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जैव विविधता और पर्यावरण

UNFCCC में भारत के दूसरे द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट को प्रस्तुत करने की मंजूरी

  • 31 Dec 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (United Nations Framework Convention on Climate Change-UNFCCC) के दायित्व-निर्वहन के तहत भारत की दूसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (Biennial Update Report-BUR) को UNFCCC के समक्ष प्रस्तुत करने को मंज़ूरी दे दी है।

  • भारत ने जलवायु परिवर्तन पर पहली द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट वर्ष 2016 में प्रस्तुत की थी।

दूसरे द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट की विशेषताएँ

  • UNFCCC में भारत की दूसरी द्विवार्षिक रिपोर्ट, सम्मेलन में प्रस्तुत पहली द्विवार्षिक रिपोर्ट का अद्यतन रूप है।
  • द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट के पाँच प्रमुख घटक हैं-
  1. राष्ट्रीय परिस्थितियां (National Circumstances)
  2. राष्ट्रीय ग्रीन हाउस गैस (National Greenhouse Gas Inventory)
  3. शमन आधारित कार्यकलाप (Mitigation Actions)
  4. वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण संबंधी आवश्यकताएं तथा समर्थन प्राप्ति (Technology and Capacity Building Needs and Support Received)
  5. घरेलू निगरानी, रिपोर्ट व जाँच आधारित व्यवस्था [Domestic Monitoring, Reporting and Verification (MRV) arrangements]।
  • द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR) राष्ट्रीय स्तर पर किए गए विभिन्न अध्ययनों के पश्चात तैयार की गई है। BUR की समीक्षा विभिन्न स्तरों पर की गई है, जिसमें शामिल हैं–

♦ विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा
♦ अवर सचिव (जलवायु परिवर्तन) की अध्यक्षता में प्रौद्योगिकी परामर्शदात्री विशेषज्ञ समिति (Technical Advisory Committee of Experts) द्वारा की गई समीक्षा
♦ अपर सचिव (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee) द्वारा की गई समीक्षा। राष्ट्रीय संचालन समिति एक अंतर-मंत्रालयी संस्था है।
♦ समीक्षा प्रक्रिया के पश्चात सभी संशोधनों व प्रासंगिक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए दूसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR) को अंतिम रूप दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार

  • 2014 के दौरान भारत की सभी गतिविधियों से कुल 26,07,488 गीगाग्राम (CC-2 समतुल्य* लगभग 2.607 बिलियन टन) (land use, land use change and forestry- LULUCF को छोड़कर) ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ।
  • LULUCF को शामिल करने के पश्चात कुल 23,06,295 गीगा ग्राम (लगभग 2.306 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य) ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ।
  • कुल उत्सर्जन में ऊर्जा क्षेत्र की हिस्सेदारी 73 प्रतिशत, IPPU की 8 प्रतिशत, कृषि की 16 प्रतिशत और अपशिष्ट क्षेत्र की 3 प्रतिशत रही।
  • वन भूमि, कृषि भूमि और आबादी के कार्बन सिंक ऐक्शन से उत्सर्जन में 12 प्रतिशत की कमी हुई।

वर्ष 2014 के लिए भारत की ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन तालिका

श्रेणी कार्बन डाईऑक्साइड समतुल्य (गीगाग्राम)
ऊर्जा 19,09,765.74
औद्योगिक प्रक्रिया और उत्पाद उपयोग 2,02,277.69
कृषि 4,17,217.69
अपशिष्ट 78,227.15
भूमि का उपयोग, भूमि उपयोग में बदलाव व वनीकरण (LULUCF) ** -3,01,192.69
कुल (LULUCF को छोड़कर) 26,07,488.12
कुल (LULUCF के साथ) 23,06,295.43

** ऋणात्मक उत्सर्जन का अर्थ है सिंक ऐक्शन अर्थात वायुमंडल से प्रतिस्थापित कार्बन की कुल मात्रा।

* एक गीगा ग्राम = 109 ग्राम ; ग्रीन हाउस गैसों को उनकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता का उपयोग करते हुए कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य में परिवर्तित किया जाता है।

पृष्ठभूमि

  • भारत, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) का सदस्य देश है।
  • धारा 4.1 और धारा 12.1 के तहत सम्मेलन, विकसित और विकासशील देशों समेत सभी सदस्य देशों को सम्मेलन के सुझावों/दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी/रिपोर्ट प्रदान करने का आग्रह करता है।
  • UNFCCC के सदस्य देशों ने 16वें सत्र में अनुच्छेद 60 (c) निर्णय-1 के तहत यह निश्चित किया था कि अपनी क्षमता के अनुकूल विकासशील देश भी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
  • इन रिपोर्टों में राष्ट्रीय ग्रीन हाऊस गैस तालिका के साथ-साथ उत्सर्जन कम करने के प्रयास, आवश्यकताएँ और समर्थन प्राप्ति का भी उल्लेख होगा।
  • अनुच्छेद 41 (F) में वर्णित COP-17 के निर्णय-2 के अनुसार प्रत्येक दो वर्ष में द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्टें जमा की जाएँगी।

UNFCCC

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
  • यह समझौता जून, 1992 के पृथ्वी सम्मेलन के दौरान किया गया था। विभिन्न देशों द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 21 मार्च, 1994 को इसे लागू किया गया।
  • वर्ष 1995 से लगातार UNFCCC की वार्षिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। इसके तहत ही वर्ष 1997 में बहुचर्चित क्योटो समझौता (Kyoto Protocol) हुआ और विकसित देशों (एनेक्स-1 में शामिल देश) द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिये लक्ष्य तय किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 40 औद्योगिक देशों को अलग सूची एनेक्स-1 में रखा गया है।
  • UNFCCC की वार्षिक बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP) के नाम से जाना जाता है।

स्रोत : पी.आई.बी

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