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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन पर भारत की आयात निर्भरता

  • 15 Dec 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

गलवान घाटी संघर्ष, भारत-चीन तवांग झड़प, भारत-चीन व्यापार संबंध

मेन्स के लिये:

भारत-चीन व्यापार संबंध, भारत की भारी आयात निर्भरता और चीन के साथ व्यापार घाटा, चीन पर आयात निर्भरता का प्रत्युत्तर

चर्चा में क्यों?

हाल की तवांग झड़प ने चीन के साथ व्यापार संबंधों को खत्म करने की मांग को जन्म दिया है। हालाँकि मांगों के विपरीत, चीन से भारत के आयात में वर्ष 2020 में गालवान घाटी संघर्ष के बाद तेज़ी से वृद्धि देखी गई है।

चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंध:

  • सबसे बड़े भागीदारों में से एक: अमेरिका के बाद चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
    • वर्ष 2021-22 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 115.83 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, यह भारत के कुल 1,035 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार का 11.2% (भारत-अमेरिका व्यापार - 11.54%) है।
    • लगभग 2 दशक पहले एक व्यापारिक भागीदार के रूप में चीन 10वें स्थान पर था,लेकिन वर्ष 2002-03 से यह शीर्ष भागीदारों में से एक बन गया है।
    • चीन वर्ष 2011-12, 2013-14 से 2017-18 और 2020-21 में भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था।

नोट:  

  • अमेरिका और चीन के अलावा वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के शीर्ष 10 व्यापारिक साझेदारों में अन्य 8 देश संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक, सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया थे।
  • अमेरिका और चीन के साथ भारत के व्यापार में प्रमुख अंतर: 
    • अमेरिका और चीन के साथ भारत के व्यापार में प्रमुख अंतर यह है कि वर्ष 2021-2022 में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 32.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि चीन के साथ व्यापार में भारत को 73.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2021-22) का नुकसान हुआ है जो किसी भी देश के लिये सबसे अधिक है।
    • चूँकि चीन से भारत का आयात (2001-02 और 2021-2020 के बीच) 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 94.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, (इसी अवधि में) भारत द्वारा चीन को लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर केवल 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया गया है।
  • प्रमुख आयात: 
    • भारत द्वारा आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ:
      • विद्युत मशीनरी और उपकरण तथा उसके पुर्जे
      • टेलीविजन छवि एवं ध्वनि रिकॉर्डर
      • नाभिकीय रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण तथा उनके पुर्जे
      • जैविक रसायन
      • प्लास्टिक और इससे बनी वस्तुएँ
      • उर्वरक
    • सबसे महत्त्वपूर्ण आयातित वस्तुएँ हैं:
      • पर्सनल कंप्यूटर (लैपटॉप, पामटॉप आदि)> मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट-डिजिटल> लिथियम-आयन> सोलर सेल> यूरिया
  • प्रमुख निर्यात:
    • वर्ष 2021-22 में, चीन को भारत का निर्यात उसके कुल शिपमेंट का 5% था। शीर्ष निर्यात वस्तुओं में शामिल हैं:
      • अयस्क, स्लैग और राख
      • कार्बनिक रसायन, खनिज ईंधन/तेल और उनके आसवन के उत्पाद, बिटुमिनस पदार्थ, खनिज मोम;
      • लोहा और इस्पात
      • एल्यूमीनियम और इससे बनी वस्तुएँ
      • कपास
      • एकल वस्तुओं में लाइट नेफ्थलीन भारत का सबसे मूल्यवान निर्यात था

चीन पर भारी आयात निर्भरता का अर्थ:

  • सरकार के दृष्टिकोण से राजनीतिक और सुरक्षा चुनौतियाँ तब गहरी हो जाती हैं जब देश एक दुश्मन या अमित्र देश से उत्पादों और सेवाओं के आयात पर निर्भर होता है।
  • भारत अपने फार्मास्युटिकल उद्योग में उपयोग होने वाले अधिकांश ‘सक्रिय दवा सामग्री’ (API) का आयात चीन से करता है। चीनी API की लागत भारतीय बाज़ार की तुलना में कम है।
    • समस्या की गहराई कोविड-19 महामारी के दौरान तब सामने आई जब यात्रा प्रतिबंधों के कारण भारत में चीनी API के निर्यात को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया और इसके परिणामस्वरूप भारत को API के अपने निर्यात में भी कटौती करनी पड़ी।
  • भारत में उत्पादित कोयला ऊर्जा का लगभग 24% उन संयंत्रों से आ सकता है जो चीन से आयातित महत्त्वपूर्ण उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। इसलिये इसे रणनीतिक निर्भरता नहीं माना जा सकता है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक सुरक्षा चुनौती है।   
    • जबकि चीन से इस तरह के आयात को सीमित करने या यहाँ तक कि प्रतिबंधित करने की मांग की जा रही है, इसका सीधा सा अर्थ होगा कि निजी भारतीय विद्युत कंपनियों को उच्च लागत का सामना करना पड़ेगा।

चीन पर अति-निर्भरता का मुकाबला करने हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • चाइनीज एप्स पर बैन।
  • भारत द्वारा कई क्षेत्रों में चीनी निवेश की जाँच में सख्ती की गई है, साथ ही सरकार द्वारा चीनी कंपनियों को 5G परीक्षण से बाहर रखना।
  • API के लिये आयात निर्भरता में कटौती - बल्क ड्रग पार्क और PLI योजना को बढ़ावा देना।
  • घरेलू फर्मों के अवसरवादी अधिग्रहण पर अंकुश - चीन पर FDI प्रतिबंध
  • चीनी बिजली उपकरणों के आयात पर वास्तविक प्रतिबंध।
  • स्थानीय विनिर्माताओं के हित में एल्युमीनियम के कुछ सामानों और रसायनों पर 5 वर्ष के लिये एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया।
  • भारत को वैश्विक आपूर्तिकर्त्ता बनाने और आयात बिलों में कटौती के लिये 12 क्षेत्रों की पहचान।
    • ये क्षेत्र हैं खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, लोहा, एल्युमीनियम और ताँबा, कृषि-रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक मशीनरी, फर्नीचर, चमड़ा और जूते, ऑटो के पुर्जे, कपड़ा और कवरऑल, मास्क, सैनिटाइजर और वेंटिलेटर।

आगे की राह: 

  • भारत सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उत्पादों के आयात पर अपनी सामरिक निर्भरता को पूरी तरह समाप्त नहीं कर सकता।  हालाँकि, चीन की भूमिका को व्यापार क्षेत्र में  कम करके भारत  इस क्षेत्र में निर्भरता में विविधता ला सकता है
    • भारत, व्यापार क्षेत्र में निर्भरता में विविधता ,अमेरिका, यूरोप, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ अधिक आयात-निर्यात करके ला सकता है। इस तरह भारत उन देशों पर अपनी निर्भरता बढ़ाएगा जिनके साथ इसके अच्छे राजनीतिक संबंध भी हैं। 
  • वहाँ आत्मनिर्भरता को और अधिक प्रोत्साहन  देना एक विवेकपूर्ण तरीका हो सकता है, जिन क्षेत्रों में भारत एक शुद्ध आयातक है और इसमें प्रौद्योगिकी तथा पूँजी की बड़ी भूमिका होगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न, "चीन एशिया में संभावित सैन्य शक्ति स्थिति को विकसित करने के लिये अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग, उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के परिपेक्ष्य में, उसके पड़ोसी देश भारत पर इसके प्रभाव की विवेचना कीजिये। (2017) 

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

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