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भारतीय अर्थव्यवस्था

अनुसंधान और विकास के लिये CSR फंड का इस्तेमाल

  • 23 Sep 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने कॉर्पोरेट इंडिया को सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित इनक्यूबेटरों में निवेश के लिये अपने अनिवार्य कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (Corporate Social Responsibility-CSR) फंड्स के उपयोग हेतु अनुमति देने का फैसला किया है।

प्रमुख बिंदु :

  • भारत में अनुसंधान और विकास (Research and development- R&D) गतिविधियों पर सार्वजनिक व्यय जीडीपी के 1% के हिस्से से भी कम रहा है। उल्लेखनीय है कि इसमें निजी क्षेत्र का योगदान आधे से कम रहा है।
  • वित्त मंत्रालय के अनुसार, CSR के मानदंडों को नियंत्रित करने वाले नियमों में संशोधन किया गया है जिससे अनुसंधान और विकास गतिविधियों में अधिक निवेश का मार्ग प्रशस्त किया जा सके। ध्यातव्य है कि अभी तक भारत का प्रदर्शन इस संदर्भ में वैश्विक स्तर पर काफी ख़राब रहा है ।
  • अब यह CSR फंड केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा वित्तपोषित अथवा केंद्र या राज्य के किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की किसी भी एजेंसी द्वारा वित्तपोषित इनक्यूबेटरों पर खर्च किया जा सकेगा।
  • इसके अलावा अब CSR फंड को सार्वजनिक वित्तपोषित विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान हेतु खर्च किया जाएगा।
  • कंपनियांँ निर्दिष्ट संस्थानों में R&D गतिविधियों हेतु निवेश करके इसकी गणना अपने CSR के तहत कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि कंपनी अधिनियम के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों में सरकार द्वारा अनुमोदित प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेटरों में योगदान ही CSR के रूप में मान्य है।

इस कदम के निहितार्थ :

  • CSR के माध्यम से अनुसंधान के क्षेत्र में निवेश का यह विस्तार स्टार्टअप एवं स्किल इंडिया जैसी भारत सरकार की विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं के लिये दीर्घकालिक रूप से लाभप्रद साबित हो सकेगा।
  • सरकार की नई पहल से CSR गतिविधियों के दायरे का विस्तार होगा और अब कंपनियांँ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान के लिये भी अधिकाधिक योगदान कर सकती हैं।
  • सरकार का यह कदम वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में भारतीय उद्योगों की स्थिति में सुधार करेगा, साथ ही इनक्यूबेटरों पर खर्च करने की अनुमति से भारत का तकनीक पारितंत्र को सुदृढ़ होगा।
  • यह देश भर में कई सक्षम अन्वेषकों एवं इंजीनियरों के उत्थान और उनके कौशल संवर्द्धन में मदद करेगा।
  • स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के बाद भारत सरकार की मौजूदा नीति द्वारा इन्क्यूबेटरों को और अधिक प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
  • इसके अतिरिक्त सरकार के इस कदम से CSR में होने वाली धोखाधड़ी को भी रोका जा सकेगा।

सरकार का उपरोक्त कदम न केवल CSR फंड्स का बेहतर प्रयोग एवं उद्योगों की नैतिक ज़िम्मेदारियों को विस्तृत करने, बल्कि घरेलू एवं वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी मज़बूती प्रदान करने की दृष्टि से सार्थक प्रतीत हो रहा है। इस प्रकार के कदम व्यापक निहितार्थों को पूरा करने के लिये ज़रूरी है कि क्रियान्वयन में पारदर्शिता के साथ-साथ इसके व्यावहारिक उपयोगिता को सुनिश्चित करने पर बल दिया जाए।

स्रोत: द हिंदू

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