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भारत टीबी रिपोर्ट, 2020

  • 23 Nov 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन,तपेदिक, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, कोविड-19

मेन्स के लिये:

वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट और स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

‘डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Doctors Without Borders) नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) के अनुसार, COVID-19 महामारी ने तपेदिक (Tuberculosis) से निपटने के प्रति अपनाई जाने वाली वैश्विक रणनीति को प्रभावित किया है।  

प्रमुख बिंदु:

रिपोर्ट के बारे में:

  • रिपोर्ट में भारत सहित 37 उच्च टीबी-बर्डन वाले देशों का डेटा प्रस्तुत किया गया है (वैश्विक अनुमानित टीबी के मामलों के 77% का प्रतिनिधित्व करते हुए)।
  • रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि राष्ट्रीय नीतियाँ 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (World Health Organisation- WHO) के दिशा-निर्देशों और सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के साथ किस हद तक संरेखित हैं।
  • यह इस रिपोर्ट का चौथा संस्करण है, जो देशों की नीतियों और राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रमों के 4 प्रमुख क्षेत्रों से संबंधित प्रथाओं पर केंद्रित हैं:
    • निदान (Diagnosis),
    • उपचार (Treatment) (देखभाल के मॉडल सहित),
    • रोकथाम (Prevention),
    • दवाओं की खरीद नीतियाँ।

रिपोर्ट संबंधी प्रमुख निष्कर्ष:

  • जिन देशों में रिपोर्ट के लिये सर्वेक्षण किया गया है उन देशों में WHO की नीतियों को अपनाने और कार्यान्वयन में अनेक बाधाएँ पाई गई।
  • चिकित्सा क्षेत्र में हाल ही में किये महत्त्वपूर्ण चिकित्सा नवाचारों तक बहुत कम लोगों की पहुँच सुनिश्चित हो पा रही है।
  • टीबी रोग से ग्रसित तीन में से एक व्यक्ति को अभी भी अधिसूचित नहीं किया गया है और निदान की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है।
  • सर्वेक्षण में शामिल लगभग तीन में से दो देशों द्वारा अपनी नीतियों में एचआईवी (human immunodeficiency virus) से ग्रसित लोगों में टीबी की जाँच के लिये मूत्र आधारित TB lipoarabinomannan (TB LAM) परीक्षण को शामिल नहीं किया गया है।

भारत के संबंध में:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, भारत रोग प्रतिरोधक-TB (Disease Resistant-TB) के लिये नई दवाओं के उपयोग के संबंध में अभी भी बहुत ही रूढ़िवादी दृष्टिकोण (Conservative Approach) का पालन कर रहा है।
  • गैर-सरकारी संगठन ने टीबी के परीक्षण, उपचार और रोकथाम में तेज़ी लाने तथा नये चिकित्सा उपकरणों तक सभी की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये सरकारों से आह्वान किया है।
  • इसके अलावा डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 महामारी के दौरान TB के निदान कराने वाले लोगों की संख्या में तेज़ी से गिरावट देखी गई है।
  • COVID-19 महामारी के दौरान जहाँ DR-TB ड्रग्स बेडाक्विलिन (Bedaquiline) और डेलमनीड (Delamanid) के स्केलिंग नहीं करने पर भारत की आलोचना की गई है।
    • प्रीटोमोनीड (Pretomanid) DR-TB के उपचार के लिये विकसित तीसरी नई दवा है। 
  • मार्च 2020 तक, भारत के MDR-TB के 10% से भी कम मरीजों को बेडाक्विलिन की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाई। यह एक चिंताजनक विषय है, क्योंकि दुनिया के कुल DR-TB रोगियों में से एक चौथाई भारत में है।
  • भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी रोगी है। वर्ष 2018 में कुल 2.15 मिलियन टीबी मामले रिपोर्ट किये गये,  जो वर्ष 2017 की तुलना में 16% अधिक है।

टीबी से लड़ने के लिये भारत की पहल:

राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम:

  • टीबी पर नियंत्रण के लिये भारत सरकार ने वर्ष 1962 से राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम लागू किया। इसके अंतर्गत ज़िला स्तर पर एक सुपरविज़न एवं मॉनिटरिंग इकाई के रूप में ज़िला क्षय निवारण केंद्र की स्थापना की गईं।

वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करना: 

  • भारत वर्ष 2025 तक देश से क्षय रोग (टीबी) को खत्म करने के लक्ष्य के लिये प्रतिबद्ध है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित समय सीमा (वर्ष 2030) से आगे है। 

निक्षय इकोसिस्टम (The Nikshay Ecosystem): 

  • निक्षय इकोसिस्टम जो एक राष्ट्रीय टीबी सूचना प्रणाली है और रोगियों की जानकारी का प्रबंधन और कार्यक्रम की गतिविधियों की निगरानी के लिये वन स्टॉप सॉल्यूशन है।

निक्षय पोषण योजना (Nikshay Poshan Yojana):

  • टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिये अप्रैल 2018 में निक्षय पोषण योजना, एक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत टीबी रोगियों को उपचार की पूरी अवधि के लिये प्रतिमाह 500 रुपए मिलते हैं।

टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान:

  • वर्ष 2019 में ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान’ (TB Harega Desh Jeetega Campaign) की शुरुआत की गई है जो देश में टीबी के उन्मूलन से संबंधित कार्यक्रम है। 

सक्षम परियोजना (The Saksham Project):

  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (Tata Institute of Social Sciences) द्वारा DR-TB रोगियों को मनो-सामाजिक परामर्श प्रदान करने के लिये सक्षम परियोजना शुरू की गई है।
  • भारत सरकार ने देश भर में एक निजी क्षेत्र के कार्यक्रम JEET (Joint Effort for Elimination of TB) को शुरू करने के लिये ग्लोबल फंड के साथ भागीदारी की है।

वैश्विक प्रयास:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ग्लोबल फंड और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप के साथ एक संयुक्त पहल "शोध. उपचार. सर्व. #EndTB" (Find. Treat. All. #EndTB") शुरू की है, जिसका उद्देश्य टीबी प्रतिक्रिया को तेज करना और देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करना है, जो डब्ल्यूएचओ के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की ओर समग्र ड्राइव के अनुरूप है।

WHO वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट भी जारी करता है।

आगे का रास्ता

  • विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा प्राप्त उल्लेखनीय सफलताओं के बावजूद, शीघ्र और सटीक निदान में सुधार के लिये मज़बूत प्रयासों की आवश्यकता होती है, जिसके बाद एक त्वरित उपयुक्त उपचार होता है जो टीबी को समाप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

भारत को वैश्विक प्रयासों में सहयोग करना चाहिये जो टीबी को खत्म करने के लिये किये जा रहे हैं।

टीबी/क्षय:

  • टीबी या क्षय रोग बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होता है जो फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
  • टीबी एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसी, छींकने या थूकने के दौरान  हवा के माध्यम से या फिर संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। 
  • इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में बलगम और खून के साथ खांसी, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वजन कम होना, तथा  बुखार इत्यादि के लक्षण देखे जाते हैं।   

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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