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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का वाणिज्य वस्तु व्यापार घाटा

  • 05 Apr 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार द्वारा जारी प्रारंभिक आँकड़ों से पता चला है कि मार्च 2021 में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 14.11 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि मार्च 2020 के दौरान यह 9.98 बिलियन डॉलर था।

प्रमुख बिंदु

  • अन्य पर्यवेक्षण:

    • वाणिज्य वस्तु निर्यात: भारत का वाणिज्य वस्तु (Merchandise) निर्यात मार्च 2020 के 21.49 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में मार्च 2021 में 58.23% की वृद्धि के साथ 34.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • किसी साल के एक महीने में (मार्च 2021 में) पहली बार ऐसा हुआ कि भारतीय निर्यात 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया।
    •  वाणिज्य वस्तु आयात: भारत का वाणिज्य वस्तु आयात मार्च 2020 के 31.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में मार्च 2021 में 52.89% की वृद्धि के साथ 48.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • इस प्रकार भारत मार्च 2021 में एक शुद्ध आयातक देश रहा, जिसको 14.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है।
  • आयात बढ़ने का कारण:

    • लॉकडाउन में ढील और आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत वस्तुओं तथा आयात की मांग में वृद्धि के मुख्य कारण हैं।
    • वैश्विक व्यापार में वृद्धि के परिणामस्वरूप वैश्विक आपूर्ति शृंखला सक्रिय हो गई, जिसने वाणिज्य गतिविधियों को बढ़ाया है।
    • परिवहन क्षेत्र में गतिविधियाँ शुरू होने से तेल आयात बढ़ा है।
  • व्यापार घाटा: 
    • किसी देश का व्यापार घाटा उस स्थिति को संदर्भित करता है, जब उसका आयात निर्यात से ज़्यादा हो जाता है।
      • वस्तुओं से संबंधित व्यापार घाटा अर्थव्यवस्था में मांग की वृद्धि को दर्शाता है।
      • यह चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) का एक हिस्सा है।
  • चालू खाता घाटा:

    • चालू खाता, निर्यात और आयात के कारण विदेशी मुद्रा के निवल अंतर को दर्शाता है। यह विश्व के अन्य देशों के साथ एक देश के लेनदेन का प्रतिनिधित्व करता है तथा पूंजी खाते की तरह देश के भुगतान संतुलन (Balance of Payment) का एक घटक होता है।
    • जब किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक होता है, तो उसके BoP में व्यापार अधिशेष की स्थिति होती है, वहीं जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है तो उसे (BoP) व्यापार घाटे के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
    • प्रमुख घटक:
      • वस्तु,
      • सेवाएँ
      • विदेशी निवेश पर शुद्ध कमाई (जैसे ब्याज और लाभांश) तथा निश्चित समयावधि में भुगतानों का शुद्ध अंतरण जैसे कि विप्रेषण (Remittance)।
    • इसे सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है। चालू खाता शेष की गणना के सूत्र हैं:
      • चालू खाता शेष = व्यापार अंतर + शुद्ध वर्तमान स्थानांतरण + विदेश में शुद्ध आय।
      • व्यापार अंतर = निर्यात - आयात

भुगतान संतुलन

  • परिभाषा:
    • भुगतान संतुलन (Balance Of Payment-BoP) का अभिप्राय ऐसे सांख्यिकी विवरण से होता है, जो एक निश्चित अवधि के दौरान किसी देश के निवासियों के विश्व के साथ हुए मौद्रिक लेन-देनों के लेखांकन को रिकॉर्ड करता है।
  • BoP के घटक:
    • एक देश का BoP खाता तैयार करने के लिये विश्व के अन्य हिस्सों के बीच इसके आर्थिक लेन-देन को चालू खाते, पूंजी खाते, वित्तीय खाते और त्रुटियों तथा चूक के तहत वर्गीकृत किया जाता है।
    • चालू खाता: यह दृश्यमान (जिसे व्यापारिक माल भी कहा जाता है - व्यापार संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है) और अदृश्यमान वस्तुओं (गैर-व्यापारिक माल भी कहा जाता है) के निर्यात तथा आयात को दर्शाता है।
      • अदृश्यमान में सेवाएँ, विप्रेषण और आय शामिल हैं।
    • पूंजी खाता और वित्तीय खाता: यह किसी देश के पूंजीगत व्यय और आय को दर्शाता है।
    • त्रुटियाँ और चूक: कभी-कभी भुगतान संतुलन की स्थिति न होने के कारण इस असंतुलन को BoP में त्रुटियों और चूक (Errors and Omissions) के रूप में दिखाया जाता है। यह सभी अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन को सही ढंग से रिकॉर्ड करने में देश की अक्षमता को दर्शाता है।
    • कुल मिलाकर BoP खाते में अधिशेष या घाटा हो सकता है।
      • यदि कोई कमी है तो विदेशी मुद्रा भंडार से पैसा निकालकर इसे पूरा किया जा सकता है।
      • यदि विदेशी मुद्रा भंडार कम हो रहा है तो इस घटना को BoP संकट के रूप में जाना जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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