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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

व्यावहारिक धरातल पर बुलेट ट्रेन परियोजना

  • 16 Sep 2017
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिन्जो आबे द्वारा अहमदाबाद (गुजरात) में भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी गई।

मुख्य बिंदु

  • मुंबई - अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (Mumbai to Ahmedabad High Speed Rail - MAHSR) को दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • अधिकतम 320-350 किमी प्रति घंटे की एक रफ्तार वाली इस ट्रेन से इन दोनों शहरों के बीच की दूरी को 7-8 घंटों की बजाय महज़ 2-3 घंटों में तय कर लिया जाएगा।
  • प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक, सालाना लगभग 1.6 करोड़ लोगों के बुलेट ट्रेन से यात्रा करने की उम्मीद हैं। वहीं 2050 तक, दैनिक आधार पर तकरीबन 1.6 लाख यात्रियों के हाई-स्पीड ट्रेन से यात्रा करने की संभावना है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत 1,10,000 करोड़ रुपए की इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना में निवेश करने के लिये जापान से 88,000 करोड़ रुपए का ऋण लेगा।
  • जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (Japan International Cooperation Agency - JICA) द्वारा 0.1% प्रति वर्ष की न्यूनतम ब्याज दर के आधार पर यह निधि प्रदान की जाएगी। 15 साल की अनुग्रह अवधि के साथ इस ऋण को 50 वर्षों में चुकता किया जाएगा। 

बुलेट ट्रेन से जुड़े कुछ खास बिंदु

  • यह ट्रेन गुजरात के मुख्य शहर अहमदाबाद को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ेगी।
  • इसके मार्ग में कुल 12 स्टेशन आयेंगे।
  • इसका ज़्यादातर रास्ता ज़मीन से ऊपर गुजरेगा यानि एलिवेटेड होगा।
  • इस यात्रा में तकरीबन 7 किलोमीटर का हिस्सा समंदर के नीचे बनी सुरंग से होकर जाएगा।
  • बुलेट ट्रेन में 750 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होगी।

यह परियोजना भारत के विकास में कैसे मदद करेगी?

  • एम.ए.एच.एस.आर. के साथ-साथ नए उत्पादन अड्डों और टाउनशिप को भी विस्तारित किया जाएगा।
  • इसके लिये आवश्यक सस्ते आवासों, लॉजि़स्टिक्स केंद्रों और औद्योगिक इकाइयों के खुलने से छोटे कस्बों और शहरों को भी लाभ होगा।
  • महाराष्ट्र के पालघर और गुजरात के वलसाड ज़िले के साथ-साथ संघ राज्य क्षेत्र दमन में भी निवेश के नए अवसर निर्मित होंगे। 
  • बुलेट ट्रेन की निर्माण संबंधी गतिविधियों से इस्पात, सीमेंट एवं विनिर्माण जैसे संबद्ध उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • इससे अतिरिक्त इससे रसद एवं वस्तुओं की भंडारण संबंधी मांग में भी बढ़ावा होगा। इससे निकट अवधि में देश की आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।
  • इससे देश में बहुत सी नई अस्थायी एवं स्थायी नौकरियाँ सृजित होंगी। अकेले निर्माण चरण में लगभग 20,000 लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होने की संभावना है। 
  • परियोजना के संचालन के बाद, ट्रेन की लाइनों के संचालन और रखरखाव के लिये कम से कम 4,000 नौकरियों का सृजन किया जाएगा।
  • इसके अलावा, तकरीबन 16,000 अप्रत्यक्ष रोज़गार के भी अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है। 
  • इस जटिल और उच्च पैमाने की परियोजना का प्रबंधन करना भारतीय एजेंसियों के लिये भी एक बेहतर अनुभव साबित होगा, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में अधिक से अधिक कौशल विकास होने की संभावना है। 
  • हालाँकि, इसके लिये पहले से ही वडोदरा में एच.एस.आर. प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने की योजना बनाई जा चुकी है। 


पृष्ठभूमि

  • ध्यातव्य है कि समस्त विश्व में जापान हाई-स्पीड रेल नेटवर्क में अग्रणी राष्ट्र है इसकी शिंकानसेन बुलेट ट्रेन (Shinkansen bullet train) दुनिया की सबसे तेज़ बुलेट ट्रेन है। 
  • भविष्य में जापान द्वारा भारत को सुरक्षित शिंकानसेन तकनीक प्रदान की जाएगी, परंतु इसका निर्माण 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम  के तहत भारत में ही किया जाएगा।
  • शिंकानसेन का अर्थ होता है, 'नई ट्रंक लाइन'। 
  • इन ट्रेनों का आकार बुलेट की गोलियों की तरह होता है। 
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह जापान की प्रगति और तकनीकी विकास का प्रतीक बन गई हैं। 
  • शिंकानसेन की सबसे खास विशेषता इसकी सुरक्षित और अनुशासनात्मक गतिविधि है। 
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 1964 में (जब से इन्हें पेश किया गया) अभी तक इन ट्रेनों में कभी भी कोई दुर्घटना दर्ज़ नहीं हुई है। 
  • अगर ट्रेनें एक मिनट से अधिक समय के लिये देर से आती हैं तो ट्रेन के स्टाफ को इसका स्पष्टीकरण होता है।

निष्कर्ष

वस्तुतः इस परियोजना की सफलता इसके निष्पादन पर करती है। स्पष्ट है कि यदि इस परियोजना को सफल तरीके से समय पर पूरा किया जाता है तो यह परियोजना न केवल भारत में कुशल परियोजना कार्यान्वयन की संस्कृति विकसित करने के लिये एक शक्तिशाली उत्प्रेरक का काम करेगी बल्कि इससे परियोजना कार्यान्वयन के संदर्भ में वैश्विक परिदृश्य में भारत की छवि में भी सुधार होगा। इसके लिये आवश्यक है कि भारत द्वारा इस परियोजना संबंधी कार्यों के शुरू होने से पहले, इससे संबद्ध आवश्यक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाए ताकि समय पर इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। यह भारत के लिये एक परिवर्तनकारी परियोजना साबित होगी।

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