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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

COVID-19 वैक्सीन के विकास हेतु भारत और अमेरिका की संयुक्त पहल

  • 20 May 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये 

‘वैक्सीन एक्शन प्रोग्राम’, COVID-19

मेन्स के लिये:

COVID-19 और वैश्विक सहयोग, भारत-अमेरिका संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत और अमेरिका द्वारा COVID-19 के परीक्षण और इस बीमारी की वैक्सीन के विकास पर शोध के लिये मिलकर कार्य करने की योजना पर विचार किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु:  

  • अमेरिकी दूतावास के अनुसार, भारत और अमेरिका के वैज्ञानिक अनेक संक्रामक बीमारियों पर शोध, वैक्सीन के निर्माण और कम लागत में वैक्सीन की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिये मिलकर कार्य करते रहे हैं।  
  • COVID-19 की महामारी को देखते हुए ‘वैक्सीन एक्शन प्रोग्राम’ (Vaccine Action Programme) के तहत भारत और अमेरिका COVID-19 संक्रमण की पहचान करने और इसकी वैक्सीन के निर्माण हेतु मिलकर कार्य करने पर विचार कर रहे हैं।     

इंडो-यूएस वैक्सीन एक्शन प्लान

(Indo-US Vaccine Action Programme-VAP):

  • VAP एक द्विपक्षीय स्वास्थ्य कार्यक्रम है, इसके तहत नई और उन्नत वैक्सीन के विकास से जुड़ी अनेक गतिविधियों को सहयोग प्रदान किया जाता है।
  • इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1987 में की गई थी।
  • VAP में यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (U.S. National Institutes of Health), भारतीय जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Indian Department of Biotechnology-DBT) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) आदि के अधिकारी शामिल होते हैं। 
  • इस कार्यक्रम के तहत अमेरिका और भारत के वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन, प्रतिरक्षाविज्ञानी अभिकर्मकों (Immunodiagnostic Reagents) आदि के विकास की दिशा में सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं का संचालन किया जाता है।  
  • VAP के कार्यक्रमों और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये एक ‘संयुक्त कार्य समूह’ (Joint Working Group- JWG) की स्थापना की गई है। JWG में दोनों देशों के वैज्ञानिक और अन्य अधिकारी शामिल होते हैं। 
  • JWG के भारतीय सदस्य भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्त एक 'सर्वोच्च समिति' (Apex Committee) के सदस्य होते हैं, यह समिति VAP के तहत प्रस्तावित भारतीय कार्यक्रमों की समीक्षा और उन्हें अनुमति प्रदान करने का कार्य करती है। 

अन्य सहयोग:

  • 200 वेंटिलेटर का सहयोग:  
    • अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा पिछले सप्ताह भारत को 200 वेंटिलेटर (Ventilator) दान किये जाने की घोषणा की गई थी, इसके तहत पहले चरण में 50 वेंटिलेटर शीघ्र ही भारत पहुँचने की उम्मीद है।  

    • इन वेंटिलेटरों का खर्च वर्तमान में भारत के लिये घोषित 5.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता के तहत यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (United States Agency for International Development-USAID) द्वारा वहन किया जाएगा।
  • आर्थिक सहायता: 
    • अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention-CDC) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत सरकार की सहमति और सहयोग से COVID-19 की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया गतिविधियों के लिये 3.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
    • इसके तहत भारत सरकार की अनुमति के आधार पर प्रयोगशालाओं और शोध संस्थानों को सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

चुनौतियाँ:  

  • CDC द्वारा भारतीय प्रयोगशालाओं और शोध संस्थानों को सहायता उपलब्ध कराने की योजना विलंबित हो सकती है क्योंकि दिसंबर 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा CDC को एक ‘वाॅच लिस्ट’ (Watch List) में रखा गया है।
    •  ध्यातव्य है कि CDC द्वारा ‘मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरस रिसर्च’ (Manipal Centre for Virus Research-MCVR) के साथ निपाह वायरस (Nipah Virus) पर एक शोध शुरू करने से पहले भारत सरकार की अनुमति न लेने के कारण यह कार्रवाई की गई थी।  
  • भारत में स्थित कोई भी गैर सरकारी संगठन (Non Governmental Organization-NGO) ‘विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010’ {Foreign Contribution Regulation Act (FCRA), 2010} के तहत पंजीकरण करा कर विदेशी अनुदान प्राप्त कर सकता है। 
  • परंतु यदि किसी विदेशी दाता (Foreign Donor) को  ‘वाॅच लिस्ट’ या ‘पूर्व अनुमति’ की सूची में रखा गया हो तो ऐसी स्थिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय की अनुमति के बगैर विदेशी दाता द्वारा सीधे धनराशि नहीं भेजी जा सकती है।    
  • हालाँकि CDC ने स्पष्ट किया है कि वह इस योजना के लिये भारत सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त संस्थानों के साथ ही कार्य करेगी। 

स्रोत: द हिंदू  

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