामाडोल औषधि (Tramadol Drug):
    • विश्व स्तर पर वर्ष 2013-2017 के बीच ज़ब्त अधिकांश ट्रामाडोल औषधियों का उत्पादन भारत में हुआ था।
    • ट्रामाडोल, जिसे ‘अल्ट्राम’ (Ultram) ब्रांड नाम से जाना जाता है, का इस्तेमाल मध्यम से तीव्र दर्द निवारक के रूप में किया जाता है।

भारत और मादक पदार्थों की तस्करी का मुद्दा:

  • भारत की अवस्थिति:
    • भारत दुनिया के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों अर्थात् पश्चिम में ‘स्वर्णिम अर्द्धचंद्र’ (Golden Crescent- अफगानिस्तान, ईरान एवं पाकिस्तान) और पूर्व में ‘स्वर्णिम त्रिभुज’ (Golden Triangle- म्याँमार, लाओस और थाईलैंड) के बीच अवस्थित है।

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  • सामाजिक मुद्दा:
    • नशीली दवाओं का दुरुपयोग न केवल नशा करने वाले के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि उनके समुदायों व उनके परिवारों को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है।

आगे की राह:

  • भारत को न केवल अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये अपितु नशीली दवाओं संबंधी घरेलू नियमों को भी कठोर बनाना चाहिये।
  • भारत को पड़ोसी देशों के साथ मिलकर इस समस्या के समाधान हेतु कार्य करना चाहिये, साथ ही व्यापक सीमा सुरक्षा प्रबंधन के उपायों को अपनाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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