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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अंतर-देशीय अभिभावकीय बाल अपहरण : हेग कन्वेंशन के प्रमुख सिद्धांत पर केंद्रीय पैनल को आपत्ति

  • 07 May 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?
अंतर-देशीय अभिभावकीय बाल अपहरण के मुद्दे पर एक रिपोर्ट तैयार करने हेतु केंद्र द्वारा गठित किये गए पैनल ने हेग कन्वेंशन के बुनियादी सिद्धांतों में से एक पर सवाल उठाया है। इस पैनल का कहना है कि बच्चे की अपने अभ्यस्त निवास (habitual residence) पर वापसी उसके सर्वोत्तम हित में हो, यह कतई आवश्यक नहीं है। 

प्रमुख बिंदु 

  • भारत पर अमेरिका द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल अपहरण के नागरिक पहलुओं पर हेग कन्वेंशन में शामिल होने का दवाब बनाया जा रहा है।
  • पैनल का मानना है कि अभ्यस्त निवास की अवधारणा बच्चे के सर्वोत्तम हित के साथ तुल्यकालिक (synchronous) नहीं है।
  • इसका मानना है कि बच्चे की अनिवार्यतः अभ्यस्त स्थान पर वापसी, उसे गैर-सौहार्दपूर्ण माहौल में धकेल सकती है।
  • पैनल ने बच्चों के हितों के साथ ही माता-पिता, विशेष रूप से माताओं की सुरक्षा के लिये एक मसौदा कानून भी तैयार किया है।
  • प्रस्तावित मसौदा कानून में नौ अपवाद दिये गए हैं, जिनके अंतर्गत बच्चे को उसके अभ्यस्त निवास वाले देश में वापस नहीं लौटाया जाएगा।
  • जिन महत्त्वपूर्ण परिस्थितियों में बच्चे की वापसी से इनकार किया जा सकता है, वे हैं – बच्चे का सर्वोत्तम हित, घरेलू हिंसा या मानसिक या शारीरिक क्रूरता या उत्पीड़न के कारण बच्चे के साथ भागा परिजन (माता या पिता), उस परिजन द्वारा बच्चे की कस्टडी की मांग जो बच्चे को उसके पास से हटाए जाने के समय कस्टडी अधिकारों का उपयोग नहीं कर रहा था और बच्चे को वापस भेजने की स्थिति में शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान का गंभीर जोखिम।
  • पैनल ने बच्चे के सर्वोत्तम हित को सुनिश्चित करने के लिये ‘भारतीय परिवार प्रणाली’ के महत्त्व पर ज़ोर दिया है।
  • पैनल द्वारा जारी रिपोर्ट में एक अंतर-देशीय अभिभावक बाल निष्कासन विवाद समाधान प्राधिकरण (Inter-Country Parental Child Removal Disputes Resolution Authority) के गठन की भी मांग की है, जो बच्चे की कस्टडी पर निर्णय लेने हेतु नोडल एजेंसी होगा। साथ ही यह विवाद में शामिल पक्षों के बीच मध्यस्थता भी करेगा एवं बच्चे की अभ्यस्त निवास वाले देश में वापसी हेतु आदेश भी देगा।
  • जस्टिस राजेश बिंदल समिति या पैनल की स्थापना पिछले वर्ष की गई थी। इसे बच्चे के हितों की रक्षा हेतु मॉडल कानून सुझाना था।
  • सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि जब भी वह प्राधिकरण के गठन का निर्णय लेगी, तो वह इस बात पर भी निर्णय लेगी कि भारत को हेग कन्वेंशन में शामिल होना चाहिये या नहीं।
  • 2016 में सरकार ने हेग संधि पर इस आधार पर हस्ताक्षर न करने का फैसला किया था कि यह उन महिलाओं के लिये हानिकारक हो सकता है जिन्होंने अपमानजनक शादी (abusive marriage) से पलायन किया है।

क्या है हेग कन्वेंशन?

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जो उन बच्चों की त्वरित वापसी को सुनिश्चित करती है, जिनका "अपहरण" (abduction) कर उन्हें उस जगह पर रहने से वंचित कर दिया गया है, जहाँ वे रहने के अभ्यस्त हैं। 
  • इस संधि का केंद्रबिंदु ‘अभ्यस्त निवास’ का मानदंड है, जिसका प्रयोग यह निर्धारित करने के लिये किया जाता है कि क्या वाकई किसी बच्चे को उसके किसी एक परिजन द्वारा दूसरे परिजन के पास से गलत तरीके से हटाया गया है।
  • अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के बावजूद, भारत ने अभी तक इस कन्वेंशन की पुष्टि नहीं की है। कन्वेंशन के तहत, हस्ताक्षर करने वाले देशों को उनके अभ्यस्त निवास स्थान से गैरकानूनी ढंग से निकाले गए बच्चों का पता लगाने और उनकी वापसी को सुनिश्चित करने के लिये एक केंद्रीय प्राधिकरण का निर्माण करना होगा।  
  • मान लिया जाए कि किसी देश ने हेग कन्वेंशन पर हस्ताक्षर कर रखा है और इस मसले पर उस देश का अपना कानून कोई अलग राय रखता हो, तो भी उसे कन्वेंशन के नियमों के तहत ही कार्य करना होगा।
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