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जैव विविधता और पर्यावरण

विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत का ई-कुकिंग परिवर्तन

  • 05 Jun 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE), ई-कुकिंग, सौभाग्य कार्यक्रम, पर्यावरण के लिये मिशन जीवनशैली (LiFE), नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, सतत् विकास लक्ष्य 7.1

मेन्स के लिये:

पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों हेतु ई-कुकिंग विकल्प, टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देने में LiFE पहल की भूमिका, सतत् विकास लक्ष्य 7.1

चर्चा में क्यों?

विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है, यह पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने हेतु एक मंच के रूप में कार्य करता है।

  • इस महत्त्वपूर्ण दिवस की 50वीं वर्षगाँठ पर अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency- BEE) एवं सहयोगी लेबलिंग और उपकरण मानक कार्यक्रम (Collaborative Labeling and Appliance Standards Program- CLASP) ने नई दिल्ली में "ई-कुकिंग परिवर्तन हेतु उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण पर सम्मेलन" का आयोजन किया।
    • इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत में ऊर्जा-कुशल, स्वच्छ और किफायती ई-कुकिंग समाधानों की सुविधा में तेज़ी लाना है।

विश्व पर्यावरण दिवस 2023:

  • परिचय: 
    • संयुक्त राष्ट्र सभा ने 5 जून, 1972 को विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना की, जो मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन का पहला दिन था।
    • यह प्रत्येक वर्ष एक अलग देश द्वारा आयोजित किया जाता है।
      • भारत ने वर्ष 2018 में 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम के तहत विश्व पर्यावरण दिवस के 45वें संस्करण की मेज़बानी की थी।
    • वर्ष 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस नीदरलैंड के साथ साझेदारी में कोटे डी आइवर द्वारा आयोजित किया गया है।
    • इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की 50वीं वर्षगाँठ है।
  • वर्ष 2023 के लिये थीम: 
    • विषय #BeatPlasticPollution अभियान के तहत प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर केंद्रित होगा।
  • उद्देश्य: 
    • जागरूकता बढ़ाएँ, समुदायों को संगठित करें और प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने तथा स्वस्थ एवं अधिक टिकाऊ पर्यावरण को बढ़ावा देने हेतु सहयोगी प्रयासों को प्रोत्साहित करना।

ई-कुकिंग: 

  • परिचय: 
    • ई-कुकिंग में पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों के स्वच्छ और ऊर्जा-कुशल विकल्प के रूप में खाना पकाने के लिये विद्युत उपकरणों का उपयोग शामिल है।
    • इसमें घरों में इलेक्ट्रिक स्टोव, इंडक्शन कुकटॉप्स और अन्य इलेक्ट्रिक कुकिंग डिवाइस को अपनाना शामिल है।
  • ई -कुकिंग को अपनाना: 
    • भारत की 24/7 विद्युत पहुँच की उपलब्धि ई-कुकिंग को अपनाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण चालक रही है। 
    • ‘सौभाग्य’ योजना ने लाखों घरों को विद्युत सुविधा प्रदान करने, विद्युत कटौती को समाप्त करने तथा विद्युत से खाना पकाने के लिये अनुकूल वातावरण बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • LiFE की भूमिका:
  • भारतीय रसोई के भविष्य के रूप में ई-कुकिंग:
    • विश्वसनीय विद्युत पहुँच के साथ ई-कुकिंग भारतीय रसोई का भविष्य बनने की ओर अग्रसर है।
    • खाना पकाने की इलेक्ट्रिक तकनीक की मापनीयता और सामर्थ्य इसे शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिये एक व्यवहार्य विकल्प बनाती है।
  • किफायती ई-कुकिंग बिज़नेस मॉडल: 
    • ई-कुकिंग समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने के लिये किफायती व्यवसाय मॉडल विकसित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • सौर एवं तापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग लागत कम करने और ई-कुकिंग को अधिक सुलभ बनाने में मदद कर सकता है।
    • एकत्रीकरण मॉडल एवं कीमतों में कमी की रणनीतियों को लागू करने से किफायती दरों में और वृद्धि हो सकती है जिससे ई-कुकिंग को बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचाया जा सकता है।
  • न्यूनतम प्रौद्योगिकी बाधाएँ: 
    • ई-कुकिंग न्यूनतम प्रौद्योगिकी बाधाओं का सामना करती है क्योंकि उपकरण में दोषों और विभिन्न व्यंजनों के साथ अनुकूलता के संबंध में चिंताओं को दूर कर दिया गया है।
    • बड़े पैमाने पर सफल ई-कुकिंग मॉडल के प्रतिरूपण तथा धीरे-धीरे पारंपरिक कुकर को इलेक्ट्रिक कुकर से बदलना उपभोक्ता में विश्वास उत्पन्न कर सकता है और एक सहज संक्रमण की सुविधा प्रदान कर सकता है।
  • विद्युत क्षेत्र और उपभोक्ताओं को लाभ: 
    • ई-कुकिंग विद्युत क्षेत्र और उपभोक्ताओं दोनों के लिये एक लाभदायक समाधान प्रस्तुत करता है।
    • यह सतत् विकास लक्ष्य 7.1 के साथ संरेखित करता है जिससे खाना पकाने की साफ-सुथरी पहुँच और इनडोर वायु गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित होता है।
    • ई-कुकिंग रीहीटिंग में ऊर्जा की खपत को कम कर सकता है तथा एक स्वच्छ एवं पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली में योगदान कर सकता है।

भारत के ऊर्जा संक्रमण को आकार देनी वाली अन्य पहलें 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. सतत् विकास लक्ष्यों को पहली बार 1972 में 'क्लब ऑफ रोम' नामक एक वैश्विक थिंक टैंक द्वारा प्रस्तावित किया गया था। 
  2. सतत् विकास लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करना है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018)।

स्रोत: पी.आई.बी.

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